क्या आंदोलन-वादों से दबाव में आ गई नीतीश सरकार? 15000 पदों पर बहाली में डोमिसाइल नीति लागू
सरकारी नौकरी में डोमिसाइल पॉलिसी पर 2023 से ही ना-ना कर रही नीतीश कुमार की सरकार चुनावी साल में आखिरकार इस मसले पर दबाव में आ गई दिखती है। सम्राट चौधरी ने ऐलान किया है कि 15 हजार स्कूली पदों पर बहाली में अधिवास नीति लागू होगी।

बिहार में शिक्षक भर्ती के पहले चरण में 2023 में अधिवास नीति हटा देने के बाद से नीतीश कुमार की सरकार गवर्नमेंट जॉब्स में डोमिसाइल पॉलिसी लागू करने के सवाल पर विधानसभा से सड़क तक लगातार ना-ना करती रही है। लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव के 100 फीसदी डोमिसाइल के चुनावी वादे और पटना में डोमिसाइल समर्थक प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार दबाव में आती दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने ऐलान कर दिया है कि सरकारी स्कूलों में गैर शिक्षकीय 15000 पदों पर बहाली में डोमिसाइल नीति लागू होगी।
सम्राट के ऐलान से यह स्पष्ट नहीं है कि कितनी नौकरियां बिहार के लिए आरक्षित होंगी। लेकिन विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले डोमिसाइल पर नीतीश सरकार के रवैए में बड़ा बदलाव आ गया है। विपक्ष तो विपक्ष, एनडीए में शामिल जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी डोमिसाइल के समर्थक हैं। सरकार के हृदय परिवर्तन की वजह राजनीतिक लग रही है, क्योंकि चुनाव सिर पर हैं। विपक्ष के वादे अपनी जगह तो हैं ही, साथ में राज्य भर में स्वतंत्र रूप से छात्र-छात्राएं आंदोलन कर रहे हैं। 5 जून को भी पटना में प्रदर्शन हुआ और स्टूडेंट्स सात दिन का अल्टीमेटम देकर गए हैं। उसके बाद ही सम्राट ने पुस्तकालयाध्यक्ष, लिपिक और चपरासी के 15000 पदों पर बहाली में डोमिसाइल लागू करने की घोषणा की है।
बिहार के स्कूलों में 15 हजार पदों पर भर्ती में लागू होगी डोमिसाइल नीति, सम्राट चौधरी का ऐलान
2020 के विधानसभा चुनाव में 10 लाख सरकारी नौकरी देने के तेजस्वी के वादे से रोजगार चुनावी मुद्दा बन गया था। पहले तो नीतीश और तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी कहते रहे कि कहां से नौकरी देगा। लेकिन चुनाव से पहले ही भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में तीन लाख सरकारी नौकरी समेत 19 लाख रोजगार का वादा कर दिया। फिर सरकार बनी तो शिक्षक भर्ती नियमावली में डोमिसाइल को रखा गया। लेकिन जून 2023 में इसे हटा लिया गया।
तब महागठबंधन की सरकार थी और तेजस्वी डिप्टी सीएम थे। कांग्रेस ने इस मसले पर नीतीश का समर्थन किया था क्योंकि उसे राष्ट्रीय राजनीति देखना था। टीचर भर्ती के पहले चरण की परीक्षा का जब फाइनल रिजल्ट निकला तो सरकार ने इस बात का खूब प्रचार किया कि 1,20,336 सफल परीक्षार्थियों में 88 परसेंट बिहार के ही हैं। सिर्फ 12 फीसदी नौकरी बाहर वालों को मिली है।
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जब डोमिसाइल का प्रावधान शिक्षक भर्ती से हटाया गया तब शिक्षा विभाग राजद के चंद्रशेखर के पास था। जब 2024 में सरकार गिर गई तब चंद्रशेखर ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति के लिए नीतीश ने डोमिसाइल हटाने की जिद पकड़ ली थी और तेजस्वी के लाख विरोध के बाद भी हटवाया। कहा जाता है कि नीतीश और तेजस्वी के रिश्ते बिगड़ने में डोमिसाइल भी एक वजह थी, जिसका नतीजा ये हुआ कि जनवरी 2024 में दोनों दूसरी बार अलग हो गए।
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विधानसभा में राजद, सीपीआई-माले समेत विपक्ष के कई विधायक डोमिसाइल का सवाल उठाते रहे हैं लेकिन नीतीश सरकार का जवाब यही रहा कि 60 फीसदी आरक्षित पदों पर डोमिसाइल का लाभ बिहार के लोगों को मिल रहा है लेकिन बचे 40 फीसदी पद सबके लिए खुले हैं। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के महासचिव और नीतीश के करीबी मनीष वर्मा ने पिछले महीने भी इस बात से इनकार कर दिया था कि सरकार डोमिसाइल नीति लाएगी। कोर्ट के फैसलों का इशारा करते हुए मनीष वर्मा ने कहा था कि अनारक्षित पद की बहाली देश के लिए सभी लोगों के लिए खुली है। बिहार के लोग जैसे बाहर नौकरी करते हैं, वैसे ही बाहर के लोग बिहार में नौकरी करते हैं।
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तेजस्वी यादव ने पिछले शनिवार को भी एक सभा में दोहराया है कि महागठबंधन की सरकार बनी तो सरकारी नौकरी में 100 फीसदी डोमिसाइल होगा, प्रतियोगिता परीक्षा का फॉर्म निःशुल्क होगा और परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए आने-जाने का खर्च भी सरकार देगी। लालू यादव 2016 में जब नीतीश के साथ गठबंधन में थे, तब उन्होंने 80 प्रतिशत डोमिसाइल मांगा था और तब नीतीश ने भी उनकी मांग से सार्वजनिक सहमति जताई थी। अभी चल रहे डोमिसाइल आंदोलन के नेता दिलीप कुमार 90 फीसदी डोमिसाइल मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि दूसरे राज्यों के परीक्षार्थियों के लिए उपलब्ध पदों को 10 फीसदी पर रोका जाए।
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चलते-चलते ये बता दें कि भारतीय संविधान का आर्टिकल 16 देश के नागरिकों के लिए भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी और रोजगार करने के मौके को मौलिक अधिकार बनाता है। अनुच्छेद की धारा 3 में कहा गया है कि किसी खास इलाके के लिए नौकरी में कोटा का कोई प्रावधान करना है तो वो कानून संसद से बनेगा, ना कि विधानसभा से। राज्यों को आर्टिकल 371 के तहत क्षेत्रीय या सामुदायिक असंतुलन ठीक करने के लिए बोर्ड बनाने या पढ़ाई और नौकरी में खास तरह के लोगों के लिए एक सीमा तक कुछ प्रावधान करने का अधिकार है।
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सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों के एडमिशन में डोमिसाइल नीति के कई मामलों में राज्य सरकारों के खिलाफ फैसला दे चुका है। इसी साल जनवरी में कोर्ट ने एक मेडिकल कॉलेज के एडमिशन में डोमिसाइल नीति को रद्द करते हुए कहा था कि हम सबका डोमिसाइल भारत है और हम सबको देश में कहीं भी रहने, पढ़ने, व्यापार और नौकरी करने का अधिकार है।