शव पर डॉ. गोयल ने सिखायीं न्यूरो के जटिल ऑपरेशन की बारीकियां
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहली बार कैडेवर कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें डॉ. अतुल गोयल ने न्यूरो सर्जरी की जटिलताओं पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला में बिहार और अन्य राज्यों के न्यूरो सर्जनों ने...

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के एनाटॉमी विभाग में पहली बार कैडेवर कार्यशाला हुई। इसमें देश व विदेश में ख्यातिप्राप्त न्यूरो सर्जन मुंबई के डॉ. अतुल गोयल के व्याख्यान को न्यूरो सर्जरी से जुड़े डॉक्टरों ने सुना। डॉ. गोयल ने सर्वाइकल सिरिंग्स, सर्वाइकल स्पौंडलाइटिस, अर्नाल्ड केआरई मालफार्मेशन, एटलांटो एक्सियल डिसलोकेशन जैसी बीमारियों की सर्जरी की बारीकियों को पीएमसीएच के न्यूरो विभाग में मृत शरीर (कैडेवर) पर विस्तार से बताया। मौके पर मौजूद बिहार सहित कई राज्यों के न्यूरो सर्जन ने भी कैडेवर पर सर्जरी कर अपने हाथ साफ किए। कार्यक्रम आयोजन से जुड़े न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित और डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि कार्यशाला के लिए कुल पांच कैडेवर मुहैया कराई गयी थी।
कार्यक्रम संयोजन से जुड़े डॉ. अभिनव ने बताया कि ऐसे कार्यशालाओं के नियमित आयोजन से बिहार के गंभीर मरीजों को बिहार में ही सर्जरी की सेवा दी जा सकेगी। इसके लिए मरीजों को दिल्ली, मुंबई जाने की जरूरत नहीं होगी। डॉ. अतुल गोयल के नाम से ‘गोयल तकनीक के माध्यम से सर्जरी कर लोथ मरीजों की जिंदगी में भी नई जान फूंकी जा सकती है। कार्यक्रम में डॉ. राजीव रंजन, डॉ. ऋषि, डॉ. प्रसून, लखनऊ के डॉ. दीपक कुमार सिंह सहित कई डॉक्टर मौजूद रहे। बिहार के डॉक्टरों को होगा फायदा : कार्यशाला में मस्तिष्क और स्पाइन के बीच की न्यूरो की बीमारियों पर केंद्रित थी। इसे सीवी जंक्शन की बीमारियों के नाम से भी जाना जाता है। शरीर के इस क्षेत्र में होने वाली बीमारियों के सर्जरी के लिए अभी बड़ी संख्या में लोग बिहार से बाहर जाते हैं। कार्यशाला में प्रशिक्षण देने आए डॉ. अतुल गोयल ने बताया बिहार व झारखंड में सीवी जंक्शन के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनकी संख्या क्यों बढ़ रही है इस बारे में अभी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है। सीवी जंक्शन सर्जरी से कई मरीजों को नई जिंदगी मिल सकती है। बिहार के डॉक्टरों को इस कार्यशाला से काफी मदद मिलेगी। बिहार में अच्छे उपकरणों की है दरकार : कार्यशाला में डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने पहुंचे डॉ. अतुल तिवारी ने कहा कि बिहार में अच्छे न्यूरो सर्जन हैं। इनकी कार्यक्षमता को बढ़ाने व लोगों के इस बीमारी में सफल इलाज के लिए अच्छे मेडिकल उपकरणों की आवश्यकता है। अच्छे व गुणवत्तापूर्ण माइक्रोस्कोप, ड्रिल, स्क्रू आदि की जरूरत है। जेवी जंक्शन की सर्जरी बेहद जटिल होती है। इसमें महारत हासिल करने के लिए ऐसे कार्यशालाओं का नियमित आयोजन जरूरी है। यह है बीमारी के लक्षण : गर्दन छोटी, गर्दन टेढ़ी, हाथ-पैर में कमजोरी, सांस लेने व बोलने में कमजोरी, हाथ-पैर लोथ होना आदि।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।