सुविधाएं अधूरी, महंगी दवा बाहर से लाने की मजबूरी
मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज में एमसीएच की स्थिति बहुत खराब है। मरीजों को दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है और ऊपरी तल पर पानी की व्यवस्था नहीं है। वार्ड में गंदगी और खराब पंखों के कारण गर्भवती...
मुजफ्फरपुर। श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में एमसीएच तो पांच मंजिला बना दिया गया है, लेकिन दवा भी बाहर से लेनी पड़ रही है। ऊपरी तल पर पानी का इंतजाम नहीं होने से मरीज या परिजन को नीचे आना पड़ता है। वार्ड में पसरी गंदगी के कारण जच्चा-बच्चा में संक्रमण का खतरा बना रहता है। मरीजों के आने-जाने के लिए लगी लिफ्ट भी बंद है। यहां भर्ती मरीज के परिजनों की शिकायत है कि एमसीएच में 25 डॉक्टरों के अलावा नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ की तैनाती के बावजूद समय पर मरीज को देखने डॉक्टर नहीं आते हैं। इनका कहना है कि उत्तर बिहार के जिलों से रेफर होकर ज्यादातर गरीब परिवार की गर्भवती महिलाएं यहां आती हैं।
अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त हो जाए तो बड़ी राहत मिलेगी। श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज के मातृ-शिशु अस्पताल (एमसीएच) में सामान्य प्रसव से लेकर सिजेरियन ऑपरेशन तक होता है। इस अस्पताल में लगभग 300 मरीजों का इलाज हर दिन किया जाता है। इसके अलावा प्रतिदिन लगभग 50 महिलाओं का प्रसव भी कराया जाता है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि अस्पताल में सभी दवाएं नहीं मिलती हैं। कई महंगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं, जिसके कारण गरीब मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं के इलाज के लिए एसकेएमसीएच में 100 बेड का यह अस्पताल बनाया गया है। इस अस्पताल में प्रसव पूर्व वार्ड से लेकर प्रसव के बाद गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराने के लिए वार्ड बने हुए हैं। इसके अलावा लेबर रूम और जांच की सुविधा भी इसी अस्पताल भवन के अंदर है। एसकेएमसीएच के एमसीएच में मुजफ्फरपुर से लेकर उत्तर बिहार के अन्य जिलों से गर्भवती महिलाएं प्रसव औ इलाज के लिए पहुंचती हैं। एमसीएच में इलाज के लिए पहुंचने वाली महिलाएं ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र की होती हैं। पीएचसी और सदर अस्पताल से रेफर होकर एसकेएमसीएच के एमसीएच पहुंचती हैं। कई गर्भवती महिलाएं गंभीर हालत में इलाज के लिए एमसीएच रेफर की जाती हैं। मातृ-शिशु अस्पताल में भर्ती कई मरीजों के परिजनों ने बताया कि उन्हें कई महंगी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। एमसीएच में भर्ती मेनका देवी को ऑपरेशन से बच्चा हुआ है। उनके पति ने बताया कि ऑपरेशन से पहले जो इंजेक्शन मरीज को लगाया गया, वह हमलोगों ने बाहर से खरीदा था। कई मरीजों के परिजनों ने बाहर से महंगी दवाइयां खरीदने की बात कही। परिजनों ने कहा कि हमें यहां के कर्मचारी ही बताते हैं कि कुछ दवाइयां बाहर से खरीदनी होंगी। एमसीएच में बाहर से दवा खरीदने की शिकायत पहले भी आ चुकी है। इसके अलावा कुछ दिनों पहले मरीजों को दवा रिएक्शन का मामला भी एमसीएच में सामने आ चुका है। दवा रिएक्शन के बाद कई मरीजों की तबीयत खराब हो गई थी।
कई पंखे खराब, पानी का इंतजाम भी नहीं :
एमसीएच के कई वार्ड में पंखे नहीं चल रहे हैं। मरीज खुद खरीद कर पंखे ला रहे हैं। मरीजों के परिजनों ने कहा कि इतनी गर्मी है कि नवजात शिशु गर्मी से बेहाल हो जा रहा है। अस्पताल में कई पंखे खराब हैं, इसलिए हमलोग खुद अपना पंखा खरीद कर लाये हैं, ताकि गर्मी से गर्भवती और नवजात की तबीयत न खराब हो। कई मरीजों ने बताया कि एसी भी ठीक से काम नहीं कर रहा है। वार्ड में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि ऊपरी तल पर पानी का इंतजाम नहीं है। पानी पीने के लिए नीचे जाना पड़ता है। अस्पताल में परिसर से बाहर जाकर पानी लाना पड़ता है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि एमसीएच के अंदर और बाहर कई जगह गंदगी पसरी हुई है। एमसीएच के बाहर बोरियों में कचरे को फेंक दिया गया है। एमसीएच को पूरी तरह संक्रमण मुक्त स्थल के तौर पर विकसित होना चाहिए। गंदगी रहने से नवजातों को संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके अलावा गर्भवती और प्रसूताओं को भी संक्रमण होने का खतरा रहता है। एमसीएच परिसर में बहते गंदे पानी से मरीजों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
बोले जिम्मेदार :
वार्ड में जो भी परेशानी है, इसके बारे में अधीक्षक कार्यालय को जानकारी दे दी गई है। एसी क्यों काम नहीं कर रहा था, यह पता करना पड़ेगा। सभी दवाइयां जब मौजूद हैं तो मरीजों को बाहर से दवा क्यों खरीदनी पड़ी है, इसके बारे में डॉक्टरों से पूछा जाएगा। सफाई के लिए सुपरवाइजर को सख्त हिदायत दी गई है।
डॉ. प्रतिमा, विभागाध्यक्ष, स्त्री व प्रसूती रोग
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