बोले पूर्णिया: बढ़ते डॉग अटैक से दहशत, स्टरलाइजेशन जरूरी कदम
पूर्णिया जिले में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। स्कूल जाते बच्चे और गलियों में खेलने वाले लोग दहशत में हैं। इस वर्ष दो बच्चों की मौत कुत्तों के हमले में हुई है। प्रशासन को स्थायी उपाय जैसे...

प्रस्तुति: भूषण/आलोक
पूर्णिया जिले में शहर से लेकर गांव तक आवारा कुत्तों का खौफ लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि स्कूल जाते बच्चे हों या गलियों में खेलने वाले मासूम, सभी डरे-सहमे हैं। रूपौली प्रखंड के नाथपुर पंचायत सहित कई गांवों में कुत्तों का आतंक इस कदर है कि लोग बच्चों को घर से बाहर भेजने में डरते हैं। इसी वर्ष जिले में पागल कुत्तों के हमले में दो बच्चों की मौत हो चुकी है। अकेले मई महीने में रूपौली रेफरल अस्पताल में डॉग बाइट के 48 मामले सामने आए, जिन्हें रेबीज वैक्सीन दी गई। सालाना आंकड़ों की बात करें तो जिले में पांच सौ से अधिक लोग कुत्तों का शिकार बनते हैं। बच्चों की जान बचाने के लिए अब प्रशासन को कुत्तों के स्टरलाइजेशन यानी नसबंदी जैसे स्थायी उपायों पर गंभीरता से विचार करना होगा। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले पूर्णिया संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। संवाद में लोगों ने प्रशासन से जल्द जरूरी कदम उठाने की मांग की, जिससे राहत मिले।
पूर्णिया जिले में अब सांप से भी ज्यादा खतरनाक आवारा कुत्ते साबित हो रहे हैं। जिले का सबसे संवेदनशील क्षेत्र रूपौली प्रखंड का नाथपुर पंचायत है, जहां आवारा कुत्तों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, वर्ष 1971 की बाढ़ से पहले इस इलाके में गीदड़ों का दबदबा था। उस दौर में मक्का के खेतों और आम के बगीचों में गीदड़ इतने अधिक होते थे कि लोग उनसे बचाव के लिए ऊंचे मचान बनाकर रखवाली करते थे। अब गीदड़ तो दिखना बंद हो गए हैं, लेकिन उनकी जगह गांवों में कुत्तों की पूरी फौज नजर आती है। बाढ़ और बारिश के समय ये कुत्ते गांवों के ऊंचे टीले पर जैसे अपना उपनिवेश बना लेते हैं। कुत्तों के हमलों की घटनाएं अब जानलेवा बनती जा रही हैं। नवटोलिया गांव निवासी विपिन सिंह की छह वर्षीय पुत्री रूपा कुमारी की मौत आवारा कुत्तों के हमले में हो गई। घटना उस वक्त हुई जब बच्ची डोभा पुल के पास स्थित बासा पर गई थी। उसके माता-पिता पास के खेत में काम कर रहे थे। दुकान की ओर जाते समय चार-पांच कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया और गले समेत कई जगहों पर काट लिया। घायल बच्ची को परिजन तुरंत मोहनपुर अस्पताल ले गए, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इससे पहले 20 फरवरी को भी फुलकिया गांव में ऐसी ही घटना हुई थी, जब आठ वर्षीय करण कुमार की कुत्तों के हमले में मौत हो गई थी। मृतक के दादा हीरालाल मंडल ने बताया कि बच्चा घर से बासा की ओर गया था, तभी पांच-छह कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर दिया। भागने के प्रयास में वह गिर गया और कुत्तों ने गले में काट लिया। परिजन जब तक उसे अस्पताल ले जाते, तब तक उसकी भी मौत हो चुकी थी। लगातार हो रही इन घटनाओं से गांव के लोग दहशत में हैं और बच्चों को बाहर भेजने में डरने लगे हैं। ग्रामीण प्रशासन से ठोस और स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं, जिसमें स्टरलाइजेशन (नसबंदी) जैसे उपायों पर तत्काल अमल की जरूरत महसूस की जा रही है।
दर्जनों लोगों को काट लिया था एक कुत्ते ने
अकबरपुर ओपी अंतर्गत लक्ष्मीपुर गिरधर पंचायत के तीन गांवों में एक पागल कुत्ता ने एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों सहित दो दर्जन मवेशियों को काट कर लहूलुहान कर दिया था। ग्रामीणों ने बताया कि पागल कुत्ते ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था। कुत्ते ने लक्ष्मीपुर गिरधर, सोरेन और नकटापर गांव के कई लोगों को काट कर लहूलुहान कर दिया था। कुछ घायलों को रेफरल अस्पताल रूपौली में तो कुछ को चौसा के अस्पताल इलाज करवाया गया था। वहीं मवेशियों को भी इंजेक्शन दिलवाया गया था।
बचाव
1. अपने पालतू जानवरों को रेबीज और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से टीका लगवाएं। अपरिचित कुत्तों से सावधान रहें। जिससे बचाव हो।
2. अपरिचित कुत्तों से दूर रहें और उन्हें छेड़ने से बचें। काटने का डर कम होगा।
3. बच्चों को कुत्तों से सावधान रहने की शिक्षा दें। जिससे शिकार होने से बचें
4. बच्चों को सिखाएं कि कुत्तों के साथ कैसे सुरक्षित रूप से व्यवहार करना है।
यह भी जानें
1. कुत्ते के काटने परे क्या है इलाज: कुत्ते के काटने से रेबीज जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है, इसलिए तुरंत प्राथमिक उपचार करना और डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। कुत्ते के काटने पर घाव को तुरंत पानी और साबुन से धोना चाहिए, फिर एंटीसेप्टिक दवा लगानी चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। रेबीज का टीका लगवाना जरूरी है।
2. कुत्ते के काटने से होने वाली परेशानियां: यह एक घातक बीमारी है। जो रेबीज वायरस के कारण होती है। यह वायरस कुत्ते के काटने या खरोंचने से फैलता है। कुत्ते के काटने से बैक्टीरिया या अन्य कीटाणुओं का संक्रमण हो सकता है। काटने वाली जगह पर दर्द, सूजन और लालिमा हो सकती है।
इलाज
1. रेबीज का टीका: रेबीज के टीके कुत्ते के काटने के बाद 72 घंटे के भीतर लगवाने चाहिए।
2. टिटनेस का टीका: यदि पिछले 10 सालों में टिटनेस का टीका नहीं लगवाया गया है, तो टिटनेस का टीका भी लगवाना चाहिए।
3. एंटीबायोटिक्स: यदि संक्रमण है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाएं दे सकते हैं।
4. प्राथमिक उपचार: कुत्ते के काटने के बाद, घाव को तुरंत पानी और साबुन से अच्छी तरह धो लें। घाव को धोने के बाद, उस पर एंटीसेप्टिक दवा, जैसे कि बीटाडीन, लगाएं।
इनकी भी सुनिए
पागल कुत्ते से निजात मिले। प्रशासन इस ओर ध्यान दें। पंचायत स्तर पर पंचायत प्रतिनिधियों को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
-कांति सिंह, नवटोलिया
बच्चे तो बच्चे बड़े लोग भी कुत्ता से भय खाने लगे हैं। अब लगता है पहले के जमाने की तरह लोगों को लाठी ठंडा लेकर चलना पड़ेगा।
-योगेंद्र सिंह
नाथपुर पंचायत में इस वर्ष कुत्ते ने दो बच्चे को मार डाला, परिजन अभी तक शोक से नहीं उबर पाए हैं। इसके बाद भी प्रशासन चुप है।
-रवि कुमार राम
बच्चे खेलने के लिए भी घर से बाहर जाने में कतराने लगे हैं। बच्चों के खेलने के स्थान से कुत्तों को खदेड़ कर भगा देना जरूरी है।
-शशिधर सिंह
आवारा कुत्तों पर प्रशासन की कोई ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। आवारा कुत्तों को भी इंजेक्शन देकर विषहीन बनाने की जरूरत है।
-राजेंद्र प्रसाद सिंह
कुत्तों का झुंड देख रोंगटे खड़े हो जाते है। लोगों को रात में मोहल्ले में घूमने मुश्किल हो गया है अब लोग लाठी लेकर कुत्ते के पीछे लगे हुए हैं।
-विजय कुमार, मुखिया
पागल कुत्तों को देखते ही मानो कुछ देर के लिए सासें थम जाती है। अब लोगों को रात में चलने में सांप से अधिक कुत्तों से डर लगने लगा है।
-फुलेश्वर मंडल
कुत्तों का कहर बच्चों के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है। पहले कुत्ता रखवाली का प्रतीक होता था अब घातक जैसा हो गया है। प्रशासन इससे निबटेे।
-चंदन कुमार
प्रशासन इस ओर कोई ठोस पहल करें। दूसरा कोई उपाय नहीं दिखता है। कुत्तों के के प्रजनन पर भी रोक लगाने का उपाय करना चाहिए।
-मिथुन कुमार
पागल कुत्ते लोगों के साथ मवेशियों पर भी हमला करने लगे हैं। बकरी पालक को भारी परेशानी हो रही है क्योंकि कुत्ते बेवजह बकरियों पर भी आक्रमण करने लगते हैं।
-फूलो कुमार
अब गांव में रोड बन गया है और रोड पर कर चलती है तो कुछ कुत्ते उसे पर बाज की तरह टूटने लगते हैं लगता है कि कार को फाड़ देगा।
-राहुल कुमार
डॉग बाइट की समस्या से निपटने के लिए ऐसी किसी दवा का इजाद किया जाना चाहिए जिससे कुत्ते के काटने के बाद भी परेशानी नहीं हो। बच्चों को जान गंवानी पड़ रही है।
-प्रवीण कुमार
बोले िजम्मेदार
आवारा कुत्ता को नियंत्रित करने के लिए जंगल में छोड़ने का प्रावधान है लेकिन पूर्णिया या इसके आसपास कोई ऐसा जंगल नहीं है। दूसरा प्रावधान बर्थ कंट्रोल एक्ट के तहत है उसके इंप्लीमेंटेशन के लिए जिला पशुपालन पदाधिकारी से भी बात की गई है। नगर निगम के बोर्ड की आगामी बैठक में भी इस मसले को रखा जाएगा और इस पर विचार विमर्श किया जाएगा।
-कुमार मंगलम, नगर आयुक्त, नगर निगम
शिकायत
1. आवारा कुत्ते के कहर से सहमा हुआ है पूरा इलाका। इसके कारण बच्चों का जान गंवानी पड़ रही है।
2. छोटे-छोटे बच्चे घर से बाहर खेलने जाने में डरने लगे हैं। इसकी वजह क्षेत्र में कई बच्चे कुत्ते का शिकार बन चुके हैं।
3. कुत्ते के निशाने पर रहते हैं सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक करने वाले। खासकर बच्चे और बुजुर्गों को परेशानी होती है।
4. कुत्तों के आतंक से घर से निकलकर अपना खेत खलिहान जाने में डरते हैं लोग।
5. स्थानीय अस्पताल में अक्सर नहीं रहती डॉग बाइट की दवा।
सुझाव
1. बच्चे के मन से कुत्तों का डर निकालने के लिए प्रशासन ठोस उपाय करे। इसके लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।
2. बच्चे आराम के घर के समीप खेल सकें, इसके लिए आवारा कुत्तों को भगाना पड़ेगा। जिससे बच्चों को राहत मिले।
3. आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन पहल करे। इससे लोगों को राहत मिलेगी।
4. पालतू कुत्तों की तरह आवारा कुत्तों को भी विषहीन बनाया जाए। जिससे लोगों को डर कम हो।
5. कुत्तों के नियंत्रण के लिए प्रत्येक पंचायत में कुत्ता मित्र की बहाली हो।
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