बिहार में ब्लैक आउट से बची थी 733 मेगावाट बिजली, कंपनी ने खुले बाजार में बेच दी
पाकिस्तान से तनावपूर्ण संबंधो के बीच नागरिकों को आपात स्थिति के लिए तैयार करने के मकसद से बुधवार की शाम बिहार के छह जिलों में संपन्न ब्लैक आउट मॉक ड्रिल के दौरान बिजली की खपत में 733 मेगावाट की कमी आई थी।

बिहार के छह जिलों में बुधवार को संपन्न ब्लैक आउट मॉक ड्रिल के दौरान बिजली खपत में 733 मेगावाट की कमी आई थी। निर्धारित प्रक्रिया के तहत बिजली कंपनी ने बच रही अतिरिक्त बिजली को खुले बाजार में बेच दिया। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच नागरिकों को आपात स्थितियों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से बुधवार को मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट का अभ्यास किया गया था। इस दौरान नागरिकों को सायरन बजने के बाद दस मिनट तक बिजली के सारे उपकरण बंद रखने थे। ऐसा करने से सामान्य तौर पर दुश्मन देश के फाइटर जेट को कुछ नजर नहीं आता है।
राजधानी पटना समेत छह जिलों में बुधवार को शाम सात बजे से 7.10 बजे तक बिजली आपूर्ति बंद रखी गई थी। इन इलाकों में 10 मिनट तक बिजली आपूर्ति बंद रहने से बिहार में बिजली खपत में 733 मेगावाट की कमी दर्ज की गई थी। खपत से अधिक बिजली होने पर कंपनी ने खुले बाजार में बेची। बिजली क्षेत्र में यह सामान्य व्यापारिक प्रक्रिया है। जब किसी कंपनी के पास लोड जरूरत से ज्यादा बिजली हो तो वो उस फालतू बिजली को ऐसी किसी कंपनी को बीच देती है, जिसे अपने इलाके में लोड पूरा करने के लिए और बिजली की जरूरत हो।
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बिजली कंपनी के अधिकारियों के अनुसार बुधवार की शाम 6.55 बजे राज्य में बिजली की खपत 6168 मेगावाट थी। ब्लैक आउट मॉक ड्रिल के तहत पटना, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में शाम सात बजे के बाद आपाताकालीन सेवाओं को छोड़ बाकी फीडर बंद कर दिए गए थे। इस कारण शाम सात से 7.10 बजे तक आपूर्ति घटकर 5433 मेगावाट रह गई। खपत में सबसे अधिक कमी पटना में हुई जहां 450 मेगावाट बिजली का उपभोग घट गया। पटना में इस दौरान मात्र 29 मेगावाट बिजली की खपत हुई। ब्लैक आउट के बाद राज्य में बिजली की मांग फिर से 6200 मेगावाट तक चली गई।