साइबर फ्रॉड की तिजोरी से कोर्ट का लॉक हटा, अब खुलेंगे अहम राज; 15 लाख की हो चुकी है जब्ती
र्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसे खोलने की अनुमति दे दी है। एसडीपीओ सरैया कुमार चंदन ने बताया कि डिजिटल कैश चेस्ट बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है।

बिहार के मुजफ्फरपुर में राजेपुर ओपी क्षेत्र के मीनापुर गांव से साइबर ठग गिरोह से जब्त डिजिटल कैश चेस्ट (तिजोरी) को खोलने की अनुमति मिल गई है। केस के आईओ सह पारू के सर्किल इंस्पेक्टर मुकेश कुमार शर्मा ने एसीजेएम-दो पश्चिमी के कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल की थी। अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उक्त आदेश दिया है।
अर्जी में फिंगरप्रिंट, सेंसर व ओटीपी से लॉक होने के कारण इसे कोर्ट या मजिस्ट्रेट के समक्ष खोलवाने की अनुमति देने की अपील की गई थी। अर्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसे खोलने की अनुमति दे दी है। एसडीपीओ सरैया कुमार चंदन ने बताया कि डिजिटल कैश चेस्ट बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। उनके आने का इंतजार किया जा रहा है।
राजेपुर ओपी क्षेत्र के मीनापुर गांव में ऑनलाइन फर्जी ट्रेडिंग व गेमिंग साइट से ठगी करने के आरोपित अभिषेक कुमार के घर पर 12 जून की रात पुलिस ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी में घर से 15.88 लाख रुपये, एक लैपटॉप, एक आईपैड, एक मॉनिटर, एक पेन ड्राइव, एक बाइक, एक नोट गिनने वाली मशीन सहित एक डिजिटल कैश चेस्ट बॉक्स जब्त की गई थी।
पुलिस को आशंका है कि इसमें ठगी के रुपये रखे गए हैं। पुलिस इसे सामान्य तरीके से खोलने का प्रयास किया, लेकिन यह नहीं खुला। पुलिस ने मौके से अभिषेक के भाई विकास कुमार को गिरफ्तार किया था। 13 जून को कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था। उसकी जमानत अर्जी सुनवाई के बाद कोर्ट ने खारिज कर दी
बिहार के विभिन्न जिलों में साइबर फ्रॉड की घटनाओं को लेकर पुलिस इस दिशा में विशेष अभियान चल रहा है। साइब फ्रॉड पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस और प्रशासन तिनीकि और वैज्ञानिक तरीके से काम कर रहे हैं। आए दिन भोले भाले लोगों को शिकार बनाकर उनकी गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है।