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संस्कृत टॉपरों को पांच साल से सुलभ छात्रवृत्ति नहीं, तीनों हॉस्टल बदहाल

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में पीजी टॉपर छात्रों को पिछले पांच सत्रों से सुलभ छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं मिल रहा है। इससे मेधावी छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। छात्र...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाWed, 25 June 2025 05:53 PM
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संस्कृत टॉपरों को पांच साल से सुलभ छात्रवृत्ति नहीं, तीनों हॉस्टल बदहाल

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पीजी टॉपर छात्रों की सुलभ छात्रवृत्ति पर पांच सत्रों से ब्रेक लगा हुआ है। इस वजह से सैकड़ों मेधावी छात्रों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। संस्कृत स्नातकोत्तर टॉपरों का कहना है कि वर्ष 2015-16 से संस्कृत विश्वविद्यालय के छह पीजी संकायों के पांच-पांच टॉपरों को सुलभ छात्रवृत्ति मिल रही है। इसका भुगतान सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मविभूषण डॉ. बिंदेश्वर पाठक द्वारा प्रदत्त 25 लाख की राशि से होता है। विद्यार्थी बताते हैं कि यह राशि बैंक में फिक्स है। इसकी ब्याज राशि से वेद, दर्शन, ज्योतिष, व्याकरण, साहित्य व धर्म के स्नातकोत्तर के कुल 30 टॉपर छात्रों को 750 रुपए की राशि प्रतिमाह मिलती है।

विश्वविद्यालय प्रशासन को सिर्फ टॉपर छात्रों की सूची भुगतान के लिए बैंक भेजने का काम करना है, फिर भी सत्र 2019-20 से भुगतान की प्रक्रिया बाधित है। छात्र इसके लिए विवि के सिस्टम को जिम्मेदार ठहराते हैं। छात्रों का कहना है कि संस्कृत के पीजी छात्रों का रहना-खाना सब दुश्वार है। टॉपर राजकुमार तिवारी, ओमप्रकाश कुमार, हरिओम शरण दास, कुंदन कुमार, सोनू कुमार, सावन कुमार, अक्षय कुमार, देव कुमार साह, राहुल झा, केशव कुमार, सूरज कुमार झा आदि बताते हैं कि हॉस्टल की व्यवस्था भगवान भरोसे है। सबमर्सिबल रहने के बावजूद पानी की किल्लत है। कैंपस में जंगली घास उगे हैं और विषैले जीव-जंतु रेंगकर कमरे में आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि कई छात्र सर्पदंश से बाल-बाल बचे हैं। इस वजह से हॉस्टल कैंपस में छात्रों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होती है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के याज्ञवल्क्य, पाणिनी व वाचस्पति मिश्र के तौर तीन मौजूद हॉस्टल हैं। वहां यूजी व पीजी के करीब 150-200 छात्र रहते हैं। उन्होंने बताया कि सभी हॉस्टल की हालत एक जैसी है। सुरक्षा गार्ड, पेयजल व जेनरेटर जैसी सुविधाओं का अभाव है। बिजली कटते ही अंधेरा छा जाता है। उन्होंने बताया कि छात्रवृत्ति व अन्य बुनियादी जरूरतों के बिना अध्ययन-अध्यापन प्रभावित हो रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इसे अविलंब दूर करना चाहिए। टॉपरों के तगादे से परेशान हैं पीजी संकायाध्यक्ष: प्राच्य विद्या संस्कृत का यूजीसी मान्यताप्राप्त कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय सूबे का इकलौता अध्ययन संस्थान है। इसकी स्थापना वर्ष 1961 में दरभंगा महाराजा डॉ. सर कामेश्वर सिंह ने बिहार सरकार के सहयोग से की थी। पीजी ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा, दर्शन शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज कुमार पांडे आदि बताते हैं कि सुलभ छात्रवृत्ति के लिए प्रत्येक सत्र में टॉपरों की सूची विधिवत डीएसडब्ल्यू कार्यालय भेजी जाती है, फिर भी राशि भुगतान की प्रक्रिया लंबित है। इसके चलते कक्षाओं में टॉपर छात्र तगादा करते हैं। उन्होंने बताया कि सत्र 2019-20 से लेकर 2024-26 तक के छात्रों की छात्रवृत्ति का भुगतान हुआ है। ऐसे छात्र मजबूरी बताकर भुगतान की तिथि पूछते हैं, जबकि विद्यार्थियों की दिक्कतें सुनने के सिवा हम लोग कुछ नहीं कर सकते हैं।

-बोले जिम्मेदार-

छात्रवृत्ति के लिए टॉपरों की सूची विधिवत तौर पर समय से सीएसडब्ल्यू कार्यालय भेजी जाती है। इसके बावजूद पिछले पांच सत्रों से विभिन्न संकायों के टॉपरों को छात्रवृत्ति नहीं मिली है। लाभुक छात्र इसके लिए रोज पूछताछ करते हैं।

-डॉ.कुणाल कुमार झा, विभागाध्यक्ष, ज्योतिष विभाग

सुलभ छात्रवृत्ति भुगतान कोरोना काल से प्रभावित है। इसके कारण पीजी का सत्र भी विलंब से चल रहा है। टॉपर छात्रों की सूची कुलपति कार्यालय भेजी गई है। जल्द ही छात्रवृत्ति का भुगतान होगा। हॉस्टल की व्यवस्था 2025 के नए सत्र से पहले दुरुस्त हो जाएगी।

- डॉ. शिवलोचन झा, अध्यक्ष, छात्र कल्याण

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