जलस्रोतों के संरक्षण व डीप बोरिंग पर रोक से खत्म होगा पानी संकट
पूर्वी चंपारण में भू-गर्भ जलस्तर तेजी से गिर रहा है। पर्यावरण असंतुलन, पेड़ कटाई और अधिक बोरवेल खुदाई के कारण जलस्तर में औसतन 12-21 फीट की कमी आई है। असमय बारिश और जलवायु परिवर्तन भी समस्या को बढ़ा...
शहर के विभिन्न मोहल्लों में भू-गर्भ जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। पर्यावरण असंतुलन, प्राकृतिक जलस्रोतों की उपेक्षा, शहरीकरण के लिए पेड़ों की लगातार कटाई व सरकारी नियमों की अनदेखी कर लगातार कराई जा रही डीप बोरिंग की वजह से भू-गर्भ जलस्तर तेजी से नीचे भाग रहा है। लोगों को पेयजल की व्यवस्था के लिए रोजाना भागदौड़ करनी पड़ रही है। डॉ. अजय कुमार, मुन्ना गिरि, रवि नारायण राय, प्रमोद कुमार सिन्हा, अशोक कुमार सिंह, ब्यंकटेश शर्मा आदि ने बताया कि पूर्वी चंपारण जिले में भू–गर्भीय जलस्तर (ग्राउंड वाटर लेवल) में तेजी से गिरावट हो रही है। कृषि व गार्डेनिंग के बढ़ते दबाव और हैंडपंप के बढ़ते उपयोग के चलते जलस्तर औसतन 12–21 फिट नीचे जा चुका है।
बिहार सरकार की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में भी पूर्वी चंपारण का प्री‑मानसून जलस्तर 2020 में 5.52 मीटर से 2021 में 6.12 मीटर नीचे गिरा पाया गया था, जो संकेत करता है कि इस गिरावट का अधिकतर कारण मानव संचालित ड्रिलिंग और हैंडपंप का अत्यधिक उपयोग है। असमय बारिश से वाटर रिचार्ज में गिरावट : पियुष रंजन, जिशु गिरि, कामेश्वर ठाकुर, दीपक कुमार, अमन श्रीवास्तव, सोनू चौधरी, मुन्ना दुबे आदि ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं वर्षा में अनियमितता की वजह से भी भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। पहले मानसून में मुख्य रूप से जून से सितंबर के बीच 80% बारिश होती थी। अब बारिश की कमी या असमय बारिश से वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता है। नेपाल की ऊपरी नदियों में बारिश से बाढ़ तो आती है, लेकिन बाढ़ का पानी जल्दी ही बहकर निकल जाता है। इससे वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता है। पेड़ों की लगातार कटाई कर शहर बसाए जा रहे हैं। शहरीकरण और कृषि विस्तार से पानी सतह पर से तेजी से बह जाता है। बोरवेल व ट्यूबवेल पर नियंत्रण का अभाव : रवि नारायण राय,पवन कुमार, रौशन अली, मुन्ना गिरि ने कहा कि शहर व आसपास के क्षेत्रों में बोरवेल खुदवाने व अवैध रूप से हैंडपंप लगाने का कोई सख्त नियम नहीं होने से अधिकतर जगह डीप बोरिंग होने लगी है। डीप बोरिंग से आसपास के घरों में जलस्तर की परेशानी शुरू हो जाती है। शहर के विभिन्न हिस्सों में सड़क किनारे धड़ल्ले से वाशिंग पिट स्थापित कर वाहनों की धुलाई की जा रही है। इन स्थानों पर डीप बोरिंग कराया गया है। इससे भी पानी की खूब बर्बादी हो रही है। पेयजल के लिए डीप बोरिंग मजबूरी : भू-जल स्तर नीचे जाने से पीने योग्य पानी के लिए डीप बोरिंग मजबूरी बन गई है। इससे भी बोरवेल खोदने की प्रवृत्ति बढ़ी है। मोहल्लों में जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है, इससे हैंडपंप सूखने की शिकायत आम हो गयी है। टंकी में पानी नहीं चढ़ पाने से लोग घरों में सबमरसिबल लगवा रहे हैं। पानी की बर्बादी से गिर रहा भू-जल स्तर : पूर्वी चंपारण में भू‑जल स्तर गिरने के पीछे सबसे प्रमुख कारक लोगों द्वारा अधिक मात्रा में पानी का उपयोग व बर्बादी है। विशेषकर कृषि, गार्डेंनिंग, वाशिंग पिट से वाहनों की धुलाई एवं घरेलू ड्रिलिंग में पानी के सर्वाधिक उपयोग से भू-जल स्तर तेजी से भाग रहा है। साथ ही जल संरक्षण की अपर्याप्त व्यवस्था, जलवायु असंतुलन और पेड़-पौधों की लगातार कटाई से भी जल स्तर नीचे जा रहा है। इसके लिए पीएचईडी विभाग को टास्क फोर्स का गठन कर नजर रखना चाहिए।
-प्रस्तुति : पराशर प्रभात / विजय कुमार सिंह
पानी का कारोबार बढ़ा, कई मोहल्लों में लगाये गये संयंत्र
पप्पू कुमार, पवन कुमार, रौशन अली, सोनू चौधरी, अमन श्रीवास्तव आदि ने कहा कि शहर के विभिन्न गली-मुहल्लों में पानी की दिक्कत शुरू हो गई है। मोहल्लों में संयंत्र स्थापित कर जार से पानी की आपूर्ति लोगों के घरों में की जा रही है। जिन घरों में पहले एक जार पानी से काम चल जा रहा था, वहां अब रोजाना दो जार पानी की खपत होने लगी है। इन संयंत्रों में भी कई जगह डीप बोरिंग करायी गई है। इससे आसपास के घरों में दोपहर के समय चापाकल से पानी काफी कम मात्रा में निकल पाता है। स्थानीय लोगों ने बारिश के लिए आसमान की ओर निहारना शुरू कर दिया है।
शहर में जितने भी वाशिंग पीट खोले गये हैं, उन्हें ट्रेड लाइसेंस लेना है। अवैध रूप संचालन की स्थिति में जांच कर कार्रवाई होगी। वाशिंग पीट में अगर अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद किया जा रहा है व जलजमाव की समस्या उत्पन्न की जा रही तो इसकी भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, शहर में जार से पानी की सप्लाई करने वालों को भी व्यवसाय के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना है। बिना लाइसेंस के अगर वे व्यवसाय करते हैं तो यह गलत है। इसकी भी नगर निगम की ओर से जांच करायी जाएगी। -सौरभ सुमन यादव, नगर आयुक्त, मोतिहारी नगर निगम
सुझाव
1. शहर के प्राकृतिक जल स्रोतों नदी, तालाब, नहर व चेकडेम का जीर्णोद्धार हो। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
2. बोरवेल से जुड़े सरकारी नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए। इससे वाशिंग पिट बनाने पर रोक लगेगी।
3. पौधरोपण एवं जल संरक्षण को लेकर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इससे समय से बारिश होगी।
4. पीएचईडी विभाग को इसको लेकर सजग रहने की जरूरत है। पानी की बर्बादी पर रोक लगानी होगी।
5. अभियान चलाकर शहर के जलस्रोतों को भरकर धड़ल्ले से हो रहे भवन निर्माण पर रोक लगाने की जरूरत है।
शिकायतें
1. शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों नदी, तालाब, नहर व चेकडेम का जीर्णोद्धार नहीं हो रहा है। नदी व तालाब में गाद भरी है।
2. बोरवेल से जुड़े सरकारी नियमों का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। इससे धड़ल्ले से डीप बोरिंग कराये जा रहे हैं।
3. पौधरोपण एवं जल संरक्षण को लेकर कदम उठाये जाते हैं लेकिन उसकी समुचित देखभाल नहीं की जाती है।
4. शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति को लेकर पीएचईडी सक्रिय नहीं है। विभागीय अनदेखी से कई मोहल्लों में पानी बर्बाद होता है।
5. शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों को भरकर धड़ल्ले से भवन निर्माण कराया जा रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।