तीन लाख के इनामी नक्सली अखिलेश सिंह का सरेंडर, 82 IED समेत हथियारों का जखीरा बरामद
आतंक का पर्याय रहे 3 लाख के इनामी नक्सली अखिलेश सिंह ने गया जी में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। अखिलेश पर 16 आपराधिक कांड दर्ज हैं। नक्सली की निशानदेही पर हथियारों का जखीरा बरामद हुआ है। जिसमें 82 आईईडी, 522 गोलियां और चार हथियार भी बरामद किए गए हैं।

गया जी और औरंगाबाद जिलों में आतंक का पर्याय बन चुके तीन लाख रुपये के इनामी नक्सली सब-जोनल कमांडर अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरकी ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इनामी नक्सली ने पुलिस और सुरक्षा बलों की दबिश के बाद एसएसपी आनंद कुमार और बिहार एसटीएफ की विशेष टीम के समक्ष तीन एसएलआर और एक सेमी ऑटोमेटिक राइफल समेत अन्य हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण सह पुनर्वास योजना के तहत लाभ दिलाने के लिए अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। वह लंबे समय से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था और कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है।
अखिलेश पर हत्या, धमाका और पुलिस पर हमले जैसे कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लगातार दबिश के कारण आत्मसमर्पण के बाद पुलिस ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया है। उसकी निशानदेही पर 82 आईईडी, 522 गोलियां और चार हथियार भी बरामद किए गए हैं। हर आईईडी करीब एक किलोग्राम का है। उसके खिलाफ गया जी के लुटुआ, डुमरिया, आमस, छकरबंधा के अलावा औरंगाबाद जिले के अलग-अलग थानों में कुल 16 संगीन नक्सली मामलों में प्राथमिकी दर्ज है। एसएसपी आनंद कुमार, सिटी एसपी रामानंद कुमार कौशल, इमामगंज एसडीपीओ अमित कुमार, थानाध्यक्ष अजय कुमार ने मुख्यधारा में लौटने पर नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता को गुलदस्ता देकर सम्मानित किया।
अखिलेश सिंह भोक्ता 2017 से लगातार नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था और 2025 में छकरबंधा क्षेत्र में हुई एक हत्या का वह मुख्य अभियुक्त था। 2017 में आमस थाने के महापुर स्थित सोलर प्लांट को आग के हवाले कर दिया था। वहीं, देव थाने में 2018 में दर्ज कांड में औरंगाबाद के देव थाने के तहत सुदी बिगहा गांव में दिसंबर, 2018 में ट्रांसपोर्टर सुनील सिंह के चाचा नरेंद्र सिंह (65 वर्ष) की गोली मारकर हत्या करने और तीन बस समेत सात वाहनों को आग के हवाले करने के मामले में भी वांछित था।
वहीं, 2019 में लुटुआ थाने में आईईडी विस्फोट करने में शामिल था। इसमें एक पुलिस और अवर निरीक्षक शहीद हो गए थे और दो जवान घायल हुए थे। 2021 में डुमरिया में चार ग्रामीणों को फांसी देकर हत्या कर दी थी। 2025 में छकरबंधा थाने के कचनार में सत्येन्द्र सिंह भोक्ता की हत्या का मुख्य अभियुक्त है। 2019 में देव थाने पर हमले में शामिल रहा। इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे और सात स्वचालित हथियार बरामद किए गए थे।
आत्मसमर्पण के बाद पूछताछ के दौरान उसकी निशानदेही पर पुलिस ने छुपाकर रखे हुए एक-एक किलो के 60 आईईडी बरामद किए, जिसे एसएसबी और सीआरपीएफ ने डिफ्यूज कर दिया। इसके साथ सुरक्षा बलों ने 22 अतिरिक्त आईईडी बरामद किए हैं, जिसे डिफ्यूज करने में सूक्ष्म बल जुटे हैं। साथ ही 522 गोलियां और पुलिस से लूटे गए चार हथियार बरामद हुए हैं। बरामद हथियारों में तीन एसएलआर और एक सेमी ऑटोमेटिक राइफल शामिल हैं, जिसे 2015 में टिकारी थाना क्षेत्र से लूटा गया था। इन विस्फोटकों की बरामदगी से साफ है कि नक्सली किसी बड़ी घटना की फिराक में थे, जिसे समय रहते टाल दिया गया।
गया जी के एसएसपी आनंद कुमार ने प्रेसवार्ता में बताया कि अखिलेश सिंह का मगध क्षेत्र में बड़ा नेटवर्क था और उसके आतंक से स्थानीय लोग भयभीत रहते थे। लगातार हो रही पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई और दबिश में आकर उसने आत्मसमर्पण का रास्ता चुना। एसएसपी ने बताया कि उसकी गिरफ्तारी के लिए तीन लाख का इनाम भी घोषित था। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सभी जरूरी सहायता दी जाएगी। इसमें आर्थिक सहायता, सुरक्षा, और पुनर्वास केंद्रों में प्रशिक्षण की व्यवस्था शामिल है।
मगध क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों को समाप्त करने की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि है और इससे नक्सलियों के हौसले भी इससे पस्त होंगे। इससे नक्सली नेटवर्क को गहरा झटका लगा है और आने वाले दिनों में और भी आत्मसमर्पण हो सकते हैं। एसएसपी ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान में कोई ढील नहीं दी जाएगी। अन्य फरार नक्सलियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। पुलिस का उद्देश्य है कि पूरे क्षेत्र को नक्सल मुक्त बनाया जाए।