संसाधनों के अभाव में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा उठा रहे परेशानी
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवक-युवतियों को सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पोलो मैदान के इंडोर स्टेडियम में अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बैठने की जगह, पानी और शौचालय जैसी...

हर दिन सुबह छह से नौ बजे तक पोलो मैदान स्थित इंडोर स्टेडियम के पोर्टिको में दर्जनों युवक-युवतियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। ये सभी आसपास के इलाकों से आते हैं। इनमें से अधिकतर के पास कोचिंग का खर्च उठाने की क्षमता नहीं है। न ही अतिरिक्त समय है। पहले ये युवा आदर्श मध्य विद्यालय के बरामदे में पढ़ाई करते थे। वहां से हटाए जाने के बाद अब स्टेडियम के पोर्टिको में जगह मिली है। यहां भी कब तक पढ़ाई कर पाएंगे, यह तय नहीं है। यह स्टेडियम की गतिविधियों और पदाधिकारियों के निर्णय पर निर्भर करता है। इन युवाओं का सपना सरकारी नौकरी पाना है।
संसाधनों की कमी के बावजूद वे जुटे हुए हैं। उन्हें बस इतना चाहिए कि कुछ देर पढ़ाई पर चर्चा कर सकें। रिजनिंग का एक सेट बिना खर्च के हल कर सकें। सेल्फ स्टडी के डाउट को ग्रुप डिस्कशन से दूर कर सकें। इसके लिए उन्हें एक शांत जगह चाहिए जहां बैठने की सुविधा हो। पीने का पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं हों। समसामयिक जानकारी के लिए अखबार भी मिले, जिससे तैयारी में मदद मिल सके। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले राजीव कुमार, सुधीर कुमार, कृष्णा कुमार व जितेंद्र कुमार ने कहा कि आज प्रतियोगी परीक्षा क्रैक करना बहुत मुश्किल हो गया है। जिला प्रशासन चाहे तो मौजूदा संसाधनों में ही उन्हें बेहतर सुविधा दे सकता है। जरूरत सिर्फ पहल की है। तैयारी कर रहे युवाओं ने कहा कि पदाधिकारियों को पता है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए किन चीजों की जरूरत होती है, फिर भी ध्यान नहीं दिया जाता। प्रतिभागियों ने कभी मांग नहीं की। वे अपनी तैयारी से इतर कुछ नहीं सोचना चाहते। इन कठिनाइयों और चुनौतियों को पार पाकर जब युवाओं को कामयाबी मिलती है तो बीते जीवन की सारी कमियों के साथ ही आगे की जीवन को सुखी बनाने का रास्ता खुलता है। ग्रुप में जब कोई प्रतिभागी सफल होता है तो उसकी जगह नया प्रतिभागी जुड़ जाता है। कई प्रतिभागियों ने कहा कि तैयारी के लिए लाइब्रेरी सबसे सही जगह होती है। टावर के पास स्थित वर्षों पुरानी लाइब्रेरी अब नगर निगम के वाहनों का गोदाम बन गई है। यदि वहीं बैठने की जगह मिल जाए तो तैयारी करने वालों की संख्या बढ़ सकती है। कई प्रतिभागियों ने बताया कि कुछ युवा सिर्फ इसलिए ग्रुप छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें बैठने के लिए साफ जगह नहीं मिलती। कई युवतियों के परिजन उन्हें ग्रुप ज्वाइन करने से रोक देते हैं। वजह है कि खुले में बैठकर पढ़ाई करना सुरक्षित नहीं लगता। इन व्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा परेशानी लड़कियों को झेलनी पड़ती है। पढ़ाई की चुनौतियों के साथ ही ग्रुप डिस्कशन का मौका नहीं मिल पाता है। प्रतिभागी बैजू कुमार ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। इसी को देखते हुए शहर में कई प्राइवेट लाइब्रेरी खुल गई हैं। वहां साधन संपन्न युवा पढ़ते हैं। लेकिन जिनके पास फीस देने की क्षमता नहीं है, वे यहां ग्रुप में पढ़ाई करते हैं। यदि प्रशासन एक निश्चित जगह दे दे तो तैयारी कम समय में भी हो सकती है। प्रतिभागी मुकेश कुमार ने कहा कि सुबह साफ और सुरक्षित जगह मिले तो परिणाम बेहतर होगा। बोले जिम्मेदार: यह मामला अब तक मेरे संज्ञान में नहीं आया है। किसी छात्र ने भी अब तक इस संबंध में मुझसे बात नहीं की है। प्रतिभावान छात्रों को निश्चित रूप से सुविधाएं मिलनी चाहिए। मेरे स्तर से इस दिशा में निश्चित रूप से पहल की जाएगी। इसके लिए संबंधित अधिकारी से बात करूंगा। - डॉ. गोपाल जी ठाकुर, सांसद छात्र-छात्राओं के लिए सुविधा की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए, लेकिन अभी तक यह मामला छात्र-छात्राओं या किसी छात्र संगठन की ओर से मेरे संज्ञान में नहीं दिया गया है। अगर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में परेशानी हो रही है तो मैं इस दिशा में आवश्यक पहल करूंगा। - संजय सरावगी, मंत्री सह नगर विधायक
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