मक्का प्रसंस्करण उद्योग लगे तो जिले के किसानों को मिलेगा मुनासिब दाम
मक्का उत्पादक किसानों में उदासी छायी है क्योंकि उन्हें मक्के की फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। बिचौलिए कम कीमत पर मक्का खरीदते हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। सरकार को विशेष नीति बनाकर...

मक्का उत्पादक किसानों में उदासी छायी है। किसानों का कहना है कि मक्के की अच्छी फसल से हर वर्ष लाभ उम्मीद जगती है, पर वाजिब दाम नहीं मिलता। जी-तोड़ मेहनत से उपजी मक्के की फसल को विवश होकर कम कीमत पर बिचौलियों के हाथों बेचना पड़ता है। किसान बताते हैं कि मोटे अनाज अर्थात मिलेट्स में मक्का पीला सोना कहलाता है। बिस्कुट, एथनॉल, मुर्गा व मछली चारा आदि बनाने वाले उद्योगों में मक्के की भारी डिमांड है। इसके चलते नामी-गिरामी ट्रेडिंग कंपनियां मक्के की खरीदारी करती हैं। इसके बावजूद किसान भारी लाभ से वंचित रहते हैं। किसान इसका जिम्मेवार सिस्टम को ठहराते हैं।
बताते हैं कि सरकारी सिस्टम के सुस्त रहने से ही बिचौलिए हावी हैं। जिला प्रशासन को मक्का उत्पादक किसानों के लिए विशेष नीति बनानी चाहिए। किसान महेंद्र यादव, संजय कुमार झा, विपिन कुमार झा, नारायण झा, अभय नारायण झा, डोमू राम, उदयचंद झा, कारी कमती आदि बताते हैं कि मक्के का संगठित बाजार नहीं है। साथ ही जिले में सरकारी स्तर पर मक्के की खरीदारी नहीं होती है। इसका लाभ ट्रेडिंग कंपनियों से जुड़े बिचौलिए उठाते हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर मक्का उत्पादक छोटे व मंझोले किसान हैं। उनके पास भंडारण की सुविधा नहीं है। साथ ही इन पर महाजनों की देनदारी चुकाने का दबाव रहता है। इसके कारण फसल कटते ही किसान मक्का बेचने को आतुर हो जाते हैं। इसका लाभ उठाकर बिचौलिए 1700-1800 क्विंटल की दर से मक्का खरीद लेते हैं। इसे ट्रेडिंग कंपनी को 3000-4500 क्विंटल की दर से बेचा जाता है। उन्होंने बताया कि किसानों के मक्के को सीधे ट्रेडिंग कंपनियां खरीदारी करें तो मुनाफा मिलेगा। इसके लिए जिला कृषि विभाग को पहल करनी चाहिए।
खरीदारी की गारंटी से बढ़ेगा मोटे अनाज का उत्पादन: दरभंगा जिला मक्का व मरुआ जैसे मोटे अनाज उत्पादन के प्रसिद्ध रहा है। कुशेश्वरस्थान, बिरौल, बहेड़ी, बहादुरपुर, हायाघाट आदि प्रखंडों के किसान मक्के की फसल उगाते हैं। किसान महासभा के स्टेट ज्वांइट सेक्रेटरी सह पैक्स अध्यक्ष श्याम भारती बताते हैं कि मक्का व मरुआ जैसे मोटे अनाजों के उत्पादन में जिले के किसान रिकॉर्ड बना सकते हैं, पर इसके लिए खरीदार चाहिए। सरकार जिस तरह से मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, उसी तरह मक्का या अन्य फसल आधारित प्रसंस्करण उद्योग खोलने की भी पहल करे। इससे लोकल स्तर पर मक्के की खरीदारी की गारंटी किसानों को मिलेगी। साथ ही कॉमर्शियल मूल्य निर्धारण से मुनाफा मिलेगा। उन्होंने बताया कि कम लाभ मिलने से मक्के की फसल से किसानों का मोह भंग हो रहा है। अगर यही स्थिति बरकरार रही तो जिस तरह से मरुआ की उपज बेहद कम होती है उसी तरह मक्के की पैदावार ना के बराबर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि मक्के की बेहतर कीमत किसानों को दिलाने के लिए जिला प्रशासन को नीति बनानी चाहिए। इसके अलावा मोटे अनाजों के उत्पादन से जुड़े किसानों की बेहतरी के लिए जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए।
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