72 एमबीबीएस एवं 40 आयुष डॉक्टर पर 20 लाख से अधिक आबादी के इलाज का जिम्मा
सहरसा में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। सरकारी अस्पतालों में एक हजार की आबादी पर केवल एक डॉक्टर है, जबकि 112 डॉक्टरों में से कई ड्यूटी पर नहीं हैं। सदर अस्पताल में एक भी फिजिसियन नहीं है...

सहरसा । स्वास्थ्य व्यवस्था में भले ही अमूल चूल परिवर्तन की बात सरकार व विभाग करती हो। सच्चाई है कि लाखो और करोडो की लागत से भवन तो बन रहे है एवं उसमें अत्याधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक का ही टोटा है। नियमानुसार एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक का होना आवश्यक है। लेकिन वर्तमान में जिले का आंकडा डराने वाला है। सरकारी अस्पतालों में लगभग दो हजार की आबदी पर एक डॉक्टर है। सदर अस्पताल से लेकर रेफरल अस्पताल तक में कुल 112 डॉक्टर है। जिसमें 72 एमबीबीएस तो 40 आयुष डॉक्टर है।
वही जिले के छह डॉक्टर ड्यूटी से गायब है, 11 चिकित्सक शैक्षिक अवकाश पर है। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की परिकल्पना करना ही बेइमानी होगी। जिसका परिणाम है कि रेफरल अस्पताल से लेकर सदर अस्पताल तक आज कल रेफर कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते है। सदर अस्पताल में नही है एक भी फिजिसियन: जिले के सदर अस्पताल का हाल बेहाल है। सदर अस्पताल में सुपरीटेंडेंट का पद भी रिक्त है। सदर अस्पताल में सवीकृत 59 चिकित्सक के बदले सिर्फ 39 चिकितस्क ही कार्यरत है। वही सदर अस्पताल में एक भी फिजिसियन नही है, जबकि तीन पद स्वीकृत है। वही मनोचिकित्सक, चर्म रोग, रेडियोलोजिस्ट, माइक्रोबायोलोजिस्ट में भी एक भी चिकित्सक पदस्थापित नही है। जबकि सभी विभाग में एक-एक पद स्वीकृत है। वही ऐनेथेसियाा के दो, इएनटी के पांच, नेत्र रोग के एक, ऑर्थोपेडिक सर्जन के एक, दंत चिकित्सक के एक, आयुष फिजिसियन के एक पद रिक्त है। 10 चिकित्सकों के भरोसे अनुमंडलीय अस्पताल: जिले के सिमरी बखतियारपुर अनुमंडल मुख्यालय स्थित अनुमंडलीय अस्पताल का भी हाल बेहाल है। अनुमंडलीय अस्पताल में उपाधीक्षक का पद स्वीकृत है लेकिन वह भी रिक्त है। अस्पताल में एक भी फिजिसियन, जेनरल सर्जन, चर्म रोग, ऐनेथेसिया, इएनटी, नेत्र रोग, ऑर्थोपेडिक सर्जन, रेडियोलोजिस्ट, पेथोलोजिस्ट नही है। फिजिसियन का कार्य तीन साल के आये डॉ मो खिजरे हुसैन कर रहे है। वही पांच जेनरल डॉक्टर पदस्थापित है भी तो उसमें से डॉ धीरज कुमार मुन्ना से पंचगछिया अस्पताल में तो डॉ संजीव कुमार से सलखुआ अस्पताल में काम लिया जा रहा है। कुल 31 डॉक्टर के पद स्वीकृत है जिसमें मात्र आठ डॉक्टर ही कार्यरत है। एक के भरोसे बनमा तो दो चिकित्सक के भरोसे पीएचसी सिमरी और कहरा: सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के पीएचसी में मात्र दो चिकित्सक एक एमबीबीएस एवं एक दंत चिकित्सक ही लोगों के इलाज के लिए है। इसके अलावा पदस्थापित एक चिकितसक डॉ दिलीप कुमार मंडल से पंचगछिया अस्पताल में तो दूसरे डॉ शोभाकांत सुमन बीते वर्ष 2023 से स्टडी लीव पर है। यहां स्त्री रोग विशेषज्ञ, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, जेनरल सर्जन, एनेथेसिया के एक भी चिकित्सक नही है। वही हाल सदर पीएचसी बरियाही का है। अस्पताल में एक एमबीबीएस और एक दंत चिकित्सक ही लोगों के इलाज के लिए है। यहां भी स्त्री रोग विशेषज्ञ, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, जेनरल सर्जन, एनेथेसिया के एक भी चिकित्सक नही है। 33 में 25 एपीएचसी एमबीबीएस विहीन: जिले में कुल 33 एडिशनल पीएचसी है। जिसमें मात्र सात में ही एमबीबीएस डॉक्टर पदस्थापित है। बांकी सभी 27 एपीएचसी आयुष चिकित्सक के भरोसे संचालित हो रही है। जानकारी के अनुसार पीएचसी सिमरी बख्तियारपुर अंतर्गत एपीएचसी चपराम, एपीएचसी बेलवारा, महिषी पीएचसी अंतर्गत एपीएचसी ऐनी, पीएचसी सोनवर्षा अंतर्गत एपीएचसी लगमा, एपीएचसी सहसोल, एपीएचसी मंगवार, पीएचसी पंचगछिया अंतर्गत एपीएचसी सत्तरकटैया में ही एमबीबीएस डॉक्टर है। पंचगछिया पीएचसी प्रतिनियुक्ति पर: प्राइमरी हेल्थ सेंटर पंचगछिया प्रतिनियुक्ति पर संचालित हो रहा है। यहां सिर्फ एक चिकित्सक डॉ पल्लवी कुमारी पदस्थापित थी। जो वर्ष 2020 से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित है। जिसके बाद स्थानीय स्तर से अनुमंडलीय अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर के डॉ धीरज कुमार मुन्ना, पीएचसी सिमरी बक्ष्तियारपुर के डॉ दिलीप कुमार मंडल की प्रतिनियुक्ति की गयी है।
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