बोले जमुई: स्कूल के लिए लगा रहे गुहार, शिक्षा विभाग सुने पुकार
झाझा के बाराजोर पंचायत में गिद्धको और नया आबादीगंज गिद्धको गांव के बच्चों का भविष्य अंधकार में है। शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण गांव में कोई प्राथमिक विद्यालय नहीं है, जिससे बच्चे दो से तीन किलोमीटर...

प्रस्तुति: शंकर किशोर सिंह
झाझा के बाराजोर पंचायत स्थित नया आबादीगंज गिद्धको व गिद्धको गांव के बच्चों का भविष्य अधर में लटका है। मूलभूत शिक्षा की आस में ग्रामीण लगातार शिक्षा विभाग से गुहार लगा रहे हैं, मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। न स्कूल है, न पढ़ने की व्यवस्था - ऐसे में 'पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया' जैसे नारे केवल कागज तक सिमटकर रह गए हैं। गांव के बच्चे किताबों का सपना देख रहे हैं, लेकिन हकीकत में उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है। इलाके में प्राथमिक स्कूल की कमी के कारण सैकड़ों बच्चों का भविष्य अधर में लटका है। ग्रामीणों ने कई बार शिक्षा विभाग से गुहार लगाई, आवेदन दिए, प्रतिनिधिमंडल भेजे – लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब शिक्षा विभाग से एक ही अपील है - सुनिए इन मासूमों की पुकार। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले जमुई संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।
झाझा के बाराजोर पंचायत स्थित गिद्धको में प्राथमिक विद्यालय नहीं है। इसके कारण बच्चों को कई किलोमीटर का सफर कर पैदल दूसरे गांव के स्कूल में पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है। नवीन प्राथमिक विद्यालय गिद्धको भवन निर्माण की जमीन उपलब्ध कराने के लिए दो बार मापी कराई गई। यहां पर्याप्त मात्रा में सरकारी जमीन उपलब्ध है, लेकिन स्थानीय किसानों द्वारा कब्जा जमा कर रखा गया है। हालांकि इस जमीन पर विद्यालय भवन निर्माण के लिए टेंडर भी हो गया है। विभागीय उदासीनता की वजह से विद्यालय भवन का निर्माण बाधित है। विद्यालय भवन निर्माण नहीं होने की स्थिति में यहां के बच्चों को दो किलोमीटर दूर बाराजोर मध्य विद्यालय जाना पड़ता है। इस कारण ज्यादातर बच्चे विद्यालय जाना ही छोड़ दिया है।
झाझा प्रखंड क्षेत्र के बाराजोर पंचायत अंतर्गत गिद्धको व नया आबादीगंज गिद्धको गांव के बच्चे दो से तीन किलोमीटर का सुनसान रास्ता तय कर जाते हैं, जहां आवारा किस्म के कुत्ते मंडराते रहते हैं। बच्चे इन कुत्तों के डर से हमेशा परेशान रहते हैं। बताया जाता है कि कई बार इन कुत्ते बच्चों पर हमला कर दिया, जिस कारण बच्चे विद्यालय जाने से कतराते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्मी के समय विद्यालय जाने में कई बच्चे अस्वस्थ हो जाते हैं, जिस कारण उनकी एक ओर पढ़ाई बाधित होती है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। इस गांव में 6 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों की संख्या अधिक हैं। उनके लिए प्रतिदिन पैदल चलकर विद्यालय जाना किसी टेढ़ी खीर से काम नहीं है। सरकार एक ओर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले कर रह है, लेकिन इन गांवों में स्कूल नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए हर रोज अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है। बताया जाता है कि गांव में अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं। जो आज भी किसी उद्धारक का बाट जोह रहे हैं ।
बनी रहती दुर्घटना
की आशंका
यहां की आबादी करीब चार हजार है। तीन किमी की परिधि में न सरकारी और न ही निजी विद्यालय है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी यहां शिक्षा की बुनियादी व्यवस्था न होने से सवाल खड़ा होता है। अभी भी गांव की कुछ बच्चियां स्कूल न होने से पढ़ नहीं पा रही हैं। शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के दावे तो बहुत किए जाते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी अनेकों गांव में प्राथमिक शिक्षा की हालत बेहद खराब है। लोग बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन विद्यालय के न होने से उनके सपनों को पंख नहीं लग पा रहा है। ग्रामीण कहते हैं कि पढ़ने के लिए बच्चों को दूर जाना पड़ता है। बच्चे तो स्कूल जाते हैं लेकिन कुछ लड़कियां अभी भी अशिक्षित रह जा रही हैं। पवन ने कहा कि हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
जल्द से जल्द एक प्राथमिक विद्यालय खोला जाए
बच्चे कहते हैं कि वे पढ़ना चाहते हैं, डॉक्टर, शिक्षक या पुलिस बनना चाहते हैं, लेकिन बिना स्कूल के उनका सपना अधूरा है। पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ता है, जो छोटे बच्चों के लिए जोखिम भरा होता है। ग्रामीणों की मांग है कि गांव में जल्द से जल्द एक प्राथमिक विद्यालय खोला जाए, या कम-से-कम मोबाइल शिक्षक या अस्थायी कक्षाएं शुरू की जाएं ताकि बच्चों की पढ़ाई जारी रह सके। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग इस पुकार को सुनता है या नहीं।
इनकी भी सुनिए
गांव में विद्यालय की स्थापना कब होगी यह किसी स्वप्न से कम नहीं लगता है, इस दिशा में अभिलंब पहल होनी चाहिए
-मनीषा देवी
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयत्नशील लेकिन यहां स्कूल नहीं होना बच्चों के लिए दुर्भाग्य से काम नहीं।
-नन्द किशोर मंडल
वर्तमान समय में दो से तीन किलोमीटर की दूरी चलकर बच्चे स्कूल जाते हैं। इससे बच्चों सहित अभिभावक को भी परेशानी
होती है।
-प्रदीप मंडल
गिद्धको और नया आबादीगंज गिद्धको में विद्यालय खुलने से बच्चों को पढ़ाई करने में सुविधा होगी। इस दिशा में विभाग पहल करे।
-मनीषा देवी
गांव से विद्यालय की दूरी अधिक रहने के कारण पढ़ाई की ओर बच्चों का झुकाव कम होने लगा है। इससे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
-दुलारी
गांव में विद्यालय की स्थापना कब होगी यह दिवास्वप्न से काम नहीं लगता है। इस दिशा में अविलंब पहल होनी चाहिए।
-पंकज मंडल
बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए गांव में स्कूल जल्द खुले। सरकार एवं शिक्षा विभाग जल्द से जल्द पहल करे।
-गणेश मंडल
गांव में विद्यालय खुले इसके लिए बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस संबंध में जिला प्रशासन से मांग की जाएगी।
-सौरव कुमार
कई बार इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को आवेदन दिया गया। लेकिन आश्वासन के बाद भी विद्यालय अबतक नहीं खुला।
-योगेंद्र मंडल
बच्चे का नाम विद्यालय में लिखा लिया, लेकिन दूर होने के कारण घर पर ही बच्चे की पढ़ाई होती है। किसी हादसे के डर से बच्चे को नहीं भेजते हैं।
-रोहित मंडल
गांव में स्कूल के नहीं रहने से गरीब परिवार के बच्चे का पठन-पाठन हो चौपट रहा है। सरकार को पहल करनी चाहिए।
-बबलू मंडल
गांव में स्कूल के लिए
किसी उद्धारक का बाट जोह रहे हैं। कोई प्रशासनिक पदाधिकारी इस समस्या के लिए पहल करें ।
-गणेश मंडल
जल्द से जल्द गांव में स्कूल खुले ताकि बच्चों को उनके गांव में ही पढ़ाई की सुविधा मिल सके। इसके लिए शिक्षा विभाग अविलंब प्रयास करे।
-योगेंद्र मंडल
शिक्षा के बिना वर्तमान समाज में समाज का विकास संभव नहीं है। ऐसे में सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
-अशोक मंडल
गांव के बच्चो और लोगों की समस्याओं का समाधान के लिए प्रखंड प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन को जल्द पहल करनी चाहिए।
-अविनाश मंडल
गांव में अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं। जो आज भी किसी उद्धारक का बाट जोह रहे हैं। जो इस समस्या का जल्द निदान करे।
-धमेंद्र यादव
बोले जिम्मेदार
नया आबादीगंज गिद्धको तथा गिद्धको दोनों गांव में पूर्व में स्कूल चल रहा था। जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण दोनों विद्यालय को उत्क्रमित उच्च विद्यालय में टैग कर दिया गया है। जमीन उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय ग्रामीण, जनप्रतिनिधि से भी सहयोग लिया जा रहा है।
महेंद्र प्रसाद सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, झाझा
अपने स्तर से विद्यालय के लिए जमीन खोज कर मापी भी करवाई, लेकिन स्थानीय लोगों की दिलचस्पी नहीं दिखाई देती है। लोगों को विद्यालय के जमीन देने के लिए आगे आने चाहिए। अगर शिक्षा विभाग, प्रशासनिक अधिकारी चाहे तो बाधाओं को दूर कर विद्यालय की नींव रखी जा सकती है।
आइसा प्रवीण, मुखिया, बाराजोर
शिकायत
1. गांव में विद्यालय नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। बच्चों खेलने में मशगुल रहते हैं। इससे उनका भविष्य हो जाएगा अंधकार मय।
2. सरकारी स्तर पर जमीन आवंटित नहीं हुआ, जिससे स्कूल खोलने में परेशानी हो रही है।
3. गर्मी, सर्दी और बरसात में पैदल काफी दूर पढ़ाई करने जाते हैं बच्चे। जिससे वह हो जाते हैं बीमार। इससे अभिभावक परेशान।
4. सुनसान रास्ते में आवारा कुत्तों के आंतक से बच्चो में डर का माहौल, विद्यालय जाने में होती है परेशानी।
सुझाव
1. नया आब्दीगंज गिद्धको में विद्यालय खुलने से बच्चों को होगी काफी सुविधा।
2. अंचल कार्यालय पहल कर जमीन उपलब्ध कर जल्द विद्यालय खुलवाने का करे प्रयास, जिससे होगी राहत।
3. गांव में स्कूल हो जाने से बच्चों को नहीं जाना पड़ेगा दूर, स्वास्थ्य पर भी नहीं पड़ेगा प्रतिकूल असर।
4. सड़क एवं सुनसान रास्ते जहां जानवर से बच्चे को नहीं होगा किसी तरह का भय, नजदीक में स्कूल खोलने से बच्चों का भविष्य होगा उज्जवल।
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