पीने का पानी न शौचालय की व्यवस्था जलजमाव से बढ़ा मलिन बस्ती का दर्द
खाजासराय की मलिन बस्ती के सैकड़ों लोग पेयजल संकट और जलजमाव से जूझ रहे हैं। सरकारी सुविधाओं के अभाव में लोग सड़क किनारे सार्वजनिक चापाकल का पानी लाने को मजबूर हैं। महिलाओं और बच्चों को खास परेशानी होती...
शहर के वार्ड नंबर 48 के खाजासराय स्थित मलिन बस्ती में रहने वाले सैकड़ों लोग आज भी पेयजल संकट और जलजमाव की दोहरी मार झेल रहे हैं। सरकार ने वर्षों पहले भूमिहीन परिवारों को पक्के मकान बनाकर दिए थे, लेकिन तब से अब तक न तो पेयजल की सुविधा मिली, न ही जलनिकासी का समुचित व्यवस्था की जा सकी। अब सामुदायिक शौचालय की हालत भी काम के लायक नहीं है। लोगों ने बताया कि बस्ती में दो लोगों ने अपने खर्चे पर चापाकल लगवाया था, जिससे बस्ती के लोगों का काम किसी तरह चल रहा था। हालांकि, गर्मी बढ़ते ही पिछले महीने से दोनों चापाकल सूख गए हैं।
अब लोग सड़क किनारे लगे सार्वजनिक चापाकल से पानी लाने को मजबूर हैं। पीने से लेकर नहाने-धोने तक का सारा काम इसी पानी से हो रहा है। बस्ती निवासी सुमित्रा देवी, बिट्टू कुमार, रौशन कुमार, गीता देवी, रंजना देवी और नथुनी राम ने बताया कि हाल ही में गली-नाली का पक्कीकरण हुआ है। इससे बस्ती के मुहाने तक पहुंचने की परेशानी तो कम हुई है। बस्ती में अब भी घर तक पहुंचने का रास्ता नहीं होने से लोगों को घर तक पहुंचने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। लोगों का कहना है कि यदि सरकार की नल-जल योजना की पाइप बिछा दी जाए तो कम से कम पीने के पानी की समस्या से राहत मिल सकती है। बस्ती में बने मकान अब जर्जर हो चुके हैं। छत से प्लास्टर और गिट्टी झड़ने लगी है। लोग डर के साए में रह रहे हैं। शौचालय भी बंद पड़े हैं। इससे महिलाओं और बच्चों को खास परेशानी होती है। हल्की बारिश में ही बस्ती में जलजमाव हो जाता है। कीचड़ और गंदे पानी के कारण घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते। महिलाओं ने बताया कि पुरुष सुबह मजदूरी पर निकल जाते हैं। महिलाएं दिनभर पानी लाने के लिए सड़क किनारे चापाकल पर जाती हैं। बार-बार पानी लाना मुश्किल होता है। लोगों ने कहा कि जब तक निजी जमीन के मालिक जलापूर्ति के लिए जमीन नहीं देते, तब तक समाधान संभव नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि गरीबों की इस बस्ती में पेयजल संकट दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए। यहां के लोग दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह जीवन चला रहे हैं। ऐसे में अपने खर्च पर पानी की व्यवस्था करना उनके लिए नामुमकिन है। शहर के वार्ड नंबर 48 में खाजासराय पुराने मोहल्लों में से एक है। लोगों की मानें तो पंडासराय स्थित लहठी-चूड़ी बनाने वालों के नाम पर ही जिला मुख्यालय के लहेरियासराय का नाम पड़ा था। अपनी पुरानी पहचान रखने वाले पंडासराय स्थित मलिन बस्ती में बसे लोगों का जीवन आज भी पेयजल आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना प्रशासनिक प्रश्नचिन्ह लगाता है। इसके साथ ही यहां के लोगों को जलजमाव के संकट के बीच जिंदगी गुजरनी पड़ रही है। हाल के दिनों में गली का पक्कीकरण तो हुआ, लेकिन पेयजल आपूर्ति की कोई सुविधा नहीं मिली है। लोगों ने बताया कि भूमिहीनों के लिए सालों पहले दर्जनों परिवार को पक्का मकान दिया गया था।
-बोले जिम्मेदार-
पेयजल की समस्या के समाधान के लिए नगर निगम की ओर से वाटर टैंकर भेजे जाते हैं। जरूरत पड़ने पर वाटर टैंकरों की संख्या बढ़ा दी जाएगी। बारिश के दिनों में मोहल्ले में जलजमाव होने पर दमकल लगाकर पानी की निकासी करायी जाती है ताकि लोगों को परेशानी न हो।
- रवि अमरनाथ, सिटी मैनेजर
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