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बोले कटिहार: सावधान! हवा में घुल रहा जहर समय से पहले मौत की दस्तक

कटिहार की सड़कों पर ध्वनि और वायु प्रदूषण से लोग परेशान हैं। प्रेशर हॉर्न की तेज आवाज और भारी वाहनों के धुएं ने जीवन को कठिन बना दिया है। बच्चे और बुजुर्ग बीमार हैं। स्थानीय निवासी प्रशासन से स्थायी...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 23 June 2025 03:56 AM
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बोले कटिहार: सावधान! हवा में घुल रहा जहर समय से पहले मौत की दस्तक

प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप

हर सुबह कटिहार की सड़कों पर सूरज से पहले शोर उतर आता है-प्रेशर हॉर्न की चीख, धुएं की मोटी परत और धूल का अंधड़। हृदयगंज से फुलवरिया तक सांस लेना तकलीफ बन गया है। बच्चे खांसी में उलझे हैं, बुजुर्गों की सुनने की शक्ति जाती रही और घर साउंडप्रूफ खिड़कियों में कैद हो गए हैं। हर कोने में एक अजीब-सी थकान है-जिसे न कोई सुन रहा, न समझ रहा। शिकायतें थक चुकी हैं, लोग हार मानने को मजबूर हैं। क्या कोई सुनेगा इन सड़कों की घुटती आवाज़ें? या फिर कटिहार की ये हवा हमेशा जहर बनी रहेगी? यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।

कटिहार की सड़कों पर अब सिर्फ गाड़ियां नहीं दौड़तीं, बल्कि दौड़ती है एक ऐसी व्यवस्था जो लोगों की सांसों को धीरे-धीरे निगल रही है। हृदयगंज, हाजीपुर, मिर्चाईबाड़ी, गोशाला चौक से लेकर खेरिया, फुलवरिया, पवई, डूमर, समेली और कुरसेला तक करीब 80 हजार से अधिक लोग ध्वनि और वायु प्रदूषण की भयावह गिरफ्त में हैं। दिनभर प्रेशर हॉर्न की कानफोड़ू आवाज़ और भारी वाहनों से निकलने वाले काले धुएं ने आम जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। मानो सड़क किनारे रहना अब एक सजा बन चुकी है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई या तो बीमार है या बीमारी की दहलीज पर खड़ा है। स्थानीय निवासी संजय कुमार रजक, श्रीकांत यादव, शिरोमती कश्यप, आरती कुमारी और रंजना देवी कहते हैं कि हमारे बच्चे खांसी और सीने की जकड़न से रात-रातभर सो नहीं पाते। डॉक्टर के पास जाना अब रूटीन हो गया है, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है।

कई बुजुर्गों जैसे तेज नारायण सिंह और उदय शंकर सिंह की सुनने की क्षमता कम हो चुकी है। तेज प्रेशर हॉर्न से न सिर्फ सड़क दुर्घटनाएं बढ़ीं हैं, बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है। मोहल्लों में ट्रैक्टरों के निकलने से धूल उड़ती है, लोग दिनभर मास्क लगाए रहते हैं - अपने ही घर में कैद होकर। कृष्ण प्रसाद कौशिक और कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि यात्री बसें और ऑटो सड़कों के बीचों-बीच सवारियां चढ़ाते-उतारते हैं, जिससे हर समय जाम लगा रहता है। बस स्टैंड खाली पड़ा है और सड़कें पार्किंग स्थल बन गई हैं। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर सैकड़ों पेड़ काट दिए गए, लेकिन एक भी पौधा नहीं लगाया गया। कुमारी अर्चना श्री और विभा कुमारी कहती हैं कि अब न छांव रही, न हवा। हर दिन सूरज की तपिश और धुएं की चुभन शरीर को बींधती है। लोग बताते हैं कि शिकायतें दर्ज कराते-कराते अब तो हिम्मत भी जवाब दे चुकी है। मोहम्मद नजीबुर रहमान कहते हैं कि हमने अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन जवाब नहीं मिला। अब तो लोग साउंडप्रूफ कांच की खिड़कियां लगवा रहे हैं, ताकि घर के अंदर ही थोड़ी शांति मिल सके। अब कब जागेगा प्रशासन? रमेश गुप्ता और सुरेश कुमार ने मांग की है कि सड़कों और नालों की खुदाई के बाद तय समय में मरम्मत हो। ध्वनि और वायु प्रदूषण रोकने के लिए ठोस नियम लागू हों और उनकी सख्ती से निगरानी भी हो। कटिहार की सड़कों पर शोर, धूल और धुएं के बीच रोज़मर्रा की जिंदगी सांस लेने को तरस रही है।

इनकी भी सुनिए

प्रेशर हॉर्न और जहरीले धुएं ने शहर की सांसों को कैद कर लिया है। हम सड़क के किनारे रहने वालों के लिए खिड़की खोलना भी मुश्किल हो गया है।

-विश्वजीत

ध्वनि प्रदूषण ने मानसिक शांति छीन ली है। दिनभर ऐसा लगता है जैसे कोई युद्ध चल रहा हो। मेरी बूढ़ी मां अब ठीक से सो नहीं पातीं।

-रोहित अग्रवाल

कटिहार में अब सड़कों पर चलना जोखिम भरा हो गया है। भारी वाहन तेज़ हॉर्न के साथ धूल उड़ाते हुए निकलते हैं। जो हमारे भविष्य को खा रही है।

-सौरभ कुमार

जहां पेड़ थे, अब वहां सिर्फ गर्मी और धुआं है। सड़क चौड़ी हो गई, पर इंसानियत सिमट गई। हमारी आने वाली पीढ़ियों को हम क्या सौंप रहे हैं?

-नंद लाल यादव

घर में बैठकर भी अब कानों में हॉर्न की गूंज सुनाई देती है। लगता है जैसे हम घर में नहीं, किसी बस स्टैंड में बैठे हों।

-जीवक यादव

ध्वनि और वायु प्रदूषण ने जैसे जीवन से ऊर्जा ही छीन ली है। शरीर थकता नहीं, दिमाग थक गया है। लगातार शोर से नींद तक उड़ जाती है।

-ऋतिक कुमार

सड़क के किनारे रहने वालों की जिंदगी नर्क बन चुकी है। बच्चे खेल नहीं सकते, बुजुर्ग टहल नहीं सकते। शहर को सुधारने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

-राजा कुमार

कटिहार में ट्रैफिक नियम केवल कागज पर है। सड़कों पर बसें और ऑटो जैसे मनमानी कर रहे हों। कोई देखता तक नहीं।

-संजीव कुमार

पेड़ काट दिए, लेकिन कोई हरियाली लौटाने नहीं आया। अब तो धूप भी सीधी जलाती है और हवा भी दम घोंटती है।

-राजीव कुमार

प्रेशर हॉर्न ने सिरदर्द को जीवन का हिस्सा बना दिया है। मेरी दादी अब कम सुनने लगी हैं, और डॉक्टर कहता है ये लगातार शोर का असर है।

-हर्षवर्धन

हमारा मोहल्ला पहले शांत और हरा-भरा था, अब धूल और धुएं का डेरा है। लोग अब घरों में साउंडप्रूफ खिड़कियां लगवा रहे हैं।

- उल्लास कुमार

मेरा बेटा बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा है, लेकिन हॉर्न की आवाज़ से वह परेशान रहता है। कब सुधरेगी व्यवस्था?

-नीरू अग्रवाल

हमारी गली में ट्रैक्टर दिनभर धूल उड़ाते हुए निकलते हैं। बिना मास्क घर से निकलना मुश्किल हो गया है। सांस लेना तक भारी लगता है।

- अनामिका बजाज

जब भी अस्पताल जाती हूं, डॉक्टर कहते हैं-‘प्रदूषण से बचिए’, लेकिन कहां जाएं? घर के बाहर धूल, अंदर शोर। हर दिन नई बीमारी की आशंका है।

- शैली बंका

मैंने हाल ही में एलर्जी के लिए इलाज शुरू कराया है। डॉक्टर ने बताया कि कारण वायु प्रदूषण है। क्या हर दिन सांस लेना भी अब एक चुनौती बन चुका है?

-आशिक कुमार

शहर की सड़कों पर यातायात नियंत्रण नाम की कोई चीज़ नहीं बची। हर कोई अपने हिसाब से चल रहा है। लोग गलत दिशा में वाहन ले जाते हैं।

-शिव कुमार

बोले जिम्मेदार

हम लगातार ध्वनि और वायु प्रदूषण की बढ़ती शिकायतों को संज्ञान में ले रहे हैं। प्रेशर हॉर्न का प्रयोग प्रतिबंधित है और इसके विरुद्ध विशेष चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। सभी वाहन चालकों को निर्देशित किया गया है कि बस स्टैंड और निर्धारित स्थानों पर ही सवारियों को उतारें-चढ़ाएं। अवैध पार्किंग पर कार्रवाई हो रही है। भविष्य में भी जांच तेज की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा।

– बालमुकुंद प्रसाद, जिला परिवहन पदाधिकारी, कटिहार

शिकायत

1. वाहनों की मनमानी और बीच सड़क पर अवैध पार्किंग के कारण दिनभर जाम लगा रहता है। इसके कारण ध्वनी और वायु प्रदूषण फैलता है।

2. प्रेशर हॉर्न और जहरीले धुएं के कारण बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसके कारण असमय मौत हो जा रही है।

3. कई सड़कों पर महीनों से खुदाई हो रखी है, लेकिन उसकी मरम्मत की कोई समयसीमा नहीं तय है। इसके कारण जाम लग रहा है।

4. ध्वनि प्रदूषण से घरों में चैन से रहना मुश्किल हो गया है, लोग साउंडप्रूफ कांच लगाने को मजबूर हैं। इससे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।

5. प्रशासन से बार-बार शिकायत के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, जिससे लोगों में निराशा है। उन्हें आने वाली पीढ़ियों का डर है।

सुझाव

1. बस स्टैंड और ऑटो स्टॉप तय किए जाएं, ताकि बीच सड़क पर सवारी चढ़ाने-उतारने की समस्या से निजात मिले। इससे ध्वनी और वायु प्रदूषण में कमी आएगी और राहत मिलेगी। जिससे लोग असमय मौत से बचेंगे।

2. प्रेशर हॉर्न पर सख्ती से प्रतिबंध लगे और नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना सुनिश्चित हो। जिससे लोग परेशानी से बच सकेंगे।

3. कटे हुए पेड़ों के बदले पौधरोपण अभियान चलाया जाए, ताकि वायु शुद्धता और हरियाली बनी रहे। जिससे लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिले।

4. पक्की नालियों और सड़कों की मरम्मत समयबद्ध हो, जिससे धूल और गड्ढों से राहत मिले। इसके कारण लोग बीमार होने से बचेंगे।

5. वाहनों की पार्किंग के लिए अलग स्थल चिह्नित किए जाएं, जिससे सड़क पर अव्यवस्थित वाहन खड़े न हों। इससे लोगों का समय की बचत होगी और प्रदूषण भी कम फैलगा।

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