गाय-भैंस को मुंहपका और खुरपका रोग से बचाएगा बूस्टर डोज
नवादा जिले में गाय-भैंसों को खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) से बचाने के लिए बुस्टर डोज का टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक 34100 पशुओं को बूस्टर डोज दी गई है। जिला पशुपालन अधिकारी ने बताया कि...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में गाय-भैंस प्रजाति के पशुओं को खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) रोग के उन्मूलन अभियान जारी है। खुरपका और मुंहपका रोग से बचाव के लिए छह माह से ऊपर के गाय-भैंस को बुस्टर डोज लगाया जा रहा है। बुस्टर डोज वैसे पशुओं को लगाया जा रहा है, जिसको सिंगल डोज लगा है। एफएमडी का बूस्टर डोज गाय-भैंस जाति को मुंहपका और खुरपका संक्रमण से बचाव के लिए दिया जा रहा है। जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ.दीपक कुमार कुशवाहा ने बताया कि मुंहपका से पीड़ित पशुओं को तेज बुखार, मुंह से लार निकलने लगता है। वहीं खुरों में छाले पड़ जाते हैं, जिससे पशु लंगड़ाने लगता है।
पशुओं के कार्यक्षमता और दुग्ध उत्पादन में भी कमी के साथ समय पर इलाज नहीं होने पर पशु की मौत भी हो सकती है। इसलिए रोग के उन्मूलन के लिए अभियान शुरू किया गया है। घर-घर जाकर टीकाकर्मी पशुओं को बुस्टर डोज लगा रहे हैं। विगत माह किया गया था एफएमडी टीकाकरण बीते माह जिले में 05 लाख 32 हजार 100 गाय-भैंस प्रजाति के पशुओं को एफएमडी रोग से बचाव के लिए टीकाकरण किया गया है। जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ.दीपक कुमार कुशवाहा ने बताया कि जिले में सिंगल डोज लेने वाले कुल में से दस फीसदी यानी 53200 पशुओं को बूस्टर डोज लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रखंड स्तर पर आवंटित सिंगल डोज का 10 प्रतिशत ही बूस्टर डोज दिया जा रहा है और इस क्रम में अब तक कुल 34100 गाय-भैंसों को बूस्टर डोज लगाया जा चुका है। ---------------------- एफएमडी वैक्सीन है पशुओं के लिए प्राणरक्षक नवादा। एफएमडी वैक्सीन पशुओं के लिए प्राणरक्षक है, जिसे खुरपका और मुंहपका रोग यानी एफएमडी के खिलाफ टीका भी कहा जाता है। जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ.दीपक कुमार कुशवाहा ने बताया कि पशुधन में एफएमडी के प्रसार को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। यह रोग एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो जुगाली करने वाले जानवरों जैसे मवेशी, भेड़, बकरी और सूअर को प्रभावित करती है। यह एक निष्क्रिय वायरस वैक्सीन है, जिसमें निष्क्रिय एफएमडी वायरस होते हैं, जो बीमारी का कारण नहीं बनते हैं, लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया करने के लिए उत्तेजित करते हैं। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के तहत एफएमडी के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। टीकाकरण के माध्यम से एफएमडी की घटनाओं में काफी कमी आई है, और इस बीमारी को नियंत्रित करने और अंततः इसे खत्म करने के लिए टीकाकरण के साथ-साथ जैव सुरक्षा उपाय भी किए जा रहे हैं। एफएमडी टीकाकरण से पशुधन उत्पादकता में सुधार होता है, पशुधन की मृत्यु दर कम होती है और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान कम होता है। टीकाकरण के अलावा, एफएमडी के प्रसार को रोकने के लिए अन्य उपाय भी महत्वपूर्ण हैं। डॉ.दीपक कुमार कुशवाहा ने बताया कि जैव सुरक्षा के तहत पशुधन फार्मों में स्वच्छता और सुरक्षा उपायों को अपनाना, पशुधन के प्रवेश और निकास को नियंत्रित करना, रोगग्रस्त पशुओं को अलग करना और उचित कीटाणुशोधन करना जरूरी है। इसके अलावा एफएमडी के मामलों की सक्रिय निगरानी करना, ताकि बीमारी का शीघ्र पता लगाया जा सके और उसका प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके। ------------------------- प्रखंडवार सिंगल डोज ले चुके गाय-भैंसों की संख्या: प्रखंड डोज नवादा नगर निकाय 3700 नवादा सदर 31410 वारिसलीगंज 34000 मेसकौर 40500 सिरदला 57800 रजौली 56500 नरहट 22000 कौआकोल 44450 काशीचक 11897 रोह 40000 हिसुआ 38200 गोविंदपुर 30800 पकरीबरावां 37000 अकबरपुर 55750 नारदीगंज 28003 कुल 532100
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