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डोर टू डोर पहुंच मवेशियों का इलाज कर रहे चिकित्सक

पशुपालकों को अब अपने पशुओं का इलाज कराने के लिए पशु चिकित्सालय नहीं जाना पड़ेगा। सरकार ने चलंत पशु चिकित्सालय की सुविधा शुरू की है, जो बीमार मवेशियों का मुफ्त में इलाज करेगी। पशुपालक टॉल फ्री नंबर...

Newswrap हिन्दुस्तान, बक्सरTue, 17 June 2025 09:42 PM
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डोर टू डोर पहुंच मवेशियों का इलाज कर रहे चिकित्सक

अच्छी पहल पशुपालकों की सुविधा के लिए प्रखंड में उपलब्ध कराया गया है चलंत पशु चिकित्सालय बीमार मवेशियों का मुफ्त में इलाज के साथ दी जाती है दवाएं टॉल फ्री नंबर 1962 पर करें कॉल, दरवाजे पर पहुंचेगी टीम फोटो संख्या-15, कैप्सन- मंगलवार को सोवां गांव में मवेशी का इलाज करते डॉ. मो. परवेज अख्तर। डुमरांव, संवाद सूत्र। स्थानीय प्रखंड के पशुपालकों को अपने पशुओं का इलाज कराने के लिए पशु चिकित्सालय जाने की आवश्यकता नहीं है। सरकार द्वारा इसके लिए पशु चिकित्सक व दवा से सुसज्जित मोबाइल वेटनरी यूनिट वाहन पशुपालन विभाग को मुहैया कराया है। इसके लिए टॉल फ्री नंबर 1962 भी जारी किया गया है।

इस चलंत वाहन में पशु चिकित्सक के साथ अन्य कर्मी की भी तैनाती की गई है। अब पंचायतों के किसी भी गांव में पशुओं के स्वास्थ्य बिगड़ने पर चलंत वाहन पहुंचेगी और पशुपालकों के पशुओं को मुफ्त चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करेगी। बताया जाता है कि पशुधन संजीवनी हेल्पलाइन टॉल फ्री नंबर यह राज्यस्तरीय टॉल फ्री नंबर है। यहां पशुपालक फोन कर अपना पता सहित अन्य जानकारी देंगे और यहां से चलंत पशु यूनिट टीम को भेजा जाएगा और पशुपालक के दरवाजे पर पहुंच कर मवेशी का इलाज किया जाएगा। चिकित्सकों ने बताया कि मवेशी को अगर गंभीर बीमारी है तो वरीय अधिकारियों से बात कर उसका इलाज किया जाएगा। इस वाहन में सभी तरह की दवाएं, इंजेक्शन, सीरिंच और सर्जिकल सामान भी उपलब्ध है। हर दिन दो गांवों में जाकर इलाज करेगी टीम मोबाइल पर कॉल नहीं आने की स्थिति में भी चलंत पशु चिकित्सालय टीम को मवेशियों का इलाज करना है। चिकित्सक बताते है कि हर दिन किसी पंचायत के दो गांवों में जाकर वहां मवेशियों का इलाज करना है। मोबाइल टीम द्वारा अप्रैल माह में 341 और मई माह में 336 मवेशियों का इलाज किया गया। मोबाइल वैन पर लगे साउंड सिस्टम से पशुपालकों को जागरूक भी किया जाता है। चलंत पशु चिकित्सालय से सबसे ज्यादा सुदूर ग्रामीण इलाके के पशुपालकों को लाभ मिल रहा है। समय पर गंभीर बीमारी का इलाज होने से मवेशियों की जान बच जाती है। इस तरह के इलाज होने से पशुपालकों को काफी राहत मिली है। बरसात के मौसम में इस टीम द्वारा विशेष लाभ देने की योजना है। हिटवेब से बचाने के लिए सावधानी जरूरी डुमरांव के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मोहम्मद परवेज अख्तर ने बताया कि मवेशियों को बीमारी होने पर शीघ्र चलंत टीम को सूचना देने की सलाह दी जाती है। इसके लिए पशुपालकों को जागरूक बनाने का अभियान चलाया जाता है। तेज धूप और भीषण गर्मी से बचाव के लिए पशुपालकों को सलाह दी जाती है। मवेशियों को चिलचिलाती धूप में रखने के बजाय छायादार वृक्ष या शेड के नीचे रखे। हर दो घंटे पर गुड़ मिश्रित ताजा पानी देने की जरूरत है। चारा व भूसा पानी के साथ देना चाहिए। मवेशियों को सुबह-शाम स्नान कराएं।

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