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बोले पूर्णिया : पैमाधार से नहीं निकाली गई गाद तो फिर डूब जाएंगी फसलें

ंएक जमाना था जब सीमांचल के इलाके में कोसी बड़ी चपल थी। हर साल कोसी नदी लाखों एकड़ में लगी फसल को लील जाती थी। आज भी यही स्थिति कहीं कहीं देखने को मिलती है।

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 24 June 2025 03:59 AM
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बोले पूर्णिया : पैमाधार से नहीं निकाली गई गाद तो फिर डूब जाएंगी फसलें

प्रस्तुति: प्रदीप राय

एक जमाना था जब सीमांचल के इलाके में कोसी बड़ी चपल थी। हर साल कोसी नदी लाखों एकड़ में लगी फसल को लील जाती थी। आज भी यही स्थिति कहीं कहीं देखने को मिलती है। कोसी नदी से ही जुड़ा हुआ वाकया है जलालगढ़ स्थित पैमाधार की। पैमाधार कोसी नदी की ही एक सूखी हुई प्रशाखा है। जो वैशाख के महीने में सूख जाती है और इसके बाद बरसात के समय काफी खतरनाक हो जाती है। इसको पार कर दूसरी ओर जाना भी काफी मुश्किल होता है। इसकी गहराई काफी उथली हो गई है। इसके कारण बरसात के समय और बाढ़ आने के पहले ही इसमें पानी भर जाता है। यहां से पानी निकलकर किसानों के खेतों की फसल को डुबो कर बर्बाद कर देता है। लगभग 10 हजार बीघा में लगी हुई फसल हर साल बर्बाद होती है। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले पूर्णिया संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।

लोगों की पुरजोर मांग पर जलालगढ़ प्रखंड क्षेत्र के चक एवं सौंठा पंचायत के सीमा से गुजरने वाली पैमाधार के गाद की सफाई का अभियान 22 मई से ही शुरू हो चुका है और इस काम को 25 जून तक समाप्त कर दिया जाना है। कहीं-कहीं पर सफाई का काम पूर्ण भी चुका है और कई जगहों पर काम अभी भी जारी है, लेकिन इसी बीच पैमाधार के गाद की सफाई एवं दोनों छोर पर सही तरीके से मिट्टी को नहीं निकालने के वजह से लोगों में असंतोष है। लोगों को लगता है कि सही ढंग से गाद नहीं निकाली गई तो फिर से इस साल लोगों की फसल पानी में डूबेगी। इस संबंध में चक पंचायत के पूर्व मुखिया परमानंद यादव, विनोद कुमार विश्वास, अशोक ऋषि, पंकज महतो ने बताया कि चक पंचायत में 13 अक्टूबर 2023 को हुए जनसंवाद कार्यक्रम में पूर्णिया के तत्कालीन जिलाधिकारी कुंदन कुमार के समक्ष स्थानीय लोगों एवं जनप्रतिनिधियों ने अपनी समस्या रखी थी। वहीं इस समस्या को सुनने के बाद लोगों को यह आश्वासन दिया गया था कि जल्द से जल्द इस पैमाधार के गाद की सफाई का काम करवाया जाएगा।

चक पंचायत एवं सौठा पंचायत के मुखिया क्रमशः मीरा देवी एवं मो हाकिम कहते हैं कि पैमाधार यहां के आसपास के लोगों की एक बड़ी सुविधा है, लेकिन विगत 15 वर्षों से इस पैमाधर में गाद एवं जलकुंभी जिसे स्थानीय भाषा में (घेघुआ) भी कहते है के पांव पसार लेने की वजह से बाढ़ के समय जब पानी इस पैमाधर से होकर बहने लगता है तो धार में पर्याप्त गहराई एवं चौड़ाई न होने के वजह से सारा का सारा पानी धार से निकल कर आसपास के हजारों एकड़ में लगी फसल को प्रभावित करती है। जिससे न तो खरीफ की और न ही रबी की फसल सही ढंग से पैदावार हो पाती है। रबी की फसल के लिए भी समय पर जमीन नहीं सूख पाती है। इस समस्या को लेकर जलालगढ़ प्रखंड के चक पंचायत में होने वाले जनसंवाद कार्यक्रम में पूर्णिया के तत्कालीन जिलाधिकारी को हम लोगों ने पैमाधर की समस्या से अवगत कराया था। उन्होंने इसका निरीक्षण भी किया था और सभी को यह आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द इसकी सफाई करवाई जाएगी और क्षेत्र के किसानों को फसल लगाने में कोई कठिनाई नहीं होगी। सफाई अभियान को अंजाम भी दिया गया, लेकिन जिस उम्मीद से हमलोगों ने इसकी सफाई सोची थी वह धरातल पर नहीं हुई। न ही पैमाधर के योजनास्थल पर कार्ययोजना का सूचनापट्ट ही लगा और इसका अता पता नहीं चला कि इसकी गहराई कितनी करनी है और चौड़ाई कितनी करनी है। अभी वर्तमान में इसकी सफाई होने के बाद धार के पूरब बांध पर मिट्टी को निकाल कर रख दिया गया वही पश्चिमी बांध अभी भी खुला है। इसबार भी अगर बाढ़ का पानी अपना पैर पसारता है तो पुनः यहां के किसानों को फिर से इसी समस्या का सामना करना पड़ेगा। हमारे क्षेत्र के किसान इस प्रकार के जल संसाधन विभाग के दोहरेपन का शिकार हो गए हैं। अगर इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो यहां के आसपास के लोग आंदोलन करने को विवश होंगे। क्योंकि यह किसी के भी व्यक्ति विशेष की समस्या नहीं है, यह एक जन समस्या है, जिसका निदान जरूरी है।

सफाई कार्य से नाखुश हैं ग्रामीण, जिम्मेदार बेखबर

जब 21 मार्च 2025 को जल संसाधन विभाग की टीम सर्वे को लेकर जलालगढ़ के पैमाधार पहुंची तो इससे स्थानीय लोगों में काफी हर्ष देखा गया था। लेकिन अब उसी काम से लोग काफी नाराज एवं नाखुश दिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि पैमाधार की गाद की सफाई योजना में अनियमितता बरती जा रही है। ज्यादातर काम तो रात से लेकर सुबह चार बजे तक मशीन के माध्यम से की जाती है। लोगों का कहना है कि पैमाधार की गहराई महज़ डेढ़ या दो फीट ही है जो जरूरत के हिसाब से नाकाफी है। वहीं स्थानीय लोगों के सवालों के जवाब जब जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता संजय कुमार गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि रात के समय काम करना ठीक नहीं है। कम से कम रात के आठ बजे तक काम किया जा सकता है लेकिन उसके बाद नहीं। कार्य योजना पर योजना के बोर्ड पर उन्होंने कहा कि योजना कोई भी हो बोर्ड लगाना अनिवार्य है अब क्यों नहीं लगा है मैं इस संबंध में मैं ठेकेदार से बात करता हूँ। उन्होंने कहा कि एक मीटर तक धार की गहराई होनी चाहिए और चौड़ाई पांच से छह मीटर तक रख रहे हैं।

जन संवाद में ग्रामीणों ने डीएम के समक्ष रखी थीं समस्याएं

जनसंवाद कार्यक्रम जलालगढ़ प्रखंड क्षेत्र के चक पंचायत में हुई थी। जनसंवाद कार्यक्रम में तत्कालीन डीएम लोगों की समस्या जान रहे थे। उन्हीं समस्याओं में पैमाधार की समस्या को यहां के स्थानीय किसानों ने डीएम को बताया था। स्थानीय किसानों ने डीएम को बताया कि पैमाधार में अत्यधिक गाद एवं जलकुंभी के वजह से पानी की निकासी नहीं हो पाती है, बरसात के समय जब नदियां उफान पर रहती है तो पैमाधार में भी पानी बहने लगता है लेकिन वह पानी धार में न बहकर सीधे आसपास के क्षेत्र के किसानों के खेतों में चला जाता है जिससे सैकड़ों हेक्टेयर में लगी फसल को सालाना नुकसान होता है। वहीं बरसात खत्म होने के बाद भी कई महीनों तक खेतों में पानी जमा रहता है। जनसंवाद कार्यक्रम में किसानों की इस समस्या को सुनकर 12 मार्च 2024 को तत्कालीन डीएम ने पैमाधार का निरीक्षण कर इसका जायजा लिया था। स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं किसानों से उनकी समस्याएं सुनी थी।

इनकी भी सुनिए

सालाना हमारे खेतों में लगी फसल को बाढ़ का पानी नुकसान पहुंचाता है। इसपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

-अब्दुल करीम

यह वर्षों पुरानी समस्या है। पैमाधार के बीच बड़े पैमाने पर जलकुंभी के जमा हो जाने से धार में अनावश्यक पानी जमा हो जाता है।

-रीता देवी

पैमाधार के सटे अथवा कई किलोमीटर दूर के खेत में लगी फसल भी जब इस धार में बाढ़ का पानी आता है तो उससे अछूता नहीं रहता हैै।

-दिलीप सिंह

पैमाधार में पानी की समस्या सालाना होती है। लोगों को इसका स्थायी समाधान चाहिए ना कि थोड़ा बहुत कम कर औपचारिकता कर दें।

-शशि सुमन

मैंने जब से देखा है लोग इस समस्या से सदा परेशान ही दिखे हैं। जनहित की समस्या है इसका निदान जरूरी है।

-मीरा देवी

जिस प्रकार की कार्ययोजना का संचालन जल संसाधन विभाग के तरफ से किया गया है उस इलाके के लोग खुश नहीं हैं।

-मो. हाकिम

पैमाधार कई वर्षों से हमारे क्षेत्र से होकर बहती है। पहले गाद एवं जलकुंभी की समस्या नहीं थी तो इसके जल से ही सिंचाई करते थे।

-बबलू महतो

फसल लगा तो लेते हैं किसी तरह से, लेकिन वक्त बेवक्त पानी सारा खेल बिगाड़ देता है और फसल में लगाई हुई लागत भी वसूल नहीं हो पाती।

-सिंहेश्वर महतो

इस पैमाधार में गाद की समस्या कई वर्षों से है। इसका स्थायी निराकरण बेहद जरूरी है। जलकुंभी को हटाकर कंपोस्ट भी बनाया जा सकता है।

-बालेश्वर

पैमाधार यहां के लोगों की जरूरत भी है और त्रासदी भी। सरकार अगर ध्यान दे तो समस्या का हल निकाला जा सकेगा।

-आशा देवी

जल जीवन है लेकिन जल अगर इस कदर किसानों के खेत में लगा रहेगा तो किसान बेमौत मर जाएगा।

-अशोक मिस्त्री

कई बार लोगों ने इस समस्या को उठाया। मैंने जनप्रतिनिधियों तक बात पहुंचाई भी। कहा गया कि काम शुरू होकर खत्म भी हो गया।

-जित्तन साहनी

-पैमाधार इलाके की पहचान रही है। स्थानीय किसानों के सिंचाई के लिए यह एक अच्छा साधन माना जाता था लेकिन अब यह अभिशाप बनकर उभर आया है।

-राजेंद्र मंडल

पैमा धार के मसले पर बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है। जिस तरह से काम हुआ है वह कोई समाधान नहीं है बल्कि महज औपचारिकता है। इस पर बड़े जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए।

-दीपक महतो

बोले जिम्मेदार

पैमा धार की समस्या जन समस्या है। इसके स्थायी समाधान के लिए सरकार से बात की जाएगी और जलालगढ़ के किसानों के इस मसले को गंभीरता से लिया जा रहा है। जन भावना से जुड़ी हुई मसले को लेकर अगर सदन में आवाज उठाने की जरूरत हुई तो यह सवाल सदन में गूंजेगा।

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, सांसद, पूर्णिया

शिकायत

1. पैमाधार में वर्षों से गाद जमा है।

2. ऊपर से जलकुंभी भी भरा हुआ है।

3. पैमा धार सफाई में अनियमितता का ग्रामीणों ने लगाया आरोप।

4. गाद के कारण बाढ़ का रहता है खतरा, फसलें होती हैं प्रभावित।

5. गाद के कारण बाढ़ के आने से पहले डूब जाती हैं फसलें।

सुझाव

1. गहराई से गाद निकालना जरूरी।

2. जलकुंभी से पैमाधार को मुक्त करना चाहिए।

3. सूखे के समय में होनी चाहिए पैमाधार की सफाई।

4. बरसात और बाढ़ के समय किसानों की फसल बचाने की हो पहल।

5. सफाई एजेंसी पर हो निगरानी।

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