सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए पांच सौ वर्षों से अलख जगा रहा उदासीन पंथ
सोनपुर में हरिद्वार से आए 52 उदासीन संतों का एक जत्था लोकसेवा आश्रम पहुंचा। महंत दुर्गा दास और महंत राम मोनी दास के नेतृत्व में यह जत्था सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए काम कर रहा है। इस...

सोनपुर । संवाद सूत्र सनातन धर्म के प्रचार -प्रसार एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा के संकल्प के साथ हरिद्वार से उदासीन पंथ के संतों का एक बड़ा जत्था लोकसेवा आश्रम पहुंचा। इस जत्थे का नेतृत्व हरिद्वार के मुखिया महंत दुर्गा दास एवं महंत राम मोनी दास जी महाराज कर रहे हैं । उदासीन संप्रदाय के महंत व लोकसेवा आश्रम के संत विष्णुदास उदासीन उर्फ मौनी बाबा ने आश्रम पहुंचे संतों का भव्य स्वागत किया। इस जत्था में 52 संत शामिल हैं। इस संबंध में हरिद्वार के कनखल स्थित बड़ा अखाड़ा के महंत दुर्गा दास जी महाराज ने बताया कि बीते पांच सौ वर्षों से उदासीन संप्रदाय निरंतर सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा के संकल्प के साथ उदासीन संप्रदाय के आदर्शों का भी प्रचार - प्रसार करता आ रहा है।उन्होंने
कहा कि उदासीन संप्रदाय के संत ही अनादि काल से शिरोमणि रहे हैं। राजा -रजवाड़ों से लेकर वर्तमान व्यवस्था तक उदासीन संतों द्वारा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के साथ-साथ धर्म की रक्षा करने का काम किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि 52 संतों का यह काफिला निरंतर प्रवास कर रहा हैं। इसी प्रवास के क्रम में सोनपुर आगमन हुआ है। यह जत्था प्रयागराज श्रीपंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा से अपनी यात्रा का शुभारंभ किया था। इस दौरान देश के 10 उदासीन अखाड़ों-आश्रमों पर प्रवास हुआ। इस प्रवास के क्रम में प्रयागराज से भदोई जिले के गोपी गंज, और यहां से बनारस, आजम गढ़, कप्तानगंज, देवगांव, गाजीपुर , बलिया, सारण के जलालपुर, मशरक, मढ़ौरा, रहीमपुर होते लोकसेवा आश्रम पहुंचा है। लोक सेवा आश्रम के संत मौनी बाबा ने बताया कि 1494-1643 के दौरान गुरु नानक देव के पुत्र श्रीचन्द जी महाराज ने उदासीन सम्प्रदाय की स्थापना की थी।
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