लिपिक का निलंबन टूटा, थोड़ी देर बाद फिर हुए सस्पेंड
सृजन घोटाला जिला नजारत शाखा में लिपिक के पद पर थे कार्यरत 20 जनवरी 2018

भागलपुर, मुख्य संवाददाता। सृजन घोटाला में आरोपित जिला नजारत शाखा के लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव ने जेल से निकलने के बाद समाहरणालय में योगदान दिया। मामले में सीबीआई द्वारा 20 जनवरी 2018 को गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें निलंबित किया दिया था। इधर, 24 अप्रैल 2025 को पटना स्थित विशेष न्यायालय सीबीआई-2 के न्यायाधीश द्वारा कारामुक्त किए जाने के बाद जब उन्होंने यहां योगदान दिया तब उन्हें तत्काल निलंबन मुक्त कर दिया गया। लेकिन गंभीर आरोपों को देखते हुए थोड़ी देर बाद ही उन्हें दोबारा सस्पेंड करते हुए कहलगांव भेज दिया गया है। अमरेंद्र यादव का निलंबन मुख्यालय कहलगांव अनुमंडल कार्यालय निर्धारित किया गया है।
जिलाधिकारी ने बड़ी खंजरपुर के मिश्रा टोला निवासी अमरेंद्र के निलंबन की जानकारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एंटी करप्शन विंग-2 नई दिल्ली को भी दी है। आरोपित अमरेंद्र कुमार यादव के खिलाफ सीबीआई ने छह मामले में चार्जशीट दाखिल की है। वहीं, मनी लांड्रिंग के एक मामले में प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज करते हुए गिरफ्तारी के लिए रिमांड किया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि अमरेंद्र ने नजारत शाखा से 12 करोड़ रुपये सृजन के खाते में गलत मंशा से ट्रांसफर किए जाने की साजिश में शामिल हैं। सीबीआई जांच में सामने आया कि अमरेंद्र ने घोटाले के कई आरोपितों के साथ ही नोएडा स्थित गार्डिनिया में पत्नी के नाम से फ्लैट बुक कराया था। इसके लिए बिल्डर को सृजन के खाते से राशि स्थानांतरित की गई थी। सृजन घोटाले की कहानी सीबीआई ने 1435 पन्नों में दर्ज की थी। इसमें सीबीआई ने भागलपुर, बांका व सहरसा के थानों में दर्ज प्राथमिकी, बैंक स्टेटमेंट, चेक आदि का जिक्र किया है। 7 अगस्त, 2017 को दर्ज हुई थी पहली प्राथमिकी गौर हो कि घोटाले की पहली प्राथमिकी भागलपुर में 7 अगस्त, 2017 को दर्ज हुई थी। प्राथमिकी की संख्या और घोटाले की बढ़ती राशि देख राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश 18 अगस्त, 2017 को की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच से संबंधित अधिसूचना 21 अगस्त, 2017 को जारी की। जारी अधिसूचना के बाद 26 अगस्त, 2017 को पहली बार मामले की जांच करने सीबीआई टीम भागलपुर पहुंची। 27 अगस्त को सीबीआई की टीम ने वरीय पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और कागजात की पड़ताल की। कागजात की जांच में पाया गया कि पहली प्राथमिकी में गवाह के रूप में स्वयं अमरेंद्र यादव हैं। लेकिन इस मामले में उनकी भी सहभागिता है। सीबीआई की कार्रवाई देख अमरेंद्र भूमिगत हो गए, लेकिन जांच एजेंसी ने 20 जनवरी 2018 को गिरफ्तार कर सीबीआई अदालत में पेश किया।
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