ऑर्केस्ट्रा में नाबालिग बच्चियों की तस्करी और यौन शोषण पर पटना हाईकोर्ट सख्त, बिहार सरकार से मांगा जवाब
पटना हाईकोर्ट ने राज्य में 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों को आर्केस्ट्रा में काम करने के नाम पर किए जा रही ट्रैफिकिंग और यौन शोषण को काफी गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इसे रोकने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है।

पटना हाई कोर्ट ने राज्य में 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों को आर्केस्ट्रा में काम करने के नाम पर की जा रही ट्रैफिकिंग और उनके साथ हो रहे यौन शोषण और उत्पीड़न के मामले को काफी गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस पर पूरी तरह पूर्ण विराम लगाने के लिए राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ में जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
नाबालिग लड़कियों का आर्केस्ट्रा में काम करने के नाम पर हो रही ट्रैफिकिंग और यौन शोषण की रोकथाम के लिए जल्द से जल्द एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की मांग कोर्ट से की गई है ताकि इस मामले पर रोक लग सके और नाबालिक लड़कियों का जीवन बर्बाद होने से बच सके। कोर्ट को बताया गया कि यह संगठन बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम करता है।
बच्चियों के यौन शोषण को रोकने के लिए राज्य सरकार को सभी हित धारकों के साथ मिलकर एक समग्र और समन्वित कार्य योजना बनाने का निर्देश देने की मांग कोर्ट से की है। वहीं आर्केस्ट्रा समूहों के नियमन और निरीक्षण के लिए बनाए गए नियम का पालन किया जाये और पीड़ितों के लिए बनाए गई बिहार पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2014 के तहत मुआवजा का लाभ दिया जाये।
कोर्ट को बताया गया कि अपने सहयोगी संगठन एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (एबीए) की मदद से रोहतास में एक आर्केस्ट्रा समूह से 44 नाबालिक बच्चियों के साथ ही सारण और गोपालगंज में सहयोगी संगठनो और पुलिस की मदद में सैकड़ों नाबालिक बच्चियों को छुड़वाया गया है। उनका कहना था कि छुड़वाई गई बच्चियों पर सरकार ध्यान नहीं देगी तो छुड़ाई गई लड़कियां फिर इस धंधे में लग जाएगी। जिससे उनका जीवन बर्बाद हो जाएगा। ऐसी नाबालिक बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार को कार्य योजना और नियम बनाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।