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बोले कटिहार: बाहरी परीक्षाओं से कक्षाएं प्रभावित, छात्रों का समय और मेहनत बर्बाद

कटिहार के कॉलेजों में पढ़ाई के बजाय परीक्षाओं का दबाव बढ़ गया है। छात्रों का कहना है कि अनियोजित परीक्षाएं और जर्जर भवन उनकी पढ़ाई और सुरक्षा को प्रभावित कर रहे हैं। कॉलेजों में स्मार्ट क्लास की कमी...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 25 June 2025 04:41 AM
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बोले कटिहार: बाहरी परीक्षाओं से कक्षाएं प्रभावित, छात्रों का समय और मेहनत बर्बाद

प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप

हर सुबह उम्मीद लेकर कॉलेज पहुंचते हैं छात्र-छात्राएं, मगर पढ़ाई से ज़्यादा सामना होता है अनजान चेहरों, ताले लगे कमरों और परीक्षा के लिए खाली कराए गए क्लासरूम से। ज्ञान की जगह अब चिंता घेर लेती है मन को - आज क्लास होगी या फिर कोई और परीक्षा? कटिहार के कॉलेजों की दीवारें अब ज्ञान नहीं, सरकारी दबाव की गूंज से भर गई हैं। युवा मन पढ़ना चाहता है, सपना देखना चाहता है, लेकिन व्यवस्था बार-बार उन्हें रोक देती है। ऐसे माहौल में न शिक्षा बचती है, न विश्वास। अब बदलाव की ज़रूरत है - ताकि कॉलेज, फिर से कॉलेज बन सके। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।

जिले के डिग्री कॉलेज अब शिक्षा के केंद्र कम और परीक्षा केंद्र या सरकारी कार्यों का अड्डा ज़्यादा बनते जा रहे हैं। साल भर में औसतन 50 से अधिक प्रतियोगी और बोर्ड परीक्षाओं का केंद्र कटिहार के कॉलेज परिसरों में पड़ता है, जिससे नियमित शिक्षण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। सबसे अधिक असर के.बी. झा कॉलेज और डीएस कॉलेज जैसे प्रमुख संस्थानों पर पड़ रहा है, जहां क्लास लेने के लिए समय और जगह दोनों की भारी किल्लत हो जाती है।

कॉलेजों में वर्ष भर चलने वाली परीक्षाओं और सरकारी आयोजनों से न केवल शिक्षकों की समय-सारणी अस्त-व्यस्त होती है, बल्कि छात्र भी भ्रम की स्थिति में रहते हैं। कभी अचानक परीक्षा केंद्र पड़ने से दूर-दराज के छात्र बिना सूचना के लौट जाते हैं। इससे समय और मेहनत दोनों की बर्बादी होती है।केबी झा कॉलेज का मुख्य भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, लेकिन उसमें अभी भी छात्रों को बैठाकर परीक्षा दिलाई जा रही है। डीएस कॉलेज में सुरक्षा का कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। चारों ओर से बाउंड्री नहीं होने के कारण बाहरी लोगों का बेधड़क आना-जाना जारी है। छात्राएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं, खासकर जब कॉलेज में बाहरी परीक्षार्थियों की भीड़ लगी रहती है। केबी झा कॉलेज के इनडोर स्टेडियम में खेल के बजाय परीक्षा करवाई जा रही है। जबकि नियमानुसार इनडोर स्टेडियम का उपयोग केवल खेल-कूद गतिविधियों के लिए होना चाहिए। इससे न केवल शारीरिक विकास को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम बाधित हो रहे हैं, बल्कि छात्रों को खेल की सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। डीएस कॉलेज का पुराना हॉस्टल अब नशा करने वालों का अड्डा बन चुका है। यहां स्मैक और अन्य नशीले पदार्थों का खुलेआम सेवन होता है, जिससे परिसर का माहौल खराब हो गया है।

गार्ड या सीसीटीवी नहीं होने से डर का माहौल

कोई सुरक्षा गार्ड या सीसीटीवी नहीं होने से छात्राएं डर के माहौल में क्लास करती हैं।कॉलेजों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था नहीं है। नियमित कक्षाओं के लिए जगह नहीं मिलती और परीक्षाएं ही प्राथमिकता बन जाती हैं। पार्किंग की व्यवस्था न होने से छात्रों की साइकिलें चोरी हो जाती हैं। छात्रों का कहना है कि कॉलेज का मतलब पढ़ाई होता है, लेकिन यहां तो हर महीने कोई न कोई परीक्षा होती है। पढ़ाई की स्थिति बेहद खराब है। सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि परीक्षा केंद्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल उद्देश्य – शिक्षा – बरकरार रह सके।

छात्र-छात्राओं ने की जर्जर भवनों की मरम्मत कराने की मांग

छात्राओं ने कहा कि हमें एक ऐसा कॉलेज चाहिए, जहां शिक्षा प्राथमिकता हो, न कि प्रशासनिक गतिविधियां। हम पढ़ने जाते हैं, लेकिन अक्सर क्लासरूम में बाहर से आए परीक्षार्थी बैठे मिलते हैं। खासकर लड़कियों के लिए यह माहौल असहज कर देता है। यह बहुत ही डरावना अनुभव होता है। सरकार को चाहिए कि जर्जर भवनों का मरम्मत तुरंत कराए और पढ़ाई के लिए अलग माहौल बनाए।

इनकी भी सुनिए

परीक्षा केंद्र बनने से कक्षाएं बाधित हो जाती हैं। परीक्षा या चुनाव के कारण क्लास रूम खाली कर दिए जाते हैं। इससे पढ़ाई का नुकसान होता है।

-चंदा कुमारी

परीक्षा केंद्रों के लिए दूसरे स्थान होने चाहिए। कॉलेज की सुरक्षा व्यवस्था भी मज़बूत होनी चाहिए।

-रुक्मणी कुमारी

हमारे कॉलेज की बिल्डिंग बहुत पुरानी हो गई है। कई बार प्लास्टर गिरते देखा है। फिर भी उसी में परीक्षा होती है।

– खुशबू कुमारी

कॉलेजों में साइकिल चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं। एक बार मेरी भी साइकिल चोरी हो गई। पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है।

– लुशी कुमारी

जब भी परीक्षा होती है, हमें क्लास से निकाल दिया जाता है। पढ़ाई पूरी तरह ठप हो जाती है। फिर समय पर सिलेबस खत्म नहीं होता है।

-संगीता कुमारी

डीएस कॉलेज का पुराना हॉस्टल अब पूरी तरह नशा करने वालों का अड्डा बन गया है। हम लड़कियां रोज़ उस रास्ते से डरते हुए निकलती हैं।

-लक्ष्मी कुमारी

कॉलेज में आए दिन कोई न कोई बाहरी लड़का आकर बैठ जाता है। हमें कई बार छींटाकशी भी सुननी पड़ी है। ना तो कोई सुरक्षा गार्ड है।

-आंचल कुमारी

हमारे कॉलेज में स्मार्ट क्लास की सुविधा नहीं है। आज के समय में डिजिटल शिक्षा ज़रूरी है, लेकिन हमारे यहाँ ब्लैकबोर्ड तक ठीक से नहीं मिलते।

-मुस्कान

मुझे कई बार दूर से आकर वापस लौटना पड़ा है क्योंकि कॉलेज परीक्षा केंद्र बन चुका था। कोई सूचना नहीं मिलती है।

-प्रियंका कुमारी

हमारे कॉलेज में आए दिन होने वाले सरकारी प्रशिक्षण, बीएलओ मीटिंग या परीक्षा के कारण पूरा परिसर अस्त-व्यस्त रहता है।

-शिप्रा कुमारी

जैसे ही कॉलेज खुलते हैं, कोई न कोई सूचना आ जाती है कि परीक्षा है या क्लास खाली करा दी गई है। हमें मजबूरी में घर लौटना पड़ता है।

-रीना कुमारी

हमें किताबें, कक्षाएं और शिक्षकों से भरा वातावरण चाहिए। आज जो हालात हैं, उसमें पढ़ाई से ज़्यादा असमंजस और डर है।

-वंदना कुमारी

कॉलेज का इनडोर स्टेडियम पढ़ाई की जगह खेलकूद के लिए बना था, लेकिन अब वहां परीक्षा होती है। लड़कियों के लिए खेलने की कोई जगह नहीं बची है।

-रूपा कुमारी

अगर प्रशासन ने समय रहते कॉलेज की हालत नहीं सुधारी, तो आने वाली पीढ़ी शिक्षा से और भी दूर हो जाएगी। खासकर गांव की लड़कियां जो मुश्किल से कॉलेज तक पहुंचती हैं।

-रीमा कुमारी

कॉलेज परिसर में अगर हर समय बाहरी लोगों का आना-जाना लगा रहेगा, तो छात्राएं कैसे सुरक्षित महसूस करेंगी? हमारी पढ़ाई और मानसिक स्थिति दोनों प्रभावित होती हैं।

– हिना कुमारी

हमें लगता है जैसे कॉलेज शिक्षा का केंद्र नहीं, किसी सरकारी कार्यालय का विस्तार बन चुका है। साल में दर्जनों बार कोई न कोई परीक्षा या कार्यक्रम होता है।

-बबिता कुमारी

बोले जिम्मेदार

कॉलेज परिसरों में बार-बार परीक्षा केंद्र बनाए जाने से छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है, यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है। हम प्रयास कर रहे हैं कि विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में नियमित कक्षाएं बाधित न हों। जिन परिसरों में अतिरिक्त भवन उपलब्ध हैं, वहां परीक्षा केंद्रों को सीमित किया जा रहा है। साथ ही, जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर वैकल्पिक केंद्रों की व्यवस्था करने की दिशा में काम हो रहा है। छात्राओं की सुरक्षा, पढ़ाई और सुविधा हमारी प्राथमिकता है। हम बदलाव के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

– विवेकानंद सिंह, कुलपति, पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया

शिकायत

1. हर महीने होने वाली बाहरी परीक्षाओं के कारण नियमित कक्षाएं प्रभावित होती हैं।

2. केबी झा कॉलेज जैसे संस्थानों में जर्जर भवनों में परीक्षा लेना छात्रों की सुरक्षा से खिलवाड़ है।

3. डीएस कॉलेज में चारदीवारी अधूरी होने से छात्राएं असुरक्षित महसूस करती हैं।

4. कॉलेज परिसर में साइकिल और बाइक के लिए समुचित पार्किंग नहीं है।

5. डीएस कॉलेज का पुराना हॉस्टल अब नशा करने वालों का अड्डा बन गया है।

सुझाव

1. कॉलेजों में पढ़ाई को बाधित न करते हुए परीक्षा केंद्रों के लिए वैकल्पिक स्थान चिह्नित किए जाएं।

2. केबी झा व अन्य कॉलेजों के जर्जर भवनों की मरम्मत कर उन्हें सुरक्षित बनाया जाए।

3. डीएस कॉलेज सहित सभी कॉलेजों में बाउंड्री व गार्ड की तैनाती सुनिश्चित की जाए।

4. सभी डिग्री कॉलेजों में स्मार्ट क्लास रूम व डिजिटल शिक्षण संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।

5. छात्रों की साइकिल व बाइक के लिए सीसीटीवी युक्त सुरक्षित पार्किंग क्षेत्र बनाया जाए।

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