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बोले पूर्णिया: गाद की समस्या ने बाढ़-कटाव के कहर को कर दिया विकराल

बायसी का क्षेत्र बाढ़ और कटाव से प्रभावित है, जहां हर साल नदियों का जलस्तर बढ़ने पर लोग परेशान होते हैं। स्थानीय लोग बांध बनाने के बजाय नदियों से गाद निकालने की मांग कर रहे हैं। पिछले वर्षों में बाढ़...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 22 June 2025 02:43 AM
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बोले पूर्णिया: गाद की समस्या ने बाढ़-कटाव के कहर को कर दिया विकराल

प्रस्तुति : सुबोध कुमार

बाढ़ और कटाव से बायसी का इलाका आरंभिक काल से प्रभावित रहा है। नदियों के जाल के बीच यह इलाका हर साल बाढ़ के दौरान काफी ज्यादा प्रभावित होता है। इस चपेट में बायसी एवं अमौर के इलाके के कम से कम एक दर्जन से अधिक गांव के निवासी परेशान होकर रह जाते हैं। इस इलाके में महानंदा, कंकई, पनार, दास, परमान आदि समेत कई छोटी बड़ी नदियों का जाल है। सूखे के समय में तो यहां के लोगों को कोई खास दिक्कत नहीं होती लेकिन जैसे ही बाढ़ के पानी का मंजर शुरू हो जाता है वैसे ही यहां के लोगों के कलेजे थरथराने लगते हैं। यहां के लोग अब नदी पर बांध बनाने नहीं बल्कि नदियों के पेटी से गाद निकालने की मांग पर अड़े हुए हैं। एक जगह तो 15 फीट नदी का कटाव हो गया है, जिससे लोगों के बीच हड़कंप मच गया है और नया आशियाना तलाशने लगे हैं। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले पूर्णिया संवाद के दौरान उभरकर सामने आईं।

आसमान में बादल छाते ही बायसी अनुमंडल क्षेत्र बायसी, अमौर, बैसा एवं डगरुआ चारों प्रखंड में बाढ़ और कटाव का खतरा लोगों को सताने लगा है। बाढ़ की चर्चा होने पर बायसी इलाके को लोगों के जेहन में वर्ष 1987 एवं 2017 की बाढ़ की याद आने लगती है और उनके बदन जमने लगते हैं। दरअसल, उस समय महानंदा का बांध कदवा-कचोरा के इलाके में टूटा था और देखते ही देखते पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जल-प्लावित हो गया था। जिससे 2017 में बायसी दिगल बैंक स्टैट हाइवे 99 में 23 किलोमीटर में 22 किलोमीटर तक स्टेट हाइवे 99 के ऊपर एक से चार फीट तक पानी बहने लगा था। जिसका जख्म अब तक नहीं भर पाया है।

पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाली एनएच 31 डिग्गी पुल ध्वस्त होने के आठ वर्ष बाद भी अबतक निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया है। उसी समय से स्थानीय लोग जिद पकड़ रहे हैं कि हमें बांध नहीं चाहिए, नदी की पेटी का मलबा निकाल दीजिए। बाढ़ की समस्या का समाधान स्वत: हो जाएगा। जबकि 2017 में ग्रामीणों ने एनएच 31 को जाम कर नदी की बीच जमे गाद खाली करवाने की मांग की एवं नदी के दोनों सिरों को बॉर्डर पिचिंग की मांग की थी। इसके बाद प्रशासन द्वारा जल्द कार्रवाई का आश्वासन देकर जाम को हटाया गया था। नदियों के बीच में जमे गाद अबतक निकाला नहीं गया है जबकि कई स्थानों पर जिओ टैग द्वारा कटाव निरोधक कार्य किए गए हैं। जिसमें कई स्थानों पर कटाव निरोधक कार्य में अनियमितता के आरोप लग रहे हैं। अमौर प्रखंड के खाड़ी महीन वार्ड चार, दो एवं एक में नदी कटाव रोकने के लिए किए गए निरोधक कार्य में घोर अनियमिता बताई जा रही है। ग्रमीण मो. मुजफ्फर, मो. सैयद, हाजी अब्दुल हक, नूर आलम, शाहनवाज आलम, मीर होंडा एवं मो. हुसैन आदि ने बताया कि पिछले वर्ष बाढ़ में दो दर्जन से अधिक घर नदी में समा चुके हैं और इस वर्ष करीब एक माह में 10 से 15 फीट नदी कटाव हो चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि नदी कटाव निरोधक कार्य किया जा रहा है जिसमें चावल की बोरी में मिट्टी भर कर नदी किनारे डाला जा रहा है।

पानी का दबाव बढ़ेगा तो बांध टूटने का खतरा बना रहेगा

बायसी पुराने बांध पर पानी का दबाव बढ़ने से टूटने का खतरा बना रहता है। बाढ़ से बचाव के लिए बांध का निर्माण होता है। मगर इस बांध के बनने से सीमांचल के एक दर्जन प्रखंडों के लगभग 700 गांव व 10 लाख की आबादी पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगेगा। महानंदा के बायें व दायें तटबंध की दूरी घटकर 3-4 किमी रह जाएगी। पुराने बांध पर पानी का दबाव बढ़ेगा तो टूटने का खतरा बना रहेगा। लाखों की आबादी को कृषि जैसी आजीविका का नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

198 किमी बनेगा बांध तीन जिले को जोड़ेगा

सरकार ने महानंदा बेसिन फेज- टू सीमांचल के तीन जिलों में 198 किलोमीटर बांध बनाने का प्रस्ताव लिया है और काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। किशनगंज से पूर्णिया होते कटिहार तक 198 किमी बांध बनना है। भूमि अधिग्रहण एवं मापी का काम शुरू हो गया है। बायसी अनुमंडल के चरैया पंचायत के मैदान में बांध रोको संघर्ष समिति ने एक मंच से इसका विरोध किया है। जिसमें स्थानीय पूर्व मंत्री, जनप्रतिनिधि और हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल थे। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बांध न बनाकर नदी से गाद निकाल दे तो बाढ़ का समाधान हो जाएगा।

इनकी भी सुनिए

बायसी प्रखंड के ताराबाड़ी से खाड़ी घाट हो नाव के सहारे नदी पार करना पड़ता है। 15 वर्ष से खाड़ी घाट पुल निर्माण चल रहा है।

-परवेज नाज

बारिश में नदी का पानी चारों ओर फैल जाता है। अगर नदी के बीच का गाद निकाल दिया जाए तो पानी नदी में ही रहेगा जिससे लोगों को राहत मिलेगी।

-कौसर रजा

प्रतिदिन नाव के सहारे बाइक पर सब्जी लेकर नदी पार होना पड़ता है एवं नाव वाले को प्रतिदिन 20 रुपये देना पड़ता है।

-शाह आलम, सब्जी विक्रेता

सीमांचल के जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र पर विकास के बजाय किए गए कार्यों के वाह-वाही लेने के चक्कर में रहते हैं।

फरवरी में कटाव निरोधक कार्य पास हुआ है, लेकिन 15 मई के बाद काम शुरू किया गया है ताकि बारिश के आते हैं कार्य पूर्ण कर रिपोर्ट सरकार को भेज देंगे और इससे संबंधित लोग यहां से चले जाएंगे।

-एजाज अहमद

नदी कटान निरोधक कार्य में संवेदक एवं अधिकारी स्थल पर नहीं पहुंचते हैं लेबर और एक मुंशी द्वारा कार्य किया जाता है ग्रामीणों द्वारा पूछताछ किए जाने पर काम बंद करने की धमकी दिए जाने के कारण ग्रामीण विरोध नहीं कर पाते हैं।

-महबूब आलम

संवेदक द्वारा चावल की बोरी में मिट्टी भरकर कटावनिरोधक कार्य किया जा रहा है। जो स्थाई समाधान नहीं है। हमारा घर ना कटे ऊपर वाले से यही दुआ करते हैं। अब सब कुछ ऊपर वाले के भरोसे छोड़ दिया है।

-हाजी अब्दुल हक

पिछले वर्ष आए भीषण बाढ़ में मकान नदी में समा गया है। समय पर काम पूर्ण नहीं हो पाता है। ऐसा लगता है कि सबके सब मिलकर बाढ़ आने का इंतजार करते हैं और औपचारिकता पूरी कर निकल जाते हैं।

-नूर आलम

हर साल बाढ़ और कटाव की परेशानी हम लोग झेलते हैं। सरकार भी स्थायी समाधान नहीं करती। आश्चर्य इस बात का है कि जब हर साल की समस्या एक ही है तो उसका एक समाधान क्यों नहीं निकाला जाता?

-शाहनवाज आलम

चावल के बोरे में बालू भरकर कटाव निरोधक कार्य किया जा रहा है, जो मजबूत नहीं लगता है और हम लोगों को हमेशा बाढ़ और कटाव का डर सताते रहता है। अगर डीएम साहब स्थल का जांच करें तो दूध का दूध एवं पानी का पानी हो सकता है।

-मो. मुजफ्फर

कटाव निरोधक कार्य जल्द पूरा लेकिन अच्छे से हो। साल की पहली छमाही तो ठीक-ठाक रहता है लेकिन दूसरे छमाही में हम लोग बाढ़ और कटाव के बीच भागम भाग करते रहते हैं।

-मो. सैयद

कटावनिरोधक कार्य अच्छे से नहीं हो रहा है। हम लोग परेशान हैं, चिंतित भी रहते हैं। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। कटावनिरोधक कार्य करने वाले लोगों का रवैया भी ठीक नहीं लगता।

-मीर होदा

नदी कटाव के समय से ही पीड़ित लोग इधर से उधर भागते रहते हैं लेकिन ईश्वर भी कोई ध्यान नहीं देता। गांव में अधिकांश लोग गरीब हैं। गरीबों की समस्या भी कोई सुनने को तैयार नहीं है।

-मो. हुसैन

अगर विभागीय अधिकारी चाहे तो कटावनिरोधक कार्य गुणवत्तापूर्ण हो सकता है और लोगों की आशियाने भी बच सकते हैं। लेकिन यहां आशियाना बचाने की चिंता किसी को नहीं है।

-अशोक यादव

बोले जिम्मेदार

हर हाल में बायसी के लोगों की सामुदायिक समस्या के समाधान की पहल की जाएगी। सरकार से भी बात की जाएगी और स्थानीय जन भावना के अनुसार नदियों से गाद निकलवाने जैसे मुद्दे पर भी चर्चा होगी और इलाके के परेशान लोगों को राहत दिलवाने की कोशिश पुरजोर ढंग से की जाएगी।

-राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, सांसद पूर्णिया

शिकायत

1. नदी से गाद नहीं निकाले जाने के कारण हर साल आती है बाढ़।

2. बाढ़ को देखते हुए कृषि कार्य में बदलाव के लिए ट्रेनिंग नहीं मिली।

3. कटाव रोकने के लिए नदी की दिशा बदली नहीं गई।

4. कटाव पीड़ितों को पुनर्वास, बाढ़ एवं कटाव का नहीं हुआ समाधान।

सुझाव

1. बांध नहीं बनाकर नदी से गाद निकाली जाए।

2. कटाव पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था अविलंब हो।

3. कटाव रोकने के लिए नदी की दिशा बदली जाए।

4. बाढ़ के पहले की फसल लगाने की ट्रेनिंग मिले।

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