जीविका ने दी आजीविका,पोशाक व पहचानपत्र भी मिले तो दूर हो दुश्वारी
मुजफ्फरपुर की महिलाएं जीविका कार्यक्रम के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं और लखपति दीदी के रूप में पहचान बना रही हैं। हालांकि, पहचान पत्र, सुरक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन की सुविधाओं की कमी के कारण...
मुजफ्फरपुर। महिला सशक्तीकरण को जीविका के जरिए जमीन पर उतारने की परिकल्पना मूर्त रूप लेने लगी है। जिले की महिलाएं आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ लखपति दीदी के रूप में नजीर बन चुकीं हैं। जीविका के जरिये महिलाओं को आजीविका से जोड़ने की सरकार की पहल रंग तो ला रही है, मगर उनका कहना है कि कुछ और सुविधाएं मिलें तो वे और बेहतर कर सकेंगी। आईडी नहीं होने से क्षेत्र में उनके सामने पहचान का संकट है। दीदियों का कहना है कि उन्हें पहचानपत्र और पोशाक मिले तो उनमें आत्मविश्वास आएगा। इसके अलावा सुरक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन की सुविधाएं मिलें तो उन्हें काम करने में और भी सुविधा होगी।
जीविका दीदियों का कहना है उन्हें पूरा भरोसा है कि उनकी ये मांगें सरकार तक पहुंचेंगी और सार्थक प्रयास भी होंगे। जीविका ने महिलाओं को आजीविका का साधन देने के साथ ही उन्हें सशक्तीकरण की ओर कदम बढ़ाना सिखाया है। विभिन्न तरह के प्रशिक्षण लेकर महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में पहचान बनाई हैं। इन सबके बावजूद आज भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते इन महिलाओं के कदम सुरक्षा और सरकारी योजनाओं के लाभ तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। घर से बाहर काम पर निकलने में परिवहन, स्वास्थ्य सुविधा, पहचानपत्र और ड्रेस कोड नहीं होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जीविका से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि हमारे सशक्तीकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। इसका लाभ लेकर हम जैसी हजारों महिलाओं ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
सतत जीविकोपार्जन योजना और स्वरोजगार से जोड़कर महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके बाद भी हमारे सामने शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और परिवहन जैसे मुद्दे हैं, जिनपर सार्थक पहल की जरूरत है। हमें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से रोजगार के अवसर मिले हैं, मगर आज भी कई जरूरतमंद महिलाएं इससे वंचित हैं। महिलाओं ने कहा कि हम काम जीविका के कैडर समेत अन्य पदों पर कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर हमें हर दिन काम को लेकर गांव-गांव का चक्कर लगाना होता है। कई बार समूह में या किसी खास वर्ग-क्षेत्र में हमसे हमारी पहचान पूछी जाती है। मजाक उड़ाया जाता है कि सब महिलाएं ही जीविका की कैडर हैं। ऐसे में हमारी पहचान पर ही सवाल खड़ा हो जाता है। महिलाओं ने मांग की कि विभाग की ओर से एक पहचानपत्र उपलब्ध कराया जाए। इससे कहीं जाने पर समस्या का सामना न करना पड़े। यही नहीं, अगर महिलाएं किसी कार्यालय या कहीं अन्य जगह पर जाती हैं तो उनकी एक अलग पहचान होगी।
ड्रेस कोड से दीदियों में जगेगा आत्मविश्वास :
महिलाओं ने कहा कि पंचायत से लेकर जिला स्तर पर हमलोगों को अलग-अलग पद मिला हुआ है। जीविका की महिलाओं की अलग पहचान के लिए ड्रेस कोड भी होना चाहिए। इससे महिलाओं को लगेगा कि वे भी एक विभाग के तहत काम कर रही हैं और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। महिलाओं ने कहा कि लंबे समय से हम मानदेय की बढ़ोतरी की मांग कर रही थीं। इसमें बढ़ोतरी हुई है, मगर हमें अन्य सुविधाएं भी सरकारी विभाग के कर्मी के तौर पर दी जानी चाहिए। महिलाओं ने कहा कि हमारी पहचान भले ही जीविका कैडर के तौर पर है, मगर स्थिति यह है कि आज भी सभी महिलाओं को योजनाओं के लाभ के लिए कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं। बच्चों की शिक्षा के लिए ऋण लेना हो या वृद्धा पेंशन का लाभ, इन सबके लिए दफ्तरों के चक्कर काट कर थक जाते हैं। महिलाओं ने कहा कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि सरकारी योजनाओं के लाभ तक हमारी पहुंच आसान हो।
मुद्दे ये भी :
1. पंचायतों में हो दीदी की रसोई और सिलाई केन्द्र
दीदी की रसोई से जुड़कर बड़ी संख्या में महिलाओं के लिए प्रगति का रास्ता खुला है। अगर हर पंचायत में दीदी की रसोई की व्यवस्था हो तो ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। इसके साथ ही ऐसी महिलाएं, जिनके पास खाना बनाने का हुनर है, वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी। महिलाओं ने मांग की कि हर पंचायत में सिलाई केन्द्र खोले जाएं। इससे महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिल सकेगा। कहा कि कृषि के क्षेत्र में काम कर रही जीविका दीदियों को नई तकनीक से जोड़ा जाए, जिससे बड़ी संख्या में महिलाएं इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। महिलाओं ने कहा कि घर बैठे रोजगार के विकल्पों पर ज्यादा जोर दिया जाए और उत्पाद के लिए स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराया जाए तो महिलाएं बड़ी संख्या में आत्मनिर्भर होंगी और सूबे की तरक्की में हाथ बंटाएंगी।
2. ब्याज दर हो कम, मिले एक फीसदी पर पर्सनल लोन
महिलाओं ने कहा कि जीविका से जुड़ी महिलाओं के लिए ब्याज दर और भी कम हो। बैंक से ऋण लेने की प्रक्रिया आसान बनाई जाए। यही नहीं, एक फीसदी ब्याज दर पर हमें ऋण उपलब्ध कराया जाए। इससे ऐसी महिलाएं, जो बैंक के चक्कर और जटिल लोन प्रक्रिया के कारण स्वरोजगार नहीं कर पाती हैं, वे भी आगे बढ़ने की हिम्मत कर पाएंगी। इसके साथ ही उन्हें व्यवसाय की शुरुआत में ब्याज चुकाने का डर नहीं सताएगा। महिलाओं ने कहा कि कई बार बैंक के चक्कर काटते-काटते परेशान हो जाते हैं। ग्रामीण महिलाओं को बैंकों की ओर से अपेक्षित सहयोग नहीं किया जाता। इसके कारण महिलाएं हिम्मत ही नहीं जुटा पाती हैं। बैंकों का रवैया अगर सकारात्मक हो और लोन देने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए तो हमलोगों को स्वरोजगार करने में बड़ी मदद मिलेगी।
बोले जिम्मेदार :
जीविका बिहार सरकार के सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर काम कर रही है। आने वाले दिनों में हर तरह की समस्याओं के समाधान के लिए सभी विभागों के साथ सामंजस्य बिठाकर काम किया जाएगा। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से दीदियां सशक्त हुई हैं। उनके बेहतर विकास के लिए आगे भी अच्छा कार्य किया जाएगा।
-अनीशा, डीपीएम
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