किसान उत्पादक संगठनों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
जलालगढ़ में कृषि विज्ञान केंद्र पर किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की जिला स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि योजनाबद्ध एफपीओ से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और ग्रामीण विकास को बढ़ावा...

जलालगढ़, एक संवाददाता। जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने और कृषि उत्पादों को बाजार से सीधा जोड़ने के उद्देश्य से आज कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की जिला स्तरीय बैठक का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गई। इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि यदि एफपीओ योजनाबद्ध तरीके से काम करें तो न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि स्थानीय स्तर पर रोज़गार और प्रसंस्करण इकाइयों की संभावना भी पैदा होगी। कार्यक्रम में मुख्य रूप से बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. आर. के. सोहाने, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक मनोज कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. के. एम. सिंह, प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अवधेश कुमार और जिला उद्योग पदाधिकारी मौजूद रहे।
सभी वक्ताओं ने कहा कि पूर्णिया जैसे कृषि प्रधान जिले में एफपीओ किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विशेष कर मक्का और मखाना जैसी फसलों के लिए काफी उपयुक्त होगा जिसकी मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लगातार बढ़ रही है। पूर्णिया जैसे जिलों में एफपीओ केवल कृषि उत्पादन का माध्यम नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का भी साधन बन सकते हैं। ....केन्द्र पर तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा: डॉ. के. एम. सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र एफपीओ को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण देता है, बल्कि उन्हें योजनाओं, बाजार की मांग और वैज्ञानिक पद्धतियों से भी जोड़ता है। उन्होंने बताया कि जिले में केले, आम, मशरूम, वर्मी कम्पोस्ट, मछली पालन, बकरी पालन जैसे क्षेत्रों में एफपीओ के माध्यम से बड़ी संभावनाएं हैं। कार्यक्रम के दौरान ही ‘कृषक संदेश नामक मासिक पत्रिका के अप्रैल अंक का विमोचन भी किया गया जो किसानों के लिए जानकारी का सशक्त माध्यम बनेगा। इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. गोविंद कुमार, डॉ. संगीता मेहता, डॉ. आतिश सागर, डॉ. राबिया परवीन सहित तकनीकी टीम के सदस्य भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम को स्थानीय एफपीओ प्रतिनिधियों ने सराहा और भविष्य में मिलकर कार्य योजना बनाने की प्रतिबद्धता जताई। ......एफपीओ की भूमिका: -किसान उत्पादक संगठन किसानों का एक पंजीकृत समूह जो खेती से जुड़े उत्पादन, प्रोसेसिंग, भंडारण और विपणन का काम करता है। -यह किसानों की संघबद्ध ताकत को बढ़ाता है और उन्हें बिचौलियों की निर्भरता से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। -एफपीओ के माध्यम से किसान बीज, खाद, उपकरण, और अन्य इनपुट सस्ते में प्राप्त कर सकते हैं। -उत्पादों की बाजार तक पहुंच, न्यूनतम समर्थन मूल्य और प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में भी एफपीओ की अहम भूमिका है। -सरकार व नाबार्ड द्वारा एफपीओ को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और मार्केटिंग सपोर्ट भी मिलता है।
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