सिगरेट का धुआं फेफड़ों में घोल रहा ‘टीबी का जहर, चालू माह में बढ़े 203 रोगी
सिगरेट का धुआं फेफड़ों में घोल रहा ‘टीबी का जहर, चालू माह में बढ़े 203 रोगीसिगरेट का धुआं फेफड़ों में घोल रहा ‘टीबी का जहर, चालू माह में बढ़े 203 रोगीसिगरेट का धुआं फेफड़ों में घोल रहा ‘टीबी का जहर, चालू...

सिगरेट का धुआं फेफड़ों में घोल रहा ‘टीबी का जहर, चालू माह में बढ़े 203 रोगी नालंदा में हर महीने बढ़ रहे मरीज, युवाओं में ज्यादा खतरा जिले में 3208 टीबी मरीज पंजीकृत, जून में मिले 203 नए संक्रमित डॉक्टर बोले-धूम्रपान करने वालों को तिगुना ज्यादा खतरा फोटो: टीबी : बिहारशरीफ स्थित जिला यक्ष्मा कार्यालय। बिहारशरीफ, हमारे संवाददाता। सिगरेट के हर कश के साथ युवा सिर्फ धुआं नहीं, बल्कि टीबी जैसी जानलेवा बीमारी को भी अपने फेफड़ों में खींच रहे हैं। एक ओर जहां सरकार वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। वहीं जिले में युवाओं के बीच धूम्रपान की बढ़ती लत इस अभियान की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, धूम्रपान करने वालों में टीबी होने की संभावना सामान्य लोगों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है। जिले के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े भी इस खतरे की गवाही दे रहे हैं। जिले में फिलहाल टीबी के कुल 3208 मरीज पंजीकृत हैं। चिंता की बात यह है कि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी साल जनवरी से मई के बीच 1941 नए मरीज मिले। जबकि, अकेले जून महीने में ही 203 नए संक्रमितों की पहचान की गई है। क्यों है धूम्रपान सबसे बड़ा दुश्मन: जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) वाले लोगों को आसानी से अपना शिकार बनाती है। उन्होंने कहा कि सिगरेट का धुआं सीधे फेफड़ों की कार्यक्षमता को कमजोर करता है और शरीर की इम्युनिटी को घटा देता है। इससे टीबी का बैक्टीरिया आसानी से शरीर पर हावी हो जाता है। कुपोषण और शराब का सेवन भी इसके प्रमुख कारणों में से हैं। इलाज के साथ पोषण का भी ख्याल: सरकार टीबी के इलाज के साथ-साथ मरीजों के पोषण का भी ध्यान रख रही है। 'निक्षय पोषण योजना' के तहत पंजीकृत हर मरीज को इलाज के दौरान पौष्टिक आहार के लिए हर महीने 500 रुपये की आर्थिक सहायता सीधे उनके खाते में दी जा रही है। इसके अलावा, मरीजों को सामाजिक और मानसिक सहयोग देने के लिए ‘निक्षय मित्र की भी व्यवस्था की गई है। जिसमें कोई भी आम नागरिक स्वेच्छा से एक मरीज को गोद लेकर उसके इलाज और पोषण में मदद कर सकता है। दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो तो तुरंत कराएं जांच: डॉ. राकेश कुमार ने लोगों से अपील की है कि अगर किसी को दो हफ्ते से अधिक खांसी, वजन कम होना, लगातार बुखार या रात में पसीना आने जैसे लक्षण दिखें, तो वे घबराएं नहीं, बल्कि तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच कराएं। उन्होंने कहा कि टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते इसका इलाज समय पर शुरू हो और दवा का पूरा कोर्स किया जाए। युवाओं से विशेष अपील की है कि वे धूम्रपान जैसी आदतों से दूर रहें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं ताकि 2025 तक जिले को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
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