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हाउस होल्ट सर्वे में 7 प्रखंडों की आशा कार्यकर्ता नहीं ले रहीं रुचि

हाउस होल्ट सर्वे में 7 प्रखंडों की आशा कार्यकर्ता नहीं ले रहीं रुचिहाउस होल्ट सर्वे में 7 प्रखंडों की आशा कार्यकर्ता नहीं ले रहीं रुचिहाउस होल्ट सर्वे में 7 प्रखंडों की आशा कार्यकर्ता नहीं ले रहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफTue, 24 June 2025 10:56 PM
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हाउस होल्ट सर्वे में 7 प्रखंडों की आशा कार्यकर्ता नहीं ले रहीं रुचि

हाउस होल्ट सर्वे में 7 प्रखंडों की आशा कार्यकर्ता नहीं ले रहीं रुचि एम-आशा एप की सिविल सर्जन ने की समीक्षात्मक बैठक 60 प्रतिशत से कम काम करने वालों को जल्द पूरा करने का निर्देश फोटो: आशा बैठक-सदर अस्पताल में मंगलवार को एम-आशा एप की समीक्षा बैठक में शामिल स्वास्थ्यकर्मी। बिहारशरीफ, एक संवाददाता। सदर अस्पताल में मंगलवार को एम-आशा एप की समीक्षा बैठक की गई। बैठक में प्रखंड स्तर के सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) ऐप के तकनीकी संचालन में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। सिविल सर्जन डॉ. जीतेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि यह सरकार की महात्वाकांक्षी योजना है।

इसके माध्यम से आशाकर्मियों को डिजीटल माध्यम से सशक्त बनाया जा रहा है। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है। हाउसहोल्ड सर्वेक्षण में बिहारशरीफ, चंडी, गिरियक, सिलाव, थरथरी, नगरनौसा और एकंगरसराय प्रखंडों की आशाकर्मी काम में रुचि नहीं ले रही हैं। इन प्रखंडों में अब तक 60 प्रतिशत से भी कम सर्वेक्षण कार्य पूरा हुआ है। उन्होंने संबंधित बीसीएम और स्वास्थ्य प्रबंधकों को फील्ड में सक्रिय रूप से काम करने और शेष बचे कार्य को शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिए। इस्लामपुर व कतरीसराय को मिली बधाई : इस्लामपुर और कतरीसराय की आशाकर्मियों द्वारा बेहतरीन कार्य करने पर सिविल सर्जन ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों की कार्यशैली अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणादायक है। लापरवाही बरतने वाले कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। एम-आशा एप से स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता बढ़ी है और इससे सरकार को हर स्तर पर सटीक और समयबद्ध जानकारी प्राप्त होती है। इसके माध्यम से यह जाना जा सकता है कि किस क्षेत्र में कितनी गर्भवती महिलाएं हैं, कितने बच्चों का टीकाकरण हुआ है और किस व्यक्ति को कौन सी स्वास्थ्य सुविधा की आवश्यकता है। इसके माध्यम से योजनाओं के मूल्यांकन और निगरानी में भी काफी सहूलियत हो रही है। एप में दर्ज जानकारी के आधार पर आशा कर्मी को यह भी याद दिलाया जाता है कि कब किसी गर्भवती महिला की जांच या प्रसव तिथि है, कब बच्चे को टीका लगना है या किसी मरीज की अगली जांच कब होनी है। इससे वह समय पर सेवा दे पाती हैं। सर्वे के बाद भेजा जाता है डाटा : सर्वे के बाद डाटा राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा देखा और मूल्यांकित किया जाता है। इससे आशाकर्मियों के कार्यों की निगरानी आसान हो जाती है। एप से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था अधिक व्यवस्थित हुई है। प्रशिक्षण के दौरान तकनीकी विशेषज्ञों ने एप से जुड़ी समस्याओं जैसे लॉग-इन, डेटा अपलोड में त्रुटि, जीपीएस लोकेशन सेटिंग, फोटो अपलोड और हाउसहोल्ड निर्माण की प्रक्रिया को बताया गया। मौके पर डीपीएम श्याम कुमार निर्मल, डाटा सहायक उज्ज्वल कुमार, पिरामल फाउंडेशन से शिवेंद्र कुमार और जागृति कुमारी, जिला सामुदायिक प्रबंधक साजिद हुसैन आदि मौजूद थे।

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