बोले पूर्णिया: हर साल झेलते हैं विस्थापन का दर्द, तेज करें कटावरोधी कार्य
पूर्णिया जिले के बायसी प्रखंड के ताराबाड़ी पंचायत में नदी कटान एक गंभीर समस्या है, जिससे लोग हर साल विस्थापित होते हैं। बाढ़ के समय आवागमन की कठिनाई और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से ग्रामीण परेशान हैं।...

प्रस्तुति: सुबोध कुमार
पूर्णिया जिले के बायसी इलाके में नदी कटान लंबे समय से बड़ी समस्या है। यहां के लोग हर साल विस्थापन का दर्द झेलते हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिला है। मजबूरी में लोगों ने इस हालात को अपनी नियति मान लिया है। बायसी प्रखंड के कई गांव कटाव की चपेट में हैं, जिनमें ताराबाड़ी पंचायत सबसे अधिक संवेदनशील है। यह पंचायत पूर्व में महानंदा और पश्चिम में कनकई नदी से घिरी है। लोग सालभर नाव के सहारे आना-जाना करते हैं, लेकिन कटाव का खतरा लगातार बना रहता है।पंचायत के लोग अगलगी, बाढ़ और अन्य आपदाओं से भी जूझते हैं। प्रखंड मुख्यालय महज सात किलोमीटर दूर है, लेकिन पुल नहीं होने से बाढ़ के समय 30-40 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है। बाढ़ के दिनों में मरीजों को अस्पताल पहुंचाना कठिन हो जाता है। यह बातें बोले पूर्णिया संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।
पूर्णिया जिले के बायसी प्रखंड की ताराबाड़ी पंचायत के लिए बाढ़ का समय किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। यहां दशकों से नदी कटाव की समस्या बनी हुई है, जो हर साल लोगों को विस्थापन की त्रासदी में धकेल देती है। हालांकि कुछ हिस्सों में कटावरोधी कार्य किए गए हैं, लेकिन अमौर प्रखंड की सीमा से सटे खाड़ी महीन गांव तक कनकई नदी अब बहुत नजदीक पहुंच चुकी है। बाढ़ नियंत्रण विभाग फ्लड फाइटिंग कार्य से हालात संभालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ग्रामीणों को भय है कि यदि जल्द ही कटावरोधी कार्य नहीं हुआ, तो पूरा गांव नदी में समा जाएगा। यहां के लोग अब तक छह बार कटाव से विस्थापित हो चुके हैं, जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनकर तैयार है, लेकिन अबतक चालू नहीं हुआ। यदि इसे शुरू किया जाए तो ग्रामीणों को इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। ताराबाड़ी घाट पर कनकई नदी में आजादी के सात दशक बाद भी पुल नहीं बन पाया है। अमौर प्रखंड के खाड़ी घाट में पिछले 15 वर्षों से पुल-पुलिया का निर्माण अधूरा है, जिससे आवागमन में हमेशा जोखिम बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि संभावित बाढ़ से पहले यदि ठोस कटावरोधी कार्य नहीं हुए तो वे एक बार फिर सब कुछ गंवाकर उजड़ जाएंगे। बायसी अनुमंडल के बायसी, अमौर और बैसा प्रखंड आज भी विकास की रोशनी से वंचित हैं। यह क्षेत्र बिहार-बंगाल और पूर्णिया-किशनगंज सीमा से सटा है, लेकिन यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी झेलनी पड़ती है। बाढ़ या बीमारी के समय उन्हें प्रखंड मुख्यालय तक 30–40 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है, जिससे न केवल समय और धन की बर्बादी होती है, बल्कि कई बार जान जोखिम में पड़ जाती है। गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए बैसा या अमौर होकर बायसी पहुंचना पड़ता है, जो बेहद कठिन होता है। बाढ़ के दौरान यह इलाका अनुमंडल और जिला मुख्यालय से पूरी तरह कट जाता है।
नदी कटान पीड़ितों की मुख्य समस्या
पूर्णिया जिले के बायसी अनुमंडल में पांच नदियां क्रमशः महानंदा, कनकई, परमान, दास और बकरा नदी हर साल कहर बरपाती हैं। इस इलाके के लाखों लोग हर साल इन नदियों के भीषण बाढ़ और कटाव की पीड़ा झेलने को विवश हैं। नदी कटाव के कारण लोगों को अपने पक्के मकानों को तोड़कर पलायन करना पड़ता है। जमीन का क्षरण होता है, जिससे लोगों की आजीविका प्रभावित होती है। नदियों के उफान से बाढ़ की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे लोगों को भारी नुकसान होता है। नदी कटान और बाढ़ के कारण स्कूलों को नुकसान पहुंता है और बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं।
विरोध हुआ तब चला कटावनिरोधक कार्य
ताराबाड़ी यादव टोला में नदी कटावनिरोधक कार्य शुरू नहीं होने से ग्रामीणों ने विरोध किया जिसके बाद कटावनिरोधक कार्य शुरू कर दिया गया है लेकिन कटावनिरोधक कार्य काफी धीमी होने के कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने बताया कि नदियों में गाद रहने के कारण नदी के दोनों किनारे होकर पानी बहती है जिससे नदी कटाव तेजी से हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि नदी कटाव के कारण ताराबाड़ी पंचायत के आधा से अधिक गांव के लोग नदी कटाव से परेशान होकर गांव से पलायन कर चुके हैं जबकि हर वर्ष नदी कटाव होता है।
इनकी भी सुनिए
यादव टोला में नदी कटाव शुरू होने जा रहा है। जलस्तर में वृद्धि होने से नदी कटाव का डर सताने लगा है।
-हिना देवी
नदी के बीच में गाद से टीला बना हुआ है। टीला को खाली कर दिया जाए तो वह जल ग्रहण क्षेत्र हो जाएगा पानी इधर-उधर नहीं जाएगा।
-सरोली देवी
आजादी से लेकर अब तक ना ही जनप्रतिनिधि ना ही प्रशासन ने कोई ठोस पहल की जिससे नदी कटाव पर रोक लगा सके ।
-रेखा देवी
नदी कटावनिरोधक कार्य अधिकांश मोहल्लों में अबतक शुरू नहीं हो पाया है। यह हमारे इलाके के निवासियों का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है।
-जयंती देवी
कटाव होने से ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाती है। अगर नदी में पुल का निर्माण कर दिया जाए तो समस्या का निदान हो जाएगा।
-नेहा कुमारी
नदी से गाद को निकाल कर नदी के दोनों सिरों पर बॉर्डर पिचिंग कर देने से नदी कटाव समस्या का निदान हो सकता है।
-फायक आलम
कोई भी नदी से गाद निकलवा कर कटाव निरोधक कार्य नहीं करवाते हैं। इससे हम लोग काफी कुंठाग्रस्त हैं। फरिश्ते का इंतजार है।
-उषा देवी
ताराबरी घाट में नदी पर पुल नहीं रहने के कारण स्थानीय लोग नाव के सहारे आवाजाही करने को मजबूर है गए हैं।
-अशरफ आलम
बाढ़ आने के पहले और बाढ़ के जाने के समय हर वर्ष दर्जनों परिवारों का घर नदी कटाव में विलय हो जाता है।
-मो. जाहिरुल
गांव में अधिकतर गरीब गुरुवा रहते हैं इसलिए जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन का नजर इस ओर नहीं आता है। यहां जिंदगी नहीं सिर्फ समय कट रहा है।
-दयावती देवी
आने वाले चुनाव में प्रत्याशियों से विकास पर चर्चा की जाएगी। आजादी के बाद भी अब तक विकास की रोशनी गांव में नहीं पहुंची है।
-कौशरी
नदियों से गाद निकाल दिया जाए और नदी के छोर को पिचिंग कर दिया जाए तो हमेशा के लिए कटाव की समस्या से निदान मिल जाएगा।
-अशोक यादव
बोले जिम्मेदार
पुल का निर्माण सांसद एवं विधायक का मामला है। कई बार पुल निर्माण को लेकर अपनी मांगें जनप्रतिनिधि से प्रशासन तक दे चुके हैं। पंचायत स्तर से भी लगातार पत्राचार किया जा रहा है। नदी कटाव रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। इसके लिए करोड़ रुपये की आवश्यकता हो सकती है। जिससे यहां के लोगों का पलायन रुक जाएगा और गांव में तरक्की आएगी।
-एजाज अंजुम, मुखिया, ताराबाड़ी
इस इलाके की समस्या आरंभिक काल से काफी गंभीर है। इस मसले को लेकर प्रशासन से लेकर सदन तक आवाज उठाई जाएगी। वहां की परेशान कटान पीड़ित जनता के स्थायी आवास पर बात की जाएगी और उनके कल्याण के लिए भी विशेष पैकेज की बात की जाएगी। विस्थापितों के बच्चों की पढ़ाई के लिए भी व्यवस्था पर बहस होगी। लोगों की सेवा के लिए मैं हमेशा तैयार रहता हूं। इसका असर दिखेगा।
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, सांसद पूर्णिया
शिकायत
1. नदी कटान रोकने का कोई उपाय नहीं, जिससे होती है परेशानी।
2. बाढ़ नियंत्रण पर भी सही अमल नहीं।
3. बाढ़ के समय शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं, होते हैं बीमार।
4. ताराबाड़ी घाट पर अबतक पुल नहीं।
5. बरसात होने के साथ ही स्कूल हो जाता है बंद। बच्चे पढ़ाई से वंचित
सुझाव
1. इलाके में नदी कटान को रोकने का स्थायी समाधान होना चाहिए।
2. स्थायी आवास और जमीन दी जाए।
3. बाढ़ के समय शुद्ध पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
4. बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था हो।
5. नदी कटान को रोकने के लिए अविलंब नदी से गाद हटवाया जाए।
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