बेकार पड़ा है करोड़ों की लागत से बना मॉडल हाई स्कूल का भवन
रोह, निज प्रतिनिधिसरकारी शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने के लिए मॉडल स्कूल की योजना मूर्त रूप लेने से पहले ही दम तोड़ दी है।

रोह, निज प्रतिनिधि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने के लिए मॉडल स्कूल की योजना मूर्त रूप लेने से पहले ही दम तोड़ दी है। इस योजना के तहत रोह प्रखंड के घोराही गांव में मॉडल स्कूल का भव्य भवन भी बनाकर खड़ा कर दिया गया है। मगर इस मॉडल स्कूल से आसपास गांवों के छात्र-छात्राओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। हाल यह है कि करोड़ों रुपये की लगत से बनाया गया मॉडल स्कूल का भवन बिना उपयोग की वजह से अब खंडहर बनने लगा है। पूरे भवन परिसर में गंदगी भरी पड़ी है। सैकड़ों जगहों पर लोगों ने शौच त्याग दिया है।
यूं कहा जाय कि यह भवन खुले में शौच करने वालों का सुरक्षित ठिकाना बन गया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मॉडल स्कूल का यह भवन नशेड़ियों के लिए भी सुरक्षित अड्डा बना हुआ है। वर्तमान में इसकी बदतर स्थिति का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि इसके गेट पर पहुंचते ही दुर्गंध और गंदगी से अच्छे भले आदमी की तबियत बिगड़ जाएगी। करोड़ों की लागत से बना यह स्कूल भवन बेकार पड़ा है। प्रखंड के छात्र-छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। मॉडल स्कूल केंद्र की पिछली सरकार की योजना थी मॉडल स्कूल की यह योजना केंद्र की पिछली सरकार की थी। योजना थी जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर हर प्रखंड में एक मॉडल स्कूल की स्थापना की जाय। इसमें नौवीं तथा दसवीं की पढ़ाई होनी थी। नौवीं में नामांकन प्रखंड स्तर पर प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर होनी थी। ताकि प्रखंड स्तर पर प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को पढ़ाई का नया ट्रैक मिल सके। मॉडल स्कूल का भवन करीब सात साल पहले बना दिया गया है। मगर भवन बनने के बाद इस योजना पर कोई काम नहीं हुआ। नतीजा यह भवन बेकार पड़ा है और असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है। भवन को असामाजिक तत्वों ने बनाया अपना ठिकाना प्रखंड मुख्यालय से करीब 3 किमी दूर गांव घोराही में मॉडल स्कूल का भवन बनाया गया था। भवन बनाने में लगभग दो करोड़ रुपए खर्च किए गए। स्कूल भवन बन भी गया, लेकिन उसके बाद इस भवन में ताला लगाने का भी ठिकाना नहीं है। क्योंकि असामाजिक तत्वों ने गेट तोड़ दिया है। लिहाजा यह आज तक खुला पड़ा है। शो पीस बन चुके इस करोड़ी मॉडल स्कूल अनदेखी का शिकार हो रहा है। स्कूल भवन की खिड़कियां बगैर खुले ही टूट गई। शौचालय का उपयोग नहीं हुआ, लेकिन यह भी टूट गया। सूने स्कूल परिसर को असामाजिक तत्वों ने अपना डेरा बना लिया है। जिससे गांव के निवासी भी परेशान हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण होने के बाद इस स्कूल की किसी ने झांककर भी देखना मुनासिब नहीं समझा। खिड़कियों के कांच तोड़े, किवाड़-चौखट उखाड़े मॉडल स्कूल में विद्यार्थियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराई जानी थी। आधुनिक लैब व शौचालय बनाए गए। लेकिन देखरेख के अभाव में यह खंडर हो रहा है। असामाजिक तत्वों ने खिड़कियों पर लगे कांच तोड़ दिए हैं। कमरे के किवाड़ एवं चौखट तक को उखाड़ लिया है। भवन में बने शौचालय भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। भवन के अंदर बिजली की वायरिंग और सामनों को भी उखाड़कर ले भागा है। करोड़ों की लागत से बना मॉडल स्कूल की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। कोरोना काल में क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था कोरोना काल में मॉडल स्कूल भवन को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था। जिसमें दूसरे प्रदेशों से आए प्रवासियों को रखा गया था। उस समय यह भवन बेहतर स्थिति में था। क्वारंटीन में रखे गए लोगों को भी कोई असुविधा नहीं हुई थी। इसके अलावा विभिन्न चुनावों में इसे डिस्पैच सेंटर बनाया गया था। जहां से मतदानकर्मियों को उनसे संबंधित मतदान केंद्रों पर रवाना किया गया था। कुछ साल पहले पंचायत उप चुनाव की मतगणना भी इसी बिल्डिंग में हुई थी। मगर इसके बाद से इस भवन की ओर कभी किसी ने झांकना भी जरूरी नहीं समझा। नतीजा मॉडल स्कूल का भवन पानी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। सामान्य विद्यालय का संचालन किया जा सकता है केंद्र में यूपीए की सरकार जाने के बाद मॉडल स्कूल का मॉडल तो फ्लॉप हो गया। लेकिन इसके भवन का सदुपयोग शैक्षणिक कार्य के लिए किया जा सकता है। घोराही गांव के आसपास साथे, कोशडिहरा, कनौलिया, करमा, शेखपुरा, चकबारा समेत दर्जन भर गांव हैं। जहां के लड़के-लड़कियों को 9वीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए दूर दराज के स्कूलों में जाना पड़ता है। उन्हें आवागमन की असुविधा के साथ मौसम का मार भी झेलना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर मॉडल स्कूल में 9वीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की व्यवस्था कर दी जाय तो इस क्षेत्र के बच्चों को काफी सहूलियत होगी और अधिक से अधिक बच्चे स्कूल जा सकेंगे। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को पहल करने की आवश्यकता है। मगर जनता को केवल विकास का सब्जबाज दिखाते रहने वाले जनप्रतिनिधि के उदासीन रवैए के कारण मॉडल स्कूल भवन यूं हीं बेकार पड़ा है। क्या कहते हैं लोग करोड़ों रुपए की लागत से स्कूल तो बना दिया। लेकिन अभी तक यह शुरू नहीं हो सका। अधिकारी भी स्कूल बनाकर भूल गए। दो साल के बाद भी स्कूल शुरू नहीं हो सका। इसे शुरू करना चाहिए, ताकि शासन के रुपयों का सही उपयोग हो सके। साथ ही विद्यार्थियों को इसका लाभ मिले। संतोष शर्मा, ग्रामीण, करमा इस स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। सरकार को जल्द से जल्द मॉडल स्कूलों के संचालन के लिए दिशा निर्देश जारी करना चाहिए। शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए एवं बजट आवंटित करना चाहिए। विद्यालय भवन के क्षतिग्रस्त किए गए हिस्से की मरम्मत करना चाहिए। अशोक सिंह, ग्रामीण, साथे घोराही गांव में मॉडल स्कूल में योजना के तहत विद्यालय का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। फिलहाल इस भवन में नौवीं एवं दसवीं कक्षा के बच्चों के लिए सामान्य विद्यालय का संचालन किया जाना चाहिए। इससे घोराही, साथे, कोशडिहरा, कनौलिया, करमा, शेखपुरा, चकबारा गांव के बच्चों को पढ़ाई में सहूलियत होगी। रामविलास यादव, ग्रामीण, शेखपुरा करोड़ों की लागत से बने मॉडल स्कूल भवन में 9वीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे आसपास के दर्जन भर गांवों के बच्चों को पढ़ाई में सुविधा होगी। विद्यालय नजदीक होने से बच्चों को बीच में ही पढ़ाई नहीं छोड़नी पड़ेगी। ग्रामीण बच्चे भी कम से कम इंटर तक की पढ़ाई आसानी से कर सकेंगे। सुरेंद्र व्यास, ग्रामीण, कोशडिहरा क्या कहते हैं जिम्मेदार घोराही गांव में बना मॉडल स्कूल रोह इंटर विद्यालय के तहत है। वहां पठन पाठन की कोई व्यवस्था नहीं होने से भवन खाली पड़ा है। अज्ञात असामाजिक तत्वों ने गेट तोड़ दिया है और खिड़कियों के शीशे तोड़ डाले हैं, किवाड़ एवं चौखट तक उखाड़ लिया गया है। भवन की मरम्मत और बाउंड्री के लिए संबंधित अधिकारी को लिखा जा चुका है। विभाग द्वारा मॉडल स्कूल में शिक्षकों की पोस्टिंग की जाती है और संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं तो बच्चों की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। अजय कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक, इंटर विद्यालय रोह
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