शराब तस्करी को बिहार और यूपी सरकार मिलकर रोकेगी, सीमावर्ती जिलों के लिए खास प्लानिंग
बिहार और यूपी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब तस्करी को रोकने के लिए संयुक्त कार्रवाई करेगी। जिसके तहक शुक्रवार को दोनों राज्यों के मद्य निषेष अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर बैठक की। जिसमें साझा प्लानिंग पर चर्चा की गई।

बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार शराब की तस्करी रोकने के लिए संयुक्त कार्रवाई करेगा। इनमें सीमावर्ती इलाकों में चेक पोस्ट बनाने, निगरानी बढ़ाने, शराब दुकानों की निगरानी करने, रेलवे, सड़क और नदी मार्गों से होने वाली तस्करी पर रोक के उपाय करने का निर्णय लिया गया है। शुक्रवार को दोनों राज्यों के मद्य निषेध अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक कर ये निर्णय लिये। बैठक में उत्तर प्रदेश के आबकारी आयुक्त डॉ. आदर्श सिंह, बिहार के एडीजी, मद्य निषेध डॉ. अमित कुमार जैन, सचिव अजय यादव, आयुक्त सह महानिरीक्षक रजनीश कुमार सिंह आदि मौजूद थे। इनके अलावा दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों के सहायक आयुक्त एवं जिला उत्पाद अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
मालूम हो कि बिहार के आठ जिलों रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, सारण, सीवान, गोपालगंज और पश्चिम चंपारण तथा उत्तर प्रदेश के आठ सीमावर्ती जिलों सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज के साथ लगभग 1060 किलोमीटर सीमा साझा करते हैं। बैठक में बिहार चुनाव के मद्देनजर पूर्ण मद्य निषेध नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने पर चर्चा हुई।
वहीं, शराब की तस्करी रोकने को आधुनिक संसाधनों जैसे सीसीटीवी कैमरे, हैंड हेल्ड स्कैनर, ड्रोन, स्निफर डॉग का उपयोग करने, शराब के अड्डों पर संयुक्त छापेमारी, सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब दुकानों की खपत की 10 किमी की परिधि में निगरानी, संबंधित निर्माता कंपनियों के खिलाफ जांच एवं कार्रवाई करने के साथ दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच नियमित समन्वय बैठक और सूचना आदान-प्रदान का निर्णय लिया गया।
जनवरी से मई 2025 तक बिहार में शराब के 64 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई। इनमें 25 प्रतिशत खेप उत्तर प्रदेश निर्मित विदेशी शराब की थी। ऐसे में संबंधित निर्माता कंपनियों के विरुद्ध निगरानी, जांच और आवश्यक दंडात्मक एवं निरोधात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई।