बोले जमुई: क्षेत्रफल मुंगेर के बराबर फिर भी चकाई नहीं बना अनुमंडल
चकाई क्षेत्र का क्षेत्रफल मुंगेर और खगड़िया के बराबर है, लेकिन इसे अनुमंडल का दर्जा नहीं मिला है। स्थानीय लोग वर्षों से अनुमंडल बनाने की मांग कर रहे हैं। जमुई से चकाई की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है,...

प्रस्तुति: राजीव कौशिक
झारखंड की सीमा से सटे चकाई का क्षेत्रफल लगभग मुंगेर व खगड़िया जिला के बराबर है। लेकिन अबतक इसे अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल पाया है। जबकि यहां के लोग वर्षों से अनुमंडल बनाने की मांग कर रहे हैं। जमुई मुख्यालय से चकाई की दूरी करीब 70 किलोमीटर है, जबकि चकाई के अन्य गांव की बात करें तो यह दूरी सौ किलोमीटर से अधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति में वहां से लोगों को अनुमंडल स्तर का कार्य कराने के लिए जमुई आना पड़ता है। इसमें पैसे काफी खर्च होते हैं। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले जमुई संवाद के दौरान लोगों ने कहीं। उन्होंने समस्या और समाधान साझा की।
चकाई को अनुमंडल बनाने की मांग वर्षों से लोग कर रहे हैं, लेकिन वर्षों पुरानी मांग आज भी जस की तस बनी हुई है। इस दौरान कई सरकारें आईं और चली भी गईं, लेकिन चकाई को अनुमंडल का दर्जा नहीं मिल पाया। बिहार एवं झारखंड की सीमा पर अवस्थित जमुई जिले का यह पठारी प्रखंड आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से प्रदेश के पिछड़े प्रखंड में गिना जाता है। साथ ही यह प्रदेश के अंतिम विधानसभा के रूप में भी जाना जाता है। विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में चकाई को अनुमंडल का दर्जा दिया जाना चुनावी मुद्दा बनता रहा है। इस चुनावी मुद्दे के सहारे नेता विधानसभा भी पहुंचे, लेकिन बाद में वादे हैं वादों को क्या की तर्ज पर इस मांग को पूरा होने पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। स्थानीय राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि चकाई प्रखंड अनुमंडल बनने की सभी अहर्ता को पूरा करता है। उसके बाद भी अबतक चकाई को अनुमंडल का दर्जा नहीं मिलने से यहां के लोग हैरान हैं। लोग कहते हैं कि इस प्रखंड की आबादी तीन लाख के करीब है।
विस्तृत भू-भाग में फैला यह प्रखंड क्षेत्र अपने गर्भ में अकूत खनिज संपदा समेटे हुए है। इस प्रखंड का क्षेत्रफल मुंगेर और खगड़िया जिला के बराबर है। प्रखंड में 23 पंचायतें हैं। 28 पंचायत समिति एवं तीन जिला परिषद क्षेत्र है। जिला व अनुमंडल मुख्यालय से इस प्रखंड की दूरी 78 किलोमीटर है। जबकि प्रखंड मुख्यालय से इसके कई पंचायतों के गांवों की दूरी 30 से 75 किलोमीटर तक है। प्रखंड क्षेत्र का भू-भाग पांच थाना क्षेत्रों में बंटा है। जबकि एक नया थाना जल्द खुलने को है। इसके सीमावर्ती पंचायतों के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए सौ से 150 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। लोग बताते हैं ब्रिटिश काल में चकाई थाना का कार्य क्षेत्र बगल के प्रखंड सोनो और झाझा तक फैला था। अनुमंडल का दर्जा मिलने के बाद इस प्रखंड को विकास के मामले में नई रफ्तार मिलती।
झारखंड निर्माण के बाद लगा था आस होगी पूरी
वन एवं खनिज संपदाओं से परिपूर्ण जिले के सबसे पुराने इस प्रखंड का झारखंड राज्य के निर्माण के बाद प्रशासनिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। इससे लोगों में चकाई को अनुमंडल बनाने की मांग पूरी होने की आस जगी थी, लेकिन वह अबतक पूरी नहीं हो पाई है। चकाई को अनुमंडल का दर्जा दिए जाने की मांग समय-समय पर यहां के निवासियों द्वारा जोरदार ढ़ंग से उठाई जाती रही है। लोगों द्वारा चरणबद्ध आंदोलन के साथ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जाता रहा है।
इनकी भी सुनिए
चकाई प्रखंड अनुमंडल बनने की सभी अहर्ता रखता है। यह जिले का सबसे सुदूर प्रखंड है। चकाई को जल्द अनुमंडल का दर्जा मिलना चाहिए।
-राजीव रंजन पांडेय
चकाई को अनुमंडल बनाने की मांग पूरी तरह वाजिब है। अनुमंडल बनने से विकास की गति और रफ्तार मिलेगी।
चकाई एससी एसटी, पिछड़ा आबादी बाहुल्य प्रखंड है। अनुमंडल बनाने से यहां के विकास को गति मिलेगी। लोगों को आर्थिक बचत होगी।
- रामचंद्र पासवान
चकाई को अनुमंडल बनाने की मांग लंबे समय से जा रही है। यह सभी मापदंडों को भी पूरा करता है। जल्द अनुमंडल बनाया जाए।
-भुवनेश्वर पासवान
चकाई अब तक भी अनुमंडल नहीं बन पाया है। सही राजनीतिक नेतृत्व के अभाववश यह स्थिति है।
-धर्मवीर आनंद
अनुमंडल नहीं बनने से चकाई वासियों को कई परेशानी का सामना करना पड़ता है। अनुमंडल जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
- राजेश सिंह
यह चकाई की बहुत पुरानी मांग है। इस मांग को पूरी होने से यहां के लोगों को काफी सुविधा होगी। जिससे लोगों को रुपये की बचत होगी।
- शंभूनाथ पांडेय
झारखंड राज्य के निर्माण के बाद इस प्रखंड का महत्व काफी बढ़ गया। इसे जल्द अनुमंडल बनाना चाहिए।
-पंचानन राय
बिहार झारखंड की सीमा पर चकाई प्रखंड अवस्थित है। इसे जल्द पूर्ण अनुमंडल का दर्जा सरकार को देना चाहिए।
- कालेश्वर वर्मा
चकाई प्रखंड को अनुमंडल बनाने को लेकर यहां के लोगों द्वारा समय समय पर आवाज उठाई जाती रही है।
- शंभू केशरी
चकाई को अनुमंडल बनाने की सालों से मांग के बावजूद किसी भी राजनीतिक दल या नेता द्वारा इसे पूरा नहीं किया गया है।
-राजकिशोर प्रसाद गुप्ता
चकाई का क्षेत्रफल खगड़िया जिला के क्षेत्रफल के बराबर है । यह अनुमंडल बनने की योग्यता रखता है।
- राजेश वर्णवाल
चकाई को शीघ्र अनुमंडल बनाया जाए, नहीं तो यहां के लोग एकबार फिर से आंदोलन करने को विवश होंगे। अनुमंडल नहीं बनाया जाना स्थानीय लोगों के साथ नाइंसाफी है।
- शालिग्राम पांडेय
अर्हता पूरी करने के बाद भी चकाई अनुमंडल नहीं बन पाया है। लोग उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यहां के लोगों के लिए यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है ।
- अजय कुमार मुन्ना
चकाई को अनुमंडल बनाने का मुद्दा चुनावी मुद्दा बनते रहा है। इसके बाद भी अबतक अनुमंडल का दर्जा नहीं मिलने से लोग ठगा महसूस कर रहे हैं।
- सत्यनारायण केशरी
चकाई प्रखंड जमुई जिले का दूरस्थ प्रखंड है। अब तक अनुमंडल नहीं बनने से यहां के लोग हैरान हैं। जबकि इसे काफी पहले बन जाना था।
-अशोक लेहरी
बोले जिम्मेदार
चकाई में विकास के कई कार्य हुए हैं। चकाई में इथेनाॅल की बड़ी फैक्ट्री की स्थापना की गई है। इसके अलावा इस इलाके में विकास के कई कार्य किए गए हैं एवं किए भी जा रहे हैं। चकाई को अनुमंडल बनाया जाए इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार तक बात पहुंचाई भी गई है।
सुमित सिंह, मंत्री, बिहार सरकार, सह विधायक चकाई
शिकायत
1. चकाई को अनुमंडल का दर्जा नहीं मिलने से होती है कई तरह की परेशानियां।
2. चकाई अबतक अनुमंडल नहीं बन पाया है। सही राजनीतिक नेतृत्व के अभाववश यह स्थिति है। लाेग फिर आंदोलन के मूड में।
3. अनुमंडल जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
4. चकाई को अनुमंडल बनाने की मांग चुनावी मुद्दा बनता रहा है।
5. चकाई प्रखंड को अनुमंडल बनाने को लेकर यहां के लोगों द्वारा समय-समय पर आवाज उठाई जाती रही है, लेकिन अबतक मांग पूरी नहीं हुई है।
सुझाव
1. चकाई को जल्द अनुमंडल का दर्जा मिलना चाहिए।
2. अनुमंडल बनने से विकास की गति को और रफ्तार मिलेगी।
3. चकाई अनुमंडल के दर्जा का सभी मापदंडों को भी पूरा करता है, इसे अनुमंडल का दर्जा मिलना चाहिए।
4. चकाई का क्षेत्रफल मुंगेर और खगड़िया जिला के क्षेत्रफल के बराबर है। यह अनुमंडल बनने की योग्यता रखता है।
5. चकाई को शीघ्र अनुमंडल बनाया जाए, नहीं तो यहां के लोग एकबार फिर से आंदोलन करने को विवश होंगे।
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