जिले में धान के बिचड़ा गिराए जाने की गति नहीं पकड़ रही है रफ्तार
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खगड़िया । नगर संवाददाता जिले में मौसम सुहाना है लेकिन अच्छी खासी बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा गिराए जाने की गति में तेजी नहीं आ पा रही है। बताया जा रहा है कि बिचड़ा गिराए जाने में धान की खेती होने में भी देरी होगी। हालांकि किसानों को बारिश की स्थिति को देखते हुए अब पटवन कर भी खेतों में बिचड़ा गिराए जाने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन किसानों का का मानना है कि अगर बारिश नियमित रूप से नहंी होगी तो आने वाले दिनों में बिचड़ा के विकास में भी परेशानी होगी और बार-बार पटवन करने की समस्या उत्पन्न होगी।
जानकारी के अनुसार जिले में 3806 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराए जाने का लक्ष्य है। यानि जिले में 38 हजार 60 हेक्टेयर में धान की खेती किए जाने का लक्ष्य निर्धारित है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 1103 हेक्टेयर यानि 29 प्रतिशत धान का बिचड़ा गिराया गया है। किस प्रखंड में कितने बिचड़ा गिराए जाने का है लक्ष्य: जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश कुमार ने शुक्रवार को बताया कि जिले में 3806 हेक्टेयर में धान के बिचड़ा गिराए जाने का लक्ष्य निर्धारित था। इसमें अलौली प्रखंड के 723.60 हेक्टेयर, बेलदौर में 1086.40 हेक्टेयर, चौथम में 643.10 हेक्टेयर, गोगरी में 664.20 हेक्टेयर, खगड़िया प्रखंड में 377.60 हेक्टेयर, मानसी में 241.60 हेक्टेयर व परबत्ता प्रखंड में 69.50 हेक्टेयर बिचड़ा गिराए जाने का लक्ष्य है। बीजोपचार करने के बाद ही गिराना चाहिए बिचड़ा: जिले में धान का बिचड़ा गिराए जाने की रफ्तार धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रही है, लेकिन हड़बड़ी में किसानों को बिचड़ा नहीं गिराना चाहिए। क्योंकि किसानों को खेतों में बिचड़ा गिराने से पहले निश्चित रूप से बीजोपचार करना चाहिए। उप परियोजना निदेशक पौघा संरक्षण श्वेता कुमारी ने बताया कि कृ षि विभाग के पौघा संरक्षण विभाग द्वारा इस संबंध में एडवाइजरी जारी की गई है। जिससे किसानों को बीजोपचार की सही जानकारी व फायदे की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल की बुआई के पूर्व फसल अवशेषों को पूरी तरह से साफ कर 25 किलो प्रति एकड़ नीम की खल्ली तथा एक किलो प्रति एकड़ ट्राइकोडर्मा को 25 किलो सड़ी हुई गोबर के खाद में मिलाकर खेत में बिखेर देना चाहिए। इससे मिट्टी का उपचार हो जाता है। मक्का व धान के बीच का कैसे करें बीजोपचार: धान के बीज के बीजोपचार करने के संबंध में उपपरियोजना निदेशक पौधा सरंक्षण श्वेता कुमारी ने बताया कि फफंुदनाशक से उपचार के लिए ट्राइकोडर्मा पांच ग्राम प्रति किलो की दर से उपचार करना चाहिए। अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत दो ग्राम प्रति किलो बीज की दर से फफूंदजनित रोग से निदान के उपचार करना चाहिए। वहीं कीटनाशक से उपचार के लिए मिट्टी जनित कीट से निजात के लिए क्लोरपाइरीफॉस बीस प्रतिशत छह मिली प्रति किलो बीज की दर से उपचार करेंअथवा इमिडाक्लोरपिड 17.8 प्रतिशत पांच मिली प्रति किलो बीज की दर से उपचार करना चाहिए। वहीं इस दौरान लोगों को सावधान भी बरतनी चाहिए। बीजोपचार के बाद चार घंटे के अंदर बीज की बुआई कर देना चाहिए। तेलहनी फसल के लिए भी बीजोपचार है जरूरी: विभाग से मिली जानकारी के अनुसार तेलहनी फसलों में भी फ फूंदनाशी, कीटनाशी व एजेप्टोबेक्टर से बीजोपचार करना चाहिए। सबसे पहले किसानों को फफूंदनाशी व कीटनाशी का प्रयोग आठ से 16 घंटे के अंतराल पर करना चाहिए। इसके बाद अंत में जीवाणु कल्चर के बीजोपचार करना चाहिए। बोले अधिकारी : किसानों को बुआई से पहले बीजोपचार निश्चित रूप से करना चाहिए। इससे किसानों के बीज शत प्रतिशत उगते हैं और कीट का भी प्रभाव पूरी तरह से खत्म हो जाता है। श्वेता कुमारी, उपपरियोजना निदेशक, पौधा संरक्षण।
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