12 वर्षों में बदल दी निषादों की परिभाषा : मुकेश
बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि वे पिछले 12 सालों से निषादों के कल्याण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने सुपौल में कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि अब निषाद केवल मछली मारने वाले नहीं, बल्कि...

बिरौल, एक संवाददाता। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि बिहार में निषादों के कल्याण के लिए पिछले 12 सालों से संघर्ष कर रहा हूं। आजादी के बाद से निषादों को कोई पहचानता नहीं था। चुनाव के समय केवल निषादों के वोट को खरीदा जाता था, लेकिन 12 सालों में हमने निषादों की परिभाषा बदल दी। वे शुक्रवार को सुपौल बाजार में कुशेश्वरस्थान विस क्षेत्र कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भले ही मैं कहीं के लिए नेता हूं, लेकिन दरभंगा के लिए मैं आपका बेटा हूं और आपका साथी हूं।
उन्होंने कहा कि आज लोग मानते हैं कि निषाद अब केवल मछली मारने वाला नहीं, सरकार बनाने वाला भी है। यह हमने करके दिखलाया भी है। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि पहले बच्चों को पढ़ाइए और फिर एकजुट होकर संघर्ष कीजिए। जब संघर्ष होगा तो निषाद को आरक्षण भी मिलना तय है। श्री सहनी ने कहा कि अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर नहीं होते तो आरक्षण भी नहीं होता। अगर आज पिछड़ों और अति पिछड़े को आरक्षण है तो यह बीपी मंडल की देन है। हमें भी अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि इस साल विधानसभा चुनाव है और हम सब को इस बार अपनी ताकत दिखानी है। हमें ऐसी सरकार बनानी है जो गरीबों की सरकार हो और उसकी समस्याओं के समाधान करने की सोचे। पांच किलो अनाज नहीं, हमें आने वाली पीढ़ी का उज्ज्वल भविष्य चाहिए।
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