डॉ पीएन सिंह डिग्री कॉलेज: प्राचार्य को हटाने के मामले में हाईकोर्ट का स्टे भी किया नजरअंदाज, अवमानना याचिका दायर
गयी है। विशेष नजर अपेक्षित। कृपया पटना को दिखा लें। छपरा, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। डॉ पीएन सिंह डिग्री कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य के पद से हटाए गए डॉ नागेश्वर प्रसाद सिंह के मामले ने नया मोड़ ले लिया...

कॉलेज की तदर्थ समिति पर उठा सवाल, सचिव, कुलपति समेत कई वरीय अधिकारी नामजद छपरा, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। डॉ पीएन सिंह डिग्री कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य के पद से हटाए गए डॉ नागेश्वर प्रसाद सिंह के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। डॉ नागेश्वर प्रसाद सिंह ने उच्च न्यायालय, पटना में दिनांक 25 जून 2025 को अवमानना वाद दायर किया है। वाद में तदर्थ समिति के सचिव डॉ विश्वामित्र पांडे, प्रभारी प्राचार्य डॉ विवेकानंद तिवारी, जेपी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परमेंद्र वाजपेयी, तथा कुलसचिव डॉ नारायण दास को प्रतिवादी बनाया गया है। प्रकरण में डॉ नागेश्वर की ओर से अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश ने यह याचिका दायर की है, जिसकी प्रतियां संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं को सुपुर्द की जा चुकी हैं।
विश्वविद्यालय की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। तदर्थ समिति के सचिव डॉ विश्वामित्र पांडे द्वारा बिना तदर्थ समिति की बैठक बुलाए डॉ नागेश्वर प्रसाद सिंह को पद से हटाने और डॉ विवेकानंद तिवारी को प्रभार सौंपने के आदेश के खिलाफ डॉ नागेश्वर ने उच्च न्यायालय, पटना में वाद संख्या सीडब्ल्यूजेसी 7958/2025 दाखिल की थी। इस पर सुनवाई के दौरान जेपीयू के अधिवक्ता का पक्ष सुनने के उपरांत उच्च न्यायालय ने दिनांक 28 मार्च 2025 को इस पदच्युत करने के आदेश पर स्थगन(स्टे) आदेश पारित किया था। साथ ही समिति सचिव डॉ विश्वामित्र पांडे एवं डॉ विवेकानंद तिवारी को नोटिस भी जारी की थी। नोटिस तामिल हो चुका है, इसके बावजूद उनलोगों के द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया। साथ ही विवि के कुलपति व कुलसचिव द्वारा आदेश के सम्बंध में कोई कार्रवाई नही की गईं। आश्चर्यजनक रूप से, न्यायालय के निर्देश के उलट, दिनांक 25 जून 2025 को सचिव द्वारा एक और पत्र निर्गत कर दिया गया, जिसमें कहा गया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर तदर्थ समिति की बैठक में विचार कर निर्णय लिया जाएगा। मानो समिति उच्च न्यायालय के आदेश के ऊपर है। यह रुख न्यायिक आदेशों की स्पष्ट अवहेलना की तरह देखा जा रहा है। कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर उठे इस गंभीर प्रश्न से शिक्षा जगत में चर्चाएं तेज हो गई हैं।
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