बोले पूर्णिया: मेडिकल कॉलेज पर्याप्त नहीं, शहर में सदर अस्पताल जरूरी
पूर्णिया में सदर अस्पताल की सुविधा बंद होने के कारण मरीजों को इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज में आवश्यक सुविधाएं अभी तक उपलब्ध नहीं हैं, जिससे लोग निजी अस्पतालों का सहारा...

प्रस्तुति: कुंदन कुमार सिंह सदर अस्पताल भी नहीं रहा। मेडिकल कॉलेज में सुविधा नदारद है। एम्स की मांग अधूरी रह गई। ‘मेडिकल हब कहलाने वाले पूर्णिया की वर्तमान स्थिति यही दर्शाती है। वर्ष 2021 में पूर्णिया सदर अस्पताल का दरवाजा बंद हो गया और उसी स्थान पर उससे भी बड़ा दरवाजा - पूर्णिया मेडिकल कॉलेज का खुल गया। इससे आम लोगों को यह भरोसा हुआ था कि अब पूर्णिया समेत आसपास के रोगियों का इलाज भी पटना की तरह ही हो सकेगा। लेकिन यहां उल्टा हो गया। मेडिकल कॉलेज में अबतक सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। हालांकि, धीरे-धीरे व्यवस्थाएं जरूर बदल रही हैं, लेकिन जिस अपेक्षा के साथ लोगों ने इस बदलाव को स्वीकार किया था, वह पूरी नहीं हो सकी है।
यह बातें हिन्दुस्तान के 'बोले पूर्णिया' संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं। पूर्णिया जिले का लाइन बाजार क्षेत्र चिकित्सा नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां प्रतिदिन सदर अस्पताल में लगभग डेढ़ हजार मरीज आते थे, जबकि निजी चिकित्सा संस्थानों में प्रतिदिन दस हजार से अधिक मरीज चिकित्सकों से परामर्श लेते हैं। पहले यहां सदर अस्पताल की सुविधा थी, जो बाद में मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित हो गई। अब सदर अस्पताल की सुविधा नहीं रह गई है, जबकि कई जिलों में मेडिकल कॉलेज और सदर अस्पताल दोनों संचालित हो रहे हैं। पूर्णिया में भी सदर अस्पताल की सुविधा बहाल करने की मांग लगातार उठ रही है। वर्तमान में जिले में एक मेडिकल कॉलेज के अलावा दो अनुमंडल अस्पताल, दो रेफरल अस्पताल, तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और सात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) कार्यरत हैं। निजी क्षेत्र में भी सौ से अधिक क्लिनिक और नर्सिंग होम सक्रिय हैं। पूर्णिया जिला सिरिंज और रिंच जैसे चिकित्सा उपकरणों के लिए प्रसिद्ध है। यहां इन उपकरणों जितनी ही महत्ता मरीजों के इलाज और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं को भी दी जाती है। पहले सदर अस्पताल की सुविधा में ही लोगों को काफी राहत मिल जाती थी, लेकिन रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मेडिकल कॉलेज की स्थापना और एम्स की मांग की गई। मेडिकल कॉलेज की सुविधा तो शुरू हो गई, लेकिन इसके साथ ही सदर अस्पताल की सेवा बंद हो गई। अब लोगों की मांग है कि पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ सदर अस्पताल की सुविधा भी बहाल की जाए। लाइन बाजार से सटे नया टोला, बाड़ीहाट, न्यू नवरतन, लाइन बाजार जैसे मोहल्लों के लोगों ने भी इस मांग का समर्थन किया है। रोगी कल्याण समिति के पूर्व सदस्य राणा सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना सराहनीय है और इसकी चिकित्सा सेवाएं और मजबूत होनी चाहिए, लेकिन इसके साथ सदर अस्पताल की सुविधा भी दी जानी चाहिए। निजी अस्पताल की रूख करते हैं मरीज पूर्णिया में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग निजी अस्पतालों का सहारा लेते हैं, जो महंगे होते हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज में भीड़ अधिक होने के कारण लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। इसी कारण पूर्णिया के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। आबादी अधिक होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की मांग भी अधिक है, जिससे अस्पतालों में भीड़ बढ़ जाती है। जिले में सदर अस्पताल क्यों है जरूरी जिले के सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया बताते हैं कि सदर अस्पताल जिले में क्यों जरूरी है, इसे समझने की जरूरत है। डॉ कनौजिया बताते हैं कि जिला में आसपास के कई जिलों से रोगी आते हैं। आसपास के जिला चिकित्सा के मामले में ज्यादा डेवलप नहीं है। ऐसे में जरूरतमंद रोगी पूर्णिया आते हैं। यहां जिले की बेहतर सुविधा का उन्हें लाभ मिलता है। अब परेशानी यह है की सदर अस्पताल है नहीं और मेडिकल कॉलेज में पूरी सुविधा शुरू नहीं हुई है। ऐसे में मरीज सफर करते हैं। उन्हें बाहर जाने की मजबूरी हो जाती है। जिले में सदर अस्पताल इसलिए जरूरी है की किसी पीएचसी से टीबी, कुष्ठ, मलेरिया, कालाजार, फाइलेरिया समेत अन्य किसी तरह की मरीज रेफर होकर आते हैं। यहां इंटरटेन कौन करेगा। ऐसे में सदर अस्पताल की सुविधा जरूरी हो जाता है। यहां से कई तरह की योजनाओं का क्रियान्वयन होता है। अब सदर अस्पताल नहीं होने से इस पर प्रभाव पड़ता है। इसके लिए जिला परिषद की बैठक में भी इस दिशा में बात रखी गई थी। अन्य कई जिलों में यह सुविधा है। मेडिकल कॉलेज भी है और सदर अस्पताल भी चल रहा है। इसलिए यहां भी सदर अस्पताल की सुविधा होनी चाहिए। इसके लिए सामूहिक रूप से पहल की जरूरत है। इससे मेडिकल कॉलेज की सुविधा भी लोगों को मिलेगा और सदर अस्पताल की सुविधा भी चलेगा। इसके लिए सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है। बीच के वर्षों में एक सौ बेड अस्पताल के लिए भी आया था मगर दूसरे जगह चला गया। ऐसे में सदर अस्पताल की सुविधा के लिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इनकी भी सुनिए मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भी अभी भी लोगों को बाहर जाकर उपचार कराना मजबूरी हो गई है। अबतक कई सुविधाएं शुरू नहीं हुई है। -राणा सिंह जिले में एक एम्स की भी जरूरत है। इसकी मांग पूरी नहीं हुई। इसलिए सदर अस्पताल भी रहना चाहिए। तभी राहत मिलेगी। -अभिमन्यु कुमार मन्नू यह जिला मेडिकल हब के रूप में जाना जाता है। इसलिए मेडिकल कॉलेज के साथ सदर अस्पताल की सेवा जरूर होनी चाहिए। -विनोद साह यहां रोगी एवं डॉक्टर का एक प्रकार से मंडी है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज की सुविधा को बढ़ाया जाना चाहिए। इससे रोगी को राहत मिलेगी। -योगेन्द्र यादव मेडिकल कॉलेज बनने के बाद सदर अस्पताल की सुविधा नहीं है। यह सुविधा भी सरकार को बहाल करनी चाहिए। -राकेश कर्ण रोगी के हित में सदर अस्पताल की सुविधा भी रहना चाहिए। अन्यथा जीएमसी में ही सुविधा बढ़ानी चाहिए। इससे रोगी को राहत मिलेगी। -विश्वकर्मा साह मेडिकल कॉलेज में अभी भी कई ऑपरेशन की सुविधा शुरू नहीं हुई है। जबकि कॉलेज बने कई वर्ष हो गए। -अनूप चौधरी चिकित्सा सेवा को बढ़ाया जाना चाहिए। इससे आम लोगों के साथ-साथ गरीब मरीज को राहत मिलेगी। जिससे उन्हें आर्थिक बचत होगी। -बासुदेव सहनी प्राईवेट चिकित्सकों से मरीज को दिखाना मजबूरी हो गया है। यहां मेडिकल कॉलेज में बहुत सुविधा नहीं मिल पा रही है। -टिंकू राय सदर अस्पताल की सुविधा नहीं है। पहले आंख का ऑपरेशन भी होता था अभी यह सुविधा शुरू नहीं हुई है। जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता है। -मुकेश कुमार यह जिला काफी पुराना है। यहां रोगी की बहुत बड़ी संख्या देखने को मिलती है। इसलिए एम्स की सुविधा दी जानी चाहिए। -आयुष कुमार सदर अस्पताल के समय जो सुविधा मिल रही थी वह सुविधा अभी मेडिकल कॉलेज में नहीं मिल रही है। सदर अस्पताल की सुविधा भी रहनी चाहिए। -सुमित कुमार मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यहां बहुत सुविधा शुरू हुई है। लेकिन अब तक रोगी को परेशानी से सफर करना पड़ता है। सदर अस्पताल की सुविधा भी दी जानी चाहिए। -राहुल कुमार यहां पहले सदर अस्पताल में अच्छी सुविधा मिलती थी। अब मेडिकल कॉलेज हो गया है। सुविधा बढ़ने की वजह घट ही गई। सदर अस्पताल की सुविधा को भी रहने दिया जाए। -रिंकू सिंह मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी अभी भी लोगों को बाहर जाकर उपचार कराना मजबूरी हो गई है। चूंकि यहां अबतक कई उपचार की सुविधा शुरू नहीं हुई है। -गुडडू अहमद मेडिकल कॉलेज में अभी भी उपचार की बहुत सुविधा होनी है। जिले में जिस तरह से रोगी की संख्या अधिक है। सदर अस्पताल की सुविधा भी दिया जाना चाहिए। -अजय कुमार बोले जिम्मेदार सदर अस्पताल की सुविधा भी होनी चाहिए। इससे जरूरतमंद रोगी को राहत मिलेगी। इन रोगी को बेहतर सुविधा मिलेगी तभी निजी अस्पताल में जाने से बचेंगे। यह सुविधा चाहे सदर अस्पताल में हो या फिर मेडिकल कॉलेज में होने के बाद ही रोगी को राहत मिल सकेगी। -डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जन, पूर्णिया स्वास्थ्य सेवाओं में रोगियों के हित में गुणात्मक सुधार होना जरूरी है। सदर अस्पताल के बंद होने के बाद जनकल्याण को बरकरार रखने के लिए सरकार और मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है और इसके लिए रानीपतरा के बंद पड़े प्राकृतिक चिकित्सालय की जगह सदर अस्पताल स्थापित करने का मशवरा दिया गया है। जनता के हित में हमेशा सकारात्मक पहल होगी। -विजय खेमका, विधायक, पूर्णिया सदर शिकायत 1. जिले में सदर अस्पताल की सुविधा नहीं मिलने से परेशानी। 2. मेडिकल कॉलेज में अभी भी कई सुविधाएं शुरू नहीं हुई है। 3. मरीजों को आईसीयू और ट्रामा की सुविधा नहीं मिल रही। 4. सदर अस्पताल की तरह जीएमसीएच व्यवस्थित नहीं। सुझाव 1. जिले में सदर अस्पताल की सुविधा भी होनी चाहिए। 2. मेडिकल कॉलेज में सभी ऑपरेशन की सुविधा सुनिश्चित हो। 3. अधिक से अधिक मरीज को मिले उपचार की सुविधा। 4. आईसीयू और ट्रामा सेंटर की सुविधा मिले, मरीजोें को फायदा।
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