खेतों की नमी बढ़ी तो मक्के व अरहर की बुआई में हुई तेजी
मौसम के मिजाज बदलने के बाद किसान हुए सक्रिय अरहर की बुआई को लेकर किसानों में तेजी देखी गई। कई दिनों से किसान इस आस में बैठे थे कि खेतों में पर्याप्त नमी हो तो म

छपरा, नगर संवाददाता। सारण में लगातार मौसम के मिजाज बदलने के बाद खरीफ फसलों में मक्का और अरहर की बुआई को लेकर किसानों में तेजी देखी गई। कई दिनों से किसान इस आस में बैठे थे कि खेतों में पर्याप्त नमी हो तो मक्के व अरहर की बुआई की जाए। वहीं जिले में लगभग एक पखवारे से रिमझिम बारिश के साथ मौसम में बदलाव आया है। सभी किसान सुबह से ही अपने खेतों में मेहनत करने में जुट जा रहे हैं। किसान शिवनाथ सिंह ने बताया कि जून महीने से लेकर जुलाई तक किसान नमी को देखते हुए मक्के और अरहर सहित अन्य फसलों की बुआई करेंगे।
खरीफ फसलों में धान के बाद मक्का मुख्य खरीफ फसलों में धान के बाद मक्का अरहर की खेती मुख्य रूप से सभी किसान करते हैं। किसानों का मानना है की सारण कि दोमट मिट्टी मक्के की फसल के लिए उपयुक्त है। मक्के की बुआई के लिए खेतों में पर्याप्त नमी है और अभी खेती का माकूल वक्त भी है। मानसून आने किसानों की माने तो कि उन्नत खेती के लिए बीज की बुआई करने के पूर्व खेत में मेड़ बना लेना अधिक उपयुक्त होता है। अधिक बारिश होने पर मक्के की बुआई नहीं हो सकती हैं। बीज को मिट्टी में दबने का डर रहता हैं। अलग-अलग हाइब्रिड के मक्के की बाजार में मांग इस बार किसान अलग-अलग हाइब्रिड के मक्के की बुआई करने में लगे हुए हैं। किसान मुकेश कुमार बताते हैं कि पायनियर महीको, आरजे 33, कावेरी 20-20 जैसे हाइब्रिड मक्का की मांग बाजार में अधिक है। यह सभी मक्के 90 दिन में लगभग तैयार हो जाते हैं। अच्छी खासी किसानों को इससे आमदनी भी होती हैं। इस लिए किसान चाहते हैं मक्के की उपज अधिक हो तो किसानों को मक्के के बाजार में मक्के का भाव अच्छा मिलेग तो अच्छी कमाई होंगी। साथ लगाएं गंडक नहर में उपजे हैं जंगली घास, अब तक नहीं आया पानी फोटो- 10 जलालपुर के मंगोलापुर की नहर में उपजे झाड़ झंखाड़ जलालपुर, एक प्रतिनिधि। प्रखंड क्षेत्र की पक्की गंडक नहर में जंगली घास उगे हैं और अब तक इन नहरों में पानी नहीं आया है। आर्द्रा नक्षत्र की शुरुआत हो गई है। इसके बावजूद बारिश नहीं होने से किसानों में निराशा है। किसानों ने मौसम की बेरुखी से हताशा है और 30 फीसदी से अधिक किसानों ने अभी त बारिश के इंतजार में अब तक धान के बिचड़े नहीं डाले हैं। किसानों ने बताया कि बारिश के मौसम के अनुरूप नहीं होने के कारण धान के बिचड़े डालने की हिम्मत नहीं हो रही है। निजी पंपसेट से अधिक खर्च आ रहा है। मौसम के अनुकूल नहीं होने से पंपसेट से डाले गए बिछड़े का अंकुरण सही से नहीं हो रहा है। किसान रामप्रसाद महतो, दहाड़ी राय, रामानुज प्रसाद व अन्य ने बताया कि गंडक नहर में 20 जून तक पानी आ जाना चाहिए जबकि अभी तक नहर में पानी नहीं आया है। विभाग के अधिकारी कुछ भी बताने से परहेज करते हैं। इस संबंध ने विभाग के एसडीओ से संरक्षक प्रयास किया गया पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया। किसानो का कहना है कि यदि नहर में पानी नहीं आया और मौसम का यही रुख रहा तो धान की बुआई नहीं हो पाएगी। अरहर, मक्के व उड़द की बुआई भी बाधित प्रखंड क्षेत्र में बारिश नहीं होने के कारण अब तक खरीफ मौसम धान के अलावा लगाई जाने वाली अरहर, मक्के व उड़द की बुआई भी नहीं हो सकी है। विशुनपुरा के किसान जगदवन सिंह, रामेश्वर सिंह, भीम सिंह, प्रभुनाथ सिंह व किसानों ने बताया कि पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण अब तक अरहर, मक्के व उड़द की बुआई नहीं हो सकी है।
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