डीएम के पहल पर पइन की स्थिति की जानकारी लेने पहुंची अधिकारियों की टीम
जमुई में किसानों को खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिकंदरा पइन के जीर्णोद्धार की कोशिशें जारी हैं, लेकिन न्यायालय में मामले के फंसने के कारण समस्याएं बनी हुई हैं। रविवार को किसानों और जमीन के दावेदारों...

जमुई, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। सैकड़ो किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिकंदरा पइन के जीर्णोद्धार को लेकर आगे आए डीएम की पहल के बावजूद किसानों की समस्याओं का समाधान दिखाई नहीं दे रहा है। दरअसल न्यायालय में पेंच फंसने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। रविवार को भी सिकंदरा के दर्जनों किसान और नहर पर अपनी जमीन का दावा करने वाले व्यक्ति के बीच तनातनी की स्थिति उत्पन्न हो गई। आखिरकार स्थानीय पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचकर मामले को शांत कराया। किसानों को यह आश्वसन दिया गया कि जल्द ही किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का उपाय किया जाएगा।
इस सहमति के बाद किसानों का गुस्सा ठंडा हुआ। बता दें कि सिकंदरा पुरानी दुर्गा के समीप बहुआर नदी से निकाली पइन की साफ सफाई को लेकर किसानों ने बैठक की थी। चंदा कर समस्या के समाधान का फैसला लिया था। यह खबर प्रकाशित होने के पश्चात जिला पदाधिकारी ने तुरंत संज्ञान लिया और लघु सिंचाई प्रमंडल जमुई के कार्यपालक अभियंता मिथिलेश कुमार को कर समस्या के निराकरण का निर्देश दिया था। कार्यपालक अभियंता पहुंचे भी और सार्थक पहल भी हो रही थी। इसी बीच रविवार को दर्जनों किसान पइन की सफाई करने पहुंचे तो जमीन पर अपना दावा करने वाले लोग सामने आ गए। यह बताना लाजिमी है कि सिकंदरा पइन की उक्त स्थल को लेकर मामला डीएम के अदालत में भी सुनवाई हुई थी। यहां सुनवाई में जिला दंडाधिकारी ने स्पष्ट किया था कि प्रश्नगत भूमि पर बाबूलाल साह एवं अन्य जमींदार से हुकुम नामा मिलने का दावा कर रहे हैं लेकिन हुकुमनामा मांगे जाने पर उन्होंने उसे प्रस्तुत नहीं किया। लिहाजा उक्त जमीन पर उनका दावा नहीं बनता है। साथ ही जिला मजिस्ट्रेट ने सरकारी अस्पताल के आगे कि उक्त जमीन को अतिक्त्रमण मुक्त कराने का भी आदेश दिया था। उक्त आदेश के खिलाफ ही बाबूलाल साह एवं अन्य ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां से उक्त स्थल को लेकर यथा स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद ही किसानों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इस समस्या का समाधान कैसे निकालते हैं। हाई कोर्ट में जिला प्रशासन का पक्ष कितनी मजबूती से रखी जाती है, इसे भी देखना होगा। यहां के किसान बताते है कि सिकंदरा पइन का अस्तित्व तकरीबन 108 साल पुराना है। उक्त पइन से सिकंदरा लोहंडा एवं पचमहुआ और लहिला गांव की भूमि सिंचित होती रही है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पइनकी जमीन की जमाबंदी आखिर पूर्व के अंचल अधिकारी ने किस तरह लगा दी। इस मामले को भी जिला प्रशासन को देखना होगा। पूर्व के जिलाधिकारी के आदेश में यह स्पष्ट कि दावा करने वाले व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रकार का कागजात साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया। इस मामले में अगर एक कमेटी बनाकर जांच कर दी जाती है तो पूर्व के अधिकारियों के करतूत की पोल खुल सकती है। किसानों ने पूर्व अंचल अधिकारी सौरभ सुमन, राजस्व कर्मचारी छोटे लाल यादव, आमीन मुकेश यादव पर पूर्व मुखिया पति बाबूलाल साहू, पूर्व सरपंच अशोक चौधरी के साथ मिली भगत कर जाली कागज के आधार पर रसीद काटने की बात कही। यह भी कहा कि रशीद और मापी के आधार पर हाई कोर्ट में दावा करना शुरू किया गया। जिला पदाधिकारी से बगैर किसी आधार के रसीद काटने के लिए जिम्मेवार तत्कालीन अंचल अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारी व जमीन की माफी कर देने वाले अमीन के विरुद्ध कार्रवाई की भी मांग की है।
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