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नदियों मे पानी नही आने से किसानों का जीवन प्रभावित

नदी का पानी जब खेतों में फैलता था तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती थी, जिले और प्रखंड से होकर बहने वाली नदियो मे पानी का प्रवाह लगातार कम हो रहा है। जिसका असर नदी तट पर बसे गांव मे देखा जा रहा है।

Newswrap हिन्दुस्तान, जहानाबादSun, 8 June 2025 10:06 PM
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नदियों मे पानी नही आने से किसानों का जीवन प्रभावित

नदी का पानी जब खेतों में फैलता था तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती थी नदी तट पर स्थित गांव में मवेशी पालन में नदी के पानी से होती थी सुविधाए मखदुमपुर, निज संवाददाता। जिले और प्रखंड से होकर बहने वाली नदियो मे पानी का प्रवाह लगातार कम हो रहा है। जिसका असर नदी तट पर बसे गांव मे देखा जा रहा है। मखदुमपुर क्षेत्र से मोरहर, दरधा, यमुने, फल्गु नदिया बहती है। लेकिन हाल के वर्षों में सभी नदियों में पानी का बहाव कम हो रहा है। सभी नदियां बरसाती है, फिर भी पहले नदियो मे अप्रैल माह तक धारा बनी रहती थी।

पानी कम आने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। रामपुर गांव के पूर्व मुखिया अवधेश शर्मा ने बताया कि मेरे गांव के बगल से यमुने नदी बहती है। नदी मे चैती छठ तक पानी रहता था। लेकिन अब अक्टूबर माह मे ही सुख जाती है। नदी सूखने से लोगों को परेशानी हो रही है। पहले पर्याप्त मात्रा में नदी में मछली आती थी। बहुत लोगों का जीवन यापन चलता था। मल्लाह और बिंद जाति के लोग नदियों से मछली पकड़ते थे और उसे गांव गांव जाकर बेचते थे। इससे उन्हें अच्छी कमाई हो जाती थी। वही गरीब तबके के लोग नदियों से मछली पकड़ खाते थे। उन्हें मछली के रूप में पौष्टिक भोजन मिल जाता था। किसानों को सिंचाई करने में सुविधा होती थी। किसान रघु शर्मा कहते हैं कि नदी का पानी जब खेतों में फैलता था तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती थी। नदी तट पर स्थित गांव में मवेशी पालन मे सुविधाए होती थी। सागरपुर गांव के पशुपालक श्याम सुंदर सिंह कहते हैं कि नदी में जानवरों को गर्मी के मौसम में धोने में काफी सहूलियत होती थी। गांव के युवा लोग तैराकी करते थे। बुजुर्ग रामप्रवेश प्रसाद कहते हैं कि अब सरकार बच्चों को तैराकी सीख रही है। जबकि पहले नदियों में पानी आता था तो किशोर उसमें नहाते थे और नहाने के क्रम में ही तैराकी भी सीख जाते थे। कचनावा गांव के संजय कुमार ने बताया कि हमारे गांव बगल से दरधा नदी गुजरती है। नदी में पहले प्राप्त मात्रा में पानी आता था। जिससे सिंचाई के साथ मछली खाने को मिलता था। अब पानी कम आता है। गांव की महिलाओं को बर्तन धोने में काफी आसानी होती थी लोग स्नान करते थे। भीमपुरा गांव के नवलेश शर्मा ने बताया कि मोर बांध के बाद नदी मे पानी तो आता है फिर भी अक्टूबर के बाद नदी सुख जाती है। नदी में पानी नहीं आने से वाटर लेवल नीचे जा रहा है। नदी का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। फोटो- 08 जून जेहाना- 19 कैप्शन- मखदुमपुर प्रखंड के कचनावां के पास सूखी दरधा नदी।

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