नदी कटाव से किसान व लोगों का प्रतिवर्ष व्यापक नुकसान
नदी कटाव से किसान व लोगों का प्रतिवर्ष व्यापक नुकसान नदी कटाव से किसान व लोगों का प्रतिवर्ष व्यापक नुकसान

नदी कटाव से किसान व लोगों का प्रतिवर्ष व्यापक नुकसान पोठिया। पोठिया प्रखंड मुख्यालय से पड़लाबाड़ी पंचायत की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है जो प्रखंड मुख्यालय के अंतिम सीमा पर अवस्थित है। पाड़लाबाड़ी पंचायत में डोंक नदी की कटाव की वजह से दर्जनों किसानों का भूमि सहित चल अचल संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। किसानों का नुकसान की वजह से वे दिन प्रतिदिन आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। हर वर्ष किसान व लोगों को नदी कटाव, बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। लोग इस समस्या का स्थायी निदान की मांग कर रहे हैं।
डोंक नदी के किनारे रहने वाले परिवार के युवक बेरोजगार होकर प्रदेश से बाहर हजारों किलोमीटर दूर दिल्ली, मुंबई, पंजाब, कर्नाटक, बेंगलुरु, सिक्किम तथा देश के कई अन्य शहरों में रोजगार लिए भटक रहे हैं। पहले ये युवक पैतृक खेती भी कर लेते थे लेकिन अब खेत नदी में कट गया तो रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश भटक रहे हैं। डोंक नदी की कटाव की वजह से पंचायत के दो दर्जन से अधिक परिवार को वर्ष 2008 के दौरान पंचायत के अन्य गांव में विस्थापित होना पड़ा। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री तथा प्रशासन से नदी की दोनों किनारों में बांध निर्माण कराए जाने की मांग की है। पड़लाबाड़ी पंचायत में डोक नदी का कटाव सबसे ज्यादा पोठिया प्रखंड का पड़लाबाड़ी पंचायत की लगभग पूरी आबादी डोंक नदी की कटाव की चपेट में है। महोगढ़ वार्ड संख्या 3 काला सिंघिया वार्ड संख्या चार,पांच व 9 हल्द गांव वार्ड संख्या तेरह, रसिया डांगी, वार्ड संख्या दो तथा पड़लाबाड़ी वार्ड संख्या तीन तथा छह के तहत वर्ष 2008 से डोंक नदी से किसानों का सैकड़ो एकड़ जमीन, पेड़ पौधे, पुस्तैनी मकान, संपत्ति नदी की तेज धार में बह गया है। पिछले वर्ष हल्दगांव के 25 परिवारो को नदी की तांडव से अन्य स्थानों पर विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा। तो वही किसानों का लहलहाते खेत नदी की तेज धार में बह जाने से आज दर्जनों से किसान बेरोजगार के कगार पर खड़ा है। जिसमें अब्दुल रशीद, हबीबुर रहमान, समीरूद्दीन, साबिर, मोहम्मद आबिद, मोहम्मद नवान, अलीमुद्दीन, मुस्तकीम, मोहम्मद जफर आदि के दर्ज दर्जनों किसान का तकरीबन पचास एकड़ जमीन नदी की कटाव में बह गया और धीरे-धीरे प्रत्येक वर्ष शेष बचे किसानों का खेती योग्य जमीन डोंक नदी की बाढ़ से रेत में तब्दील होते जा रहा है। डोंक नदी खरखारी घाट पर चचरी पुल से आवागमन की मजबूरी बनी है। व्यापारियों आम जनों तथा खासकर छात्र छात्राओं को प्रत्येक दिन बांस की बनी चाचरी पुल पर से आना-जाना नियति बन गया है। जबकि बरसात के समय नदी की जलस्तर बढ़ने पर इन आबादियों को दो किमी के स्थान पर 25 किमी का घुमावदार रास्ते होते हुए,अपने गंतव्य स्थानों तक जाना पड़ता है। यहां यह बता दें कि खरखरी मोगर डोंक नदी घाट पार करते हुए बाढ़ से प्रभावित गांव की दूरी किशनगंज ठाकुरगंज मुख्य सड़क तक पहुंचाने के लिए महज दो किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है। ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से डोंक नदी स्थित खड़खड़ी घाट पर पुल निर्माण कराए जाने हेतु प्रशासन तथा स्थानीय राजनीतिक नेताओं से मांग करते आ रहे हैं लेकिन आजादी के बाद से वर्तमान स्थिति तक पुल निर्माण नहीं हो सका है। हालांकि हाल ही के दिन में किशनगंज विधायक इजहारूल हुसैन की पहल पर पुल निर्माण हेतु पुल निर्माण निगम कटिहार द्वारा मापी कराकर प्रस्ताव को डीपीआरओ स्वकृति हेतु भेजने की पहल की गई है। पड़लाबाड़ी के लोग खेती किसानी पर निर्भर बताते चले कि पड़लाबाड़ी पंचायत के पूरी आबादी खेती तथा मजदूरी पर निर्भर है यहां के कृषक अधिकांश रवि खेती पर निर्भर रहने से किसानों को पानी पटवन हेतु पानी का जरूरी है किसानों के मुताबिक यहां एक भी सरकारी नलकूप नहीं रहने की वजह से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही निजी बोर्डिंग से खेती का सिंचाई की जा रही है। पंचायत क्षेत्र के लोगों का मानना है कि लोक नदी का कटाव पंचायत के विकास पूर्ण रूप से बाधक बने हुए हैं किसानों को अपने फसलों को नदी में पुल नहीं रहने तथा प्रतिवर्ष हो रही नदी का कटाव के कारण यहां के किसानों को अपनी फसलों को औने पौने दामों पर गांव में ही छोटे-छोटे व्यापारियों के पास बिक्री करना मजबूरी हो गया है। कटाव की वजह से धीरे-धीरे किसान खेती से विमुख होते जा रहा है। इतना ही नहीं नदी के कटाव से सैकड़ो एकड़ जमीन नदी की बीच धार में चले जाने की वजह से गांव के युवाओ को रोजगार हेतु गांव से पलायन कर रोजगार की खोज हेतु सूबे से अन्य शहरों में हजारों किलोमीटर दूरी पर रोजगार की तलाश में जाना पड़ रहा है। लगभग 90 फीसदी आबादी बाढ़ से प्रभावित पोठिया प्रखंड क्षेत्र में दो नदियां बह रही हैं। एक तरफ डोंक तथा दूसरी ओर महानंदा नदी बह रही है। दोनों ही नदियों से प्रखंड क्षेत्र की लगभग 90 फीसदी लोग बाढ़ के तांडव का शिकार होते आ रहे हैं। दोनों नदियों के तट पर बसने वाले लोग प्रत्येक वर्ष बाढ़ की चपेट का शिकार होते आ रहे हैं। जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति दिनों दिन खराब होते जा रही है। प्रखंड क्षेत्र के किसानों को इन दोनो नदियों का सर्वाधिक नुकसान झेलनी पड़ रही है। बाढ़ की वजह से खेती पर भी असर परता है। बाढ़ से सड़क व पुल पुलीया क्षतिग्रस्त होते हैं। जिससे क्षेत्र की यातायात सुविधा में भी प्रभाव पड़ता है। एक जगह से दूसरे जगह जाने में लोगो को परेशानी होती है। किसानो को पशु पालकों के लिए पशुओं को चारा की दिक्कत, बरसात के समय जब दोनो नदियों का जलस्तर बढ़ कर बाढ़ का रूप ले लेती है,तो दर्जनों ऐसे गांव है,जो लोगो के गांवों से लेकर घरों तक पानी की धार बहने लगती है। आलम यह होता की इससे प्रभावित लोग कई दिनों तक घरों से बाहर नहीं निकलते। हालांकि प्रशासन द्वारा ऊंचे स्थानों तक इन लोगो को शरण हेतु इंतजाम किया जाता है। बोले जिम्मेदार इजहारुल हुसैन, किशनगंज विधायक ने कहा कि डोंक नदी के कटाव को लेकर में काफी गंभीर हूं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से डोंक तथा महानंदा नदी के कटाव को लेकर मेरे द्वारा पत्र लिखा गया है पोठिया प्रखंड क्षेत्र में दो नदी बह रही है। डोंक तथा महानंदा दोनों ही नदी के कटाव के कारण सैकड़ो किसान परेशान हैं। प्रत्येक वर्ष में बरसात के समय नदी का जलस्तर बढ़ते ही कटा हुआ क्षेत्र का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मिलकर प्रशासन से सहायता दिलाया जाता है। इजहारुल हुसैन, किशनगंज विधायक शाद मुबारक, प्रखंड प्रमुख पोठिया ने कहा कि पोठिया प्रखंड क्षेत्र में डोंक तथा महानंदा नदी से प्रतिवर्ष किसान व यहां के लोगों का काफी नुकसान होता है। खेत, घर, सड़क नदी की कटाव से प्रभावित होते हैं। दोनों नदियों का जलस्तर बढ़ते ही नदी के दायरे में बसने वाले लोगों के माथे पर पसीना टपकने लगता है। बाढ़ तथा भारी बारिश होते ही आंचल स्थल के कार्यों का निगरानी रखी जाती है। प्रखंड क्षेत्र में दोनों नदियों के बाढ़ से किसानों के जमीनों का अनवरत हो रही कटाव एक बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ी है। इसके लिए बिहार सरकार को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। और दोनों नदियों के दायरे में बांध निर्माण कराए जाने की आवश्यकता है। जिससे कटाव को लेकर स्थाई समाधान हो सके। अलिया खातून,मुखिया ग्राम पंचायत पड़लाबाड़ी पंचायत की मुख्य समस्या डोंन नदी से हो रही कटाव है। जिसके लिए मैं पिछले कई वर्षों से बांध निर्माण हेतु सरकारी एवं प्रशासन से मांग करती आ रही हूं। प्रत्येक वर्ष नदी से हो रही कटाव की वजह से पंचायत क्षेत्र के लोगों का पुस्तैनी मकान सहित चाय पत्ती के खेत और फसल सहित किसानों का खेत नदी में प्रतिवर्ष अनवरत कटाव हो रही है। जो पंचायत के लिए एक जटिल समस्या बनते जा रही है। इसी प्रकार बरसात और बाढ़ के समय पंचायत के अधिकांश आबादी को नदी पार कर मुख्य सड़क तक जाना भी एक बड़ी समस्या है। लोगों को नदी पार कर मुख सड़क तक जाने आने के लिए खड़खड़ी मोहार घाट पर पुल नहीं होने से लोगों को छोटी-छोटी नाव पर आर पार होना पड़ता है। जिससे हमेशा खतरा बनी रहती है। मो. भज्जू, किसान, पड़लाबाड़ी में डोंक नदी के कटाव से मेरा तीन एकड़ जमीन नदी के बीच धार में बालू में तब्दील हो गया है।जिससे मेरी आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब हो गई है। नदी के दोनो दोनों किनारे में बांध का निर्माण नहीं कराया जाएगा इसका स्थाई समाधान नहीं होगा और प्रत्येक वर्ष किसान की इसी प्रकार तबाही हो बर्बादी का शिकार होते रहेगी। मो. जफर हुसैन निवासी, काला सिंघिया ने कहा कि किसानों का नदी का कटाव एक बड़ी समस्या है जिसका निदान अस्थाई रूप से केंद्र तथा राज्य सरकार को करना होगा तभी जाकर किसानों की हालात सुधर सकती है। प्रत्येक वर्ष जहां नदी का कटाव से किसान परेशान हैं। अब्दुल रसीद किसान ने कहा कि एक तरफ नदी का पर तो दूसरी ओर पंचायत के समक्ष खड़खड़ी मोगर डोंक नदी घाट पर पुल निर्माण नहीं होने से हम किसानों का जहां प्रतिवर्ष खेती योग्य जमीन बाढ़ आते फसल सहित नदी समा लेती है। पुल की अभाव के कारण किसानों को अपने फसल गांव में ही छोटे-छोटे व्यापारियों के हाथ बेचना पड़ता है। मो. अब्दुल वदूद, किसान ने कहा कि डोंक नदी के कारण पड़लाबाड़ी पंचायत के आबादी प्रत्येक वर्ष तबाही और बर्बादी को झेलते आ रहे हैं नदी बढ़ते ही जहां किसानों को अपनी खेत का कटाव होने का डर सताते रहता है। तो दूसरी और नदी का जलस्तर बढ़ते ही हम लोगों को ठाकुरगंज किशनगंज मुख्य सड़क तक पहुंचने में मिनटों की दूरी घंटो में तय करना पड़ता है। अस्पताल बैंक प्रतिष्ठान ऑन तथा अन्य आवश्यक स्थान तक पहुंचाने के लिए घुमावदार रास्ते का सहारा लेना पड़ता है जिससे समय और पैसे की बर्बादी होती है। मो. अकरम पड़लाबड़ी पंचायत के किसानों का मुख्य खेती रवि फसल है लेकिन डोंक नदी के बाढ़ आते ही खेती में अधिक पानी का जमाव हो जाने से खेती पूरी तरह नष्ट हो जाती है। यदि नदी के दोनो किनारे में बांध का निर्माण सरकार द्वारा कराया जाए तभी नदी के बाढ़ से लोगों को स्थाई रूप से निजात मिल सकेगी। इसके लिए सांसद विधायक को बिहार सरकार के समक्ष आवाज बुलंद करनी होगी। सायरा खातून, ने कहा कि पंचायत के हल्दागांव, रसियाडांगी, काला सिंधिया बाबनडूबा गांव प्रत्येक वर्ष डोंक नदी का जलस्तर बढ़ते ही पानी गांव में प्रवेश कर जाता है। जिससे लोगों को गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। लोगों का खेती पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खेती नष्ट हो जाते हैं और बाढ़ की वजह से यहां के किसान दिन प्रतिदिन कंगाल के बनते जा रहा है। तो वहीं युवक भी बेरोजगार की ओर बढ़ते जा रहा है। जिस हेतु पंचायत का विकास में पूरी तरह डोंक नदी बाधक बनकर खड़ा है। हीना परवीन, पड़लाबाड़ी पंचायत डोंक नदी के कारण विकास से कोसों दूर है। डोंक नदी की बाढ़ से पंचायत के आधी से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ की चपेट में रहने से यहां किसान अपने फसलों को मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे है। मसलन किसानो को अपना तैयार फसल लोकल बाजारों में बिक्री करना पड़ता है। यह स्थिति पिछले कई वर्षों से है। फैजुन निशा ने कहा कि बरसात के समय बाढ़ के कारण गांव तथा घरों में पानी प्रवेश कर जाता है। उफनती हुई नदी की वजह से बच्चो को नदी पार कर स्कूल कॉलेज,आम जनों को खरखरी मोहगर डोंक नदी घाट छोटी छोटी नावों से जान हथेली पीआर लेकर नदी पार होना नियति बन गया है। बरसात के समय रोगियों तथा प्रशव हेतु महिलाओं को छतरगाछ रेफरल अस्पताल या फिर सदर अस्पताल घुमावदार सड़क से सदर अस्पताल 30 किमी तथा रेफरल अस्पताल 35 किमी की दूरी तय करनी परती है। जबकि खखारी मोहगर घाट पार कर छतरगाछ 12 किमी जबकि सदर अस्पताल मात्र 20 किमी है। पप्पू, समाजसेवी ने कहा डोंक नदी पड़लाबाड़ी ही नही अपितु प्रखंड के मिर्जापुर, गोरूखाल, नौकट्टा , सरोगारा,कोलथा,छ्तारगछ,सहित रायपुर पंचायतों की भौगोलिक स्थिति की पहचान को प्रति वर्ष बाढ़ की कटाव की वजह से बदलती जा रही है। बाढ़ के कारण प्रत्येक वर्ष किसानो का लहलहाते खेत नदी के बीच धार में जाते जा रहा है। महानंदा बेसिन योजना जैसी योजना डोंक नदी के लिए भी सरकार चाहिए की लागू करे और फिलहाल बरसात से पहले तटबांधो का निर्माण कराना शुरू कर देनी चाहिए।
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