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परिवार को थामें या जॉब को, समझ नहीं आ रहा सर...

मुजफ्फरपुर की महिला शिक्षिकाएं नौकरी और परिवार के बीच फंसी हुई हैं। कई शिक्षिकाओं ने स्थानांतरण आदेश के बाद अपने परिवार को बचाने की गुहार लगाई है। उनके पास न तो ससुराल है और न ही मायका। कुछ शिक्षिकाएं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSat, 28 June 2025 02:28 AM
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परिवार को थामें या जॉब को, समझ नहीं आ रहा सर...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। परिवार को पकड़ें या जॉब को, समझ से बाहर है सर...। मैं तो न ससुराल में हूं और न ही मायके में। 18 साल से सारण में नौकरी कर रही हूं। अभी जब स्थानांतरण का आदेश आया तो लगा कि ईश्वर ने रहम की है, मगर मुझे तो जिला तक आवंटित नहीं हुआ। कुछ कीजिये, नहीं तो मैं मर जाऊंगी। शुक्रवार को शिक्षा कार्यालय में अपनी पीड़ा को बयां करतीं ऐसी कई शिक्षिकाएं फफक पड़ीं। अन्य जिलों में पदस्थापित मुजफ्फरपुर की दर्जनों महिला शिक्षकों ने अपने परिवार को बचाने की गुहार लगाई है। महिला शिक्षकों ने कहा कि सर कुछ कीजिए, नहीं तो अब हमें घर से भी अल्टीमेटम मिल रहा है।

इन महिला शिक्षकों में कई की पीड़ा यह थी कि उन्हें जिला मिला भी तो स्कूल आवंटित नहीं हुआ। महिलाओं ने कहा कि जो मायके में हैं, उन्हें पति और बच्चों के साथ रहने की उम्मीद जगी थी। यह उम्मीद टूटी, मगर एक आस है कि मायके में तो हैं। हममें से दर्जनों ऐसी हैं जो न मायके में हैं और न ही ससुराल में। चार साल पहले पति की मौत हो गई, घर में बेटी और बुजुर्ग पिता गयाजी में नौकरी कर रहीं अनीता ने कहा कि चार साल पहले पति की मौत हो गई। ससुराल में कोई नहीं है। मायके में बुजुर्ग पिता और मेरी एक छोटी सी बेटी है। 11 साल हो गए नौकरी करते हुए। लगा था कि अब कृपा हुई है और नौकरी करते हुए बेटी की देखभाल कर पाऊंगी, लेकिन अब लगता है कि रास्ते और भी दुश्वार हो गये हैं। बेटी मानसिक तौर पर अस्वस्थ, मैं अकेली 18 साल से सारण में हूं रेहाना ने कहा कि बेटी मानसिक तौर पर अस्वस्थ है। नौकरी के कारण उसे समय नहीं दे पाती, क्योंकि पूरा परिवार मुजफ्फरपुर में है। मैं पिछले 18 साल से सारण में हूं। जो दो-तीन साल पहले नौकरी में आए, उन्हें मनचाहा पदस्थापन मिल गया। मुझे जिला भी आंवटित नहीं हुआ है। अब समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। अब ससुराल से मिल रही है धमकी, परिवार छोड़ो या नौकरी नेहा ने बताया कि 13 साल से मायके में रहकर नौकरी कर रही हूं। जो 10 पंचायतों का विकल्प दिया था, उनमें एक भी नहीं मिला है। अब ससुराल वाले धमकी दे रहे हैं कि परिवार छोड़ो या नौकरी। क्या हम महिलाएं हमेशा इसी तरह से अशक्त रहेंगे। क्या करें हम, कुछ समझ नहीं आ रहा है। नेहा की बातें अभी अधूरी ही थीं कि उनकी आंखें भर आयीं। एक विषय में दो शिक्षकों के रहने पर प्राचार्य नहीं करा रहे योगदान शिक्षा कार्यालय में कई शिक्षक यह गुहार लेकर पहुंचे थे कि स्कूल में पहुंचने पर उन्हें योगदान नहीं कराया जा रहा है। दरभंगा समेत विभिन्न जिलों से पहुंचे शिक्षकों ने कहा कि हेडमास्टर कह रहे हैं कि जिस विषय में आपका आवंटन हुआ है, उसमें पहले से शिक्षक हैं। डीईओ ने कहा कि सभी हेडमास्टर को निर्देश दिया गया है कि जिन्हें जो विद्यालय आवंटित हुआ है, उसमें योगदान हर हाल में कराना है।

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