नीतीश की पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा आरजेडी में शामिल, कोइरी वोट साधने में जुटे तेजस्वी यादव
किसी समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करीबी रहीं पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा ने आरजेडी की सदस्यता ले ली। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव आगामी बिहार विधानसबा चुनाव से पहले कोइरी वोटबैंक को साधने में जुटे हुए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नेताओं का दल-बदल अभियान जारी है। पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा ने बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव बिहार चुनाव से पहले कोइरी वोट को साधने में जुटे हैं, जो सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू का कोर वोटबैंक माना जाता रहा है। रेणु कुशवाहा के साथ पप्पू यादव की जाप के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके राघवेंद्र सिंह कुशवाहा लोकसभा चुनाव लड़ चुके विजय कुशवाहा, राजीव रंजन कोइरी समेत इस समाज के कई नेताओं ने भी आरजेडी का दाम थामा। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बढ़-चढ़कर कुशवाहा समाज पार्टी से जुड़ रहा है। यदि कुशवाहा समाज एक कदम चलेगा तो तेजस्वी यादव चार कदम चलेगा।
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने सभी लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाई। तेजस्वी ने कहा कि कुशवाहा (कोइरी) समाज को उनके हक के अनुसार आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जाएगा। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस पर दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज की अनदेखी करने का आरोप भी लगाया।
जेडीयू, बीजेपी और लोजपा में रह चुकी हैं रेणु कुशवाहा
आरजेडी का दामन थामने वालीं रेणु कुशवाहा खगड़िया सीट से जेडीयू की सांसद रह चुकी हैं। इसके अलावा वह मधेपुरा जिले की बिहारीगंज से जेडीयू की विधायक भी रहीं।
आरजेडी में शामिल होने से पहले वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में लंबे समय तक रहीं। खगड़िया से वह जेडीयू के टिकट पर सांसद बनीं। 2014 में वह जेडीयू छोड़कर बीजेपी में चली गईं। 2019 में खगड़िया लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बीजेपी को भी अलविदा कहा।
इसके बाद रेणु कुशवाहा ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का दाम थाम लिया। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने चिराग पर टिकट बेचने का आरोप लगाकर एलजेपी-आर से भी इस्तीफा दे दिया था। अब बिहार चुनाव से पहले उन्होंने तेजस्वी का दामन थामा है।
रेणु कुशवाहा एक समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती थीं। वह नीतीश सरकार में मंत्री भी रहीं। उनके पति बीजेपी के टिकट पर मधेपुरा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
तेजस्वी की 4 फीसदी वोटों पर नजर
साल 2023 में हुई जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में कोइरी यानी कुशवाहा जाति की आबादी लगभग 4.2 फीसदी है। सीएम नीतीश की पार्टी शुरुआत से कोइरी और कुर्मी वोट बैंक को केंद्र में रखकर राजनीति करती रही है। इसे लव-कुश समीकरण कहा जाता है, जो बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है। जाति गणना के बाद अन्य दलों की भी इस वोटबैंक पर खासी नजर है। यही कारण है कि तेजस्वी यादव कुशवाहा समाज को साधने में जुटे हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)