Hindi NewsBihar NewsNawada NewsHistoric Rath Yatra of Lord Jagannath in Hisua A Tradition Since 1897

हिसुआ में भक्तिभाव से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

हिसुआ, संवाद सूत्र।प्रत्येक वर्ष की तरह आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि पर शुक्रवार को नगर परिषद हिसुआ के वार्ड नंबर 27 नंदलाल बिगहा स्थित ऐतिहासिक श्री हरमंदिरजी से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाSat, 28 June 2025 04:08 PM
share Share
Follow Us on
हिसुआ में भक्तिभाव से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

हिसुआ, संवाद सूत्र। प्रत्येक वर्ष की तरह आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि पर शुक्रवार को नगर परिषद हिसुआ के वार्ड नंबर 27 नंदलाल बिगहा स्थित ऐतिहासिक श्री हरमंदिरजी से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई। वैदिक मंत्रोच्चारण से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। इस अवसर सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित हुए और इस ऐतिहासिक परम्परा के साक्षी बने। मंगलाचरण के पश्चात निकाली गई शोभा यात्रा के दौरान मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र जी की प्रतिमा को विधिवत स्न्नान कराने के पश्चात नया वस्त्र पहनाया गया। उसके बाद विधिवत पूजा अर्चना के बाद मंगलचरण कर उन्हें रथ पर बिठाकर गाजे-बाजे के साथ सर्वप्रथम गांव स्थित देवी मंदिर लाया गया।

उसके बाद रथ यात्रा हिसुआ बाजार की ओर रवाना हुई। मेन रोड होते हुए स्टेशन रोड स्थित ऐतिहासिक बड़ा शिवाला लाया गया। जहां आरती मंगल के पश्चात हिसुआ थाना परिसर पहुंचा। जहाँ लोगों नें दर्शन किया। वापस श्री हरमंदिरजी पहुंचकर यात्रा संपन्न हुई। इस दौरान लोगों में काफी श्रद्धा देखा गया। भगवान का प्रसाद भी लोगों के बीच वितरण किया गया। 1897 से लगातार निकाली जाती है रथ यात्रा हिसुआ के इस मंदिर के स्थापना काल से ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निरंतर निकाली जाती है। मंदिर के सेवायत का कहना है कि इसके निर्माण काल रहे वर्ष 1897 से हीं प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान का क्षेत्र भ्रमण कराये जाने की परम्परा रही है। जिसका अनुपालन अबतक जारी है। इस ऐतिहासिक दिन का लोगों को काफी उत्सुकता से इंतजार रहता है। जिसके साक्षी बन लोग खुद को भाग्यशाली समझते हैं। जमाने के साथ बदल गया रथ का स्वरूप समय के साथ रथ यात्रा का स्वरूप भी बदल गया है। गांव के बड़े बुजुर्गों के मुताबिक, वर्षों पूर्व बैलगाड़ी के उपर बांस के बनाए गए रथ में बिठाकर भगवान को नगर भ्रमण कराया जाता था। लेकिन अब ना तो बैल रहा और ना ही बैलगाड़ी। गिने चुने लोगों के कारण परम्परा का निर्वहण किया जा रहा है। रथ यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान जगन्नाथ का अपने भाई और बहन के साथ भक्तों के बीच वार्षिक भ्रमण होता है। इस दौरान भक्तगण अपने बीच भगवान का दर्शन कर सजीव भक्ति अनुभव करते हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें