बोले पूर्णिया: कागज पर नहरें, हकीकत खेतों में नहीं पहुंचता पानी
पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड के युवा किसान कौशल युवा कार्यक्रम की तरह खेती के लिए विशेष प्रशिक्षण की मांग कर रहे हैं। वे आधुनिक कृषि तकनीक अपनाना चाहते हैं और आर्थिक रूप से सशक्त होना चाहते हैं।...

प्रस्तुति: रजनीश
पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड के अधिकतर युवा किसान कौशल युवा कार्यक्रम की तरह मिलने वाले रोजगार प्रशिक्षण समान खेती के लिए प्रशिक्षण की मांग कर रहे हैं। श्रीनगर प्रखंड में कम से कम 10 हजार युवा किसान ऐसे हैं जो खेती को उद्योग के रूप में करने की लालसा रखते हैं परंतु उन्हें सिर्फ वर्कशॉप तक सीमित रख दिया जाता है जबकि वे लोग कौशल युवा प्रशिक्षण की तरह विशेष प्रशिक्षण की मांग कर रहे हैं। इस दिशा में अब महिलाओं का भी सहयोग होना शुरू हो गया है जिसके कारण खेती में भी नई पीढ़ी के युवा दिलचस्पी लेने लगे हैं। इस मामले में श्रीनगर प्रखंड के युवा किसान काफी चैतन्य दिख रहे हैं। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले पूर्णिया संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। लोगों ने समाधान के साथ सुझाव भी दिए। जिससे युवा किसान आर्थिक तरक्की करे और राज्य सरकार की भी आमदनी बढ़े।
पूर्णिया समेत श्रीनगर प्रखंड के युवा किसान खेती के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं। यहां के युवा किसान पढ़ लिखकर प्रशिक्षण की इच्छा रखते हैं ताकि कृषि क्षेत्र में कमर्शियल क्रॉप उगाकर कृषि को औद्योगिक दर्जा दे सकें और अपने आप को नौकरी पेशा एवं व्यवसाय से उन्नति करने वाले लोगों की तरह अपने को आर्थिक रूप से सबल कर सकें। वैसे कृषि कार्य को आधुनिक बनाने के लिए सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। इसी कड़ी में कौशल विकास मिशन के तहत किसानों को अब खेती से जुड़ी नई तकनीकों, रसायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं के सही उपयोग तथा उच्च गुणवत्ता के बीजों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात चल रही है। उद्देश्य यह है कि किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ उन्नत कृषि पद्धतियों को अपनाकर उत्पादन बढ़ा सकें और लागत घटा सकें। कुल मिलाकर सरकार की यह पहल किसानों के हित में है, लेकिन जब तक सिंचाई की व्यवस्था मजबूत नहीं होगी तब तक किसानों को संपूर्ण लाभ नहीं मिलेगा। नहरों की मरम्मत और सफाई जरूरी है ताकि किसानों की मेहनत रंग ला सके और उनकी उपज में बढ़ोतरी हो। किसानों को भी चाहिए कि वे दी जा रही सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और अपनी खेती को आधुनिक बनाएं। कृषि विभाग ने इसके लिए मोबाइल यूनिट तैयार करने की योजना बनाई है, जो गांव-गांव जाकर किसानों को प्रशिक्षण देगी। हालांकि खेती में प्रशिक्षण जितना जरूरी है, उतनी ही जरूरी सिंचाई की व्यवस्था भी है। श्रीनगर प्रखंड के अधिकतर किसान नहर पर निर्भर हैं, लेकिन हाल के वर्षों में नहरें हाथी के दांत साबित हो रही हैं। कागजों पर तो नहरें हैं, लेकिन हकीकत यह है कि नहरों में समय पर पानी नहीं पहुंचता। कई जगह नहरों में गाद जमा होने और जर्जर होने के कारण उनका अस्तित्व ही खतरे में है। ग्रामीण इलाकों के किसानों का कहना है कि समय पर बारिश न होने पर उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है, क्योंकि नहर से पानी नहीं मिलता। कई किसान मजबूरी में डीजल पंप से खेतों में सिंचाई कर रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
आधुनिक तकनीक से अवगत कराएगी सरकार
कृषि विभाग ने विशेषज्ञों की टीम तैयार की है जो पंचायत स्तर पर शिविर लगाएगी और खेतों में जाकर किसानों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराएगी। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि अब भी अधिकतर किसान खाद और कीटनाशक दवाओं का अत्यधिक या गलत इस्तेमाल करते हैं, जिससे मृदा की उर्वरता घटती है और फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसी समस्या को दूर करने के लिए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेत की मिट्टी की जांच, फसल के अनुसार उर्वरक और दवाओं के सही मात्रा में उपयोग की जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण में यह भी बताया जाएगा कि खेतों में किस किस्म के बीज ज्यादा उपज देंगे और किस फसल के लिए कितनी सिंचाई जरूरी है।
नहरों की सफाई और मरम्मत की मांग
किसानों और किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि नहरों की तत्काल सफाई कराई जाए और टूटी-फूटी नहरों की मरम्मत कराई जाए ताकि पानी खेतों तक पहुंच सके। कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि किसानों को सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण से तभी लाभ होगा जब वे खुद जागरूक होंगे और नई तकनीकों को अपनाएंगे। किसानों से अपील की गई है कि वे प्रशिक्षण शिविरों में भाग लें और अपने खेतों में वैज्ञानिक तरीके से खेती कर उत्पादन बढ़ाएं।
इनकी भी सुनिए
किसानों को विभिन्न फसलों की उत्पादन के लिए अलग-अलग विशेष जानकारी हो और उसके एक्सपर्ट के रूप में खेती करें तो फायदा होगा।
-शिव प्रकाश दास
किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से अधिक मुनाफा कमाने के लिए सुनिश्चित करना चाहिए। क्षेत्र के अनुसार खेती करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
-विजय महतो
श्रीनगर में किसानों को कला एवं ड्रैगन फ्रूट का प्रशिक्षण नही मिलने से किसानों को आधुनिक खेती करने में दिक्कत होती है।
- हरदेव रजवाड़
नहर में समय पर पानी नहीं होने से किसानों को सिंचाई करने के लिए लागत पूंजी बढ़ जाने से किसानों को लाभ कम मिल पाता है।
-लक्ष्मी राजवंशी
फसल में होने वाली बीमारी के निदान के लिए खेत में किसानों को जानकारी समाधान होना चाहिए।
- अभय ठाकुर
किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लेकर किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
- देवानंद कुमार
किसी नहर में कभी-कभी पानी आ जाता है। खासकर बरसात में पानी देखा जाता है। बाकी समय में पानी देखने के लिए किसान तरस जाते हैं।
-विनोद पासवान
कई नहर पर लोग घर,जलावन घर, मवेशी घर एवं शौचालय तक बना लिया गया है।नहर की मिट्टी की कटाई भी किया गया है।
-राजेन्द्र कुमार
नहर की साफ-सफाई करनी चाहिए। अतिक्रमण हटाने को लेकर अभियान चलाया जाना चाहिए। इसके बाद पानी छोड़ा जाना चाहिए।
-अनोखेलाल
किसानों को रसायनिक खाद खेत में डालने का नियम एवं तरीका को लेकर आवश्यक प्रशिक्षण मिलना चाहिए।
-सुमन झा
किसान जानकारी के अभाव में अधिक से अधिक मात्रा में अच्छी उपज के लिए रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं।
-विष्णुदेव साह
किसानों को रसायनिक खाद का उपयोग कम करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। कृषि सलाहकार को भी दिलचस्पी लेनी चाहिए।
- मांगन महलदार
अधिक उपज के लिए बड़ी मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग किया जाता है। रासायनिक खाद का कम उपयोग कर अधिक लाभ होने को लेकर प्रशिक्षण मिलना चाहिए।
-एखलाक आलम
रसायनिक खाद का उपयोग कम करना चाहिए। रसायनिक खाद कम उपयोग करने से उपज भले कम हो लेकिन खेत की उर्वरा शक्ति हर हमेशा बनी रहती है।
-कृष्णदेव चौरसिया
रसायनिक खाद पर निर्भर कम होने को लेकर जागरूक किया जाना चाहिए। गोबर खाद, जैविक खाद उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
-ललित चौरसिया
किसानों को अच्छी बीज नही मिलने के कारण कभी कभी फसल चौपट हो जाती है। किसानों को बीज एवं खाद की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
-विपिन कुमार शर्मा
बोले जिम्मेदार
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कृषि विभाग लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन उससे भी आगे बढ़कर प्रयास करने की जरूरत है। क्योंकि अब नई पीढ़ी पर लिखकर कमर्शियल क्रॉप की खेती करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। उनके प्रोत्साहन के लिए कृषि विभाग से लगातार संपर्क स्थापित किया जा रहा है।
अनमोल कुमार रजवार, सदस्य, जिला परिषद
शिकायत
1. किसानों को समय-समय पर फसलवार प्रशिक्षण नहीं मिलता।
2. रसायनिक खाद से खेत खराब होने की संभावना। पैदावार होगी कम।
3. नहर का अतिक्रमण होने के कारण सिंचाई की परेशानी।
4. किसानों को अच्छी किस्म का बीज एवं गुणवत्तापूर्ण खाद नहीं मिलती।
सुझाव
1. किसानों को फसल के समय खेत पर प्रशिक्षण मिलना चाहिए।
2. रसायनिक खाद की अच्छी गुणवत्ता की जांच जरूरी।
3. नहर अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए विभाग पहल करे।
4. बीज और खाद की पहचान के लिए प्रशिक्षण मिलना चाहिए
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