आपातकाल : गांधी आश्रम में झंडा फहराने की सूचना पर पहुंच गई थी पुलिस
वैशाली जिले के लोग आपातकाल को एक डरावने सपने की तरह याद करते हैं। 15 अगस्त को गांधी आश्रम में झंडा फहराने के दौरान युवाओं को पुलिस की चेतावनी का सामना करना पड़ा। पांच दोस्तों ने आपातकाल का विरोध करते...

हाजीपुर । संवाद सूत्र इंट्रो... वैशाली जिले के लोग आपातकाल को एक भयानक सपने की तरह देखते हैं। पुलिसिया कार्रवाई से लोग डरे सहमे रहते थे। कोई भी तत्कालीन सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता था। समाजिक ताना बाना प्रभावित हो गया था। लोग एक दूसरे से किसी भी तरह के राजनीतिक चर्चा नहीं कर सकते थे। 15 अगस्त को गांधी आश्रम में झंडा फहराने जुटे कुछ युवाओं और नेताओं को पुलिस के चेतावनी का सामना करना पड़ा था। ऐतिहासिक गांधी आश्रम में झंडा फहराने जुटे युवाओं और नेताओं की सूचना पर पुलिस पहुंच गई थी। चेतावनी दी कि आप लोग किसी तरह का शोर शराबा नहीं करें।
शांतिपूर्ण झंडा फहराएं और अपने घर चले जाएं। वैसा ही हुआ। झंडा फहराया और राष्ट्र गान कर लोग वहां से चले गए। पांच दोस्तो ने किया था विरोध आपातकाल का पांच दोस्तों ने जमकर विरोध किया। जिसके चलते जेल जाने की स्थिति का उन्हें सामना करना। गांधी आश्रम मोहल्ले के कुमार राजेश श्रीवास्तव राजू एवं स्व. विजयकुमार दिवाकर, स्व. नरेश कुमार वर्मा उर्फ चुनचुन, दिग्घी के दिनेश राय और बिदुपुर के अनिल सिंह ने आपात काल का विरोध करते हुए स्टेशन चौक हाजीपुर में बिजली और टेलीफोन के तार को काट दिया और प्रदर्शन करने की कोशिश की। राजेश बताते हैं कि इस घटना के बाद पुलिस हमलोंगो की तलाश में जुट गई। तब हमलोग छिपकर रहने लगे और बीच-बीच मे विरोध भी करते थे। एक समय ऐसा था जब हम लोग हॉस्पिटल के पीछे जंगल में छिपे थे तो पुलिस ने रेड मारकर पकड़ लिया। जेल ले जाने लगे तो एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उन्हें रिक्वेस्ट कर जेल जाने से बचाया था। आज भी जब वे दिन याद आते हैं तो तत्कालीन सरकार के प्रति मन घृणा से भर उठता है। बाद में स्व. नरेश वर्मा को बाद के सरकार ने प्रोत्साहित भी किया था।
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