भागलपुर में तीन जुलाई से बच्चों को पड़ेगा रोटा वायरस का टीका
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि डायरिया (दस्त) को प्रभावी रूप से रोकने वाले रोटा वायरस टीका को नियमित टीकाकरण में शामिल कर लिया है। तीन जुलाई से रोटा वायरस का टीका...

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि डायरिया (दस्त) को प्रभावी रूप से रोकने वाले रोटा वायरस टीका को नियमित टीकाकरण में शामिल कर लिया है।
तीन जुलाई से रोटा वायरस का टीका देने का अभियान शुरू होगा। डेढ़ माह, ढाई माह व साढ़े तीन माह के बच्चों को रोटा वायरस की तीन खुराक दी जायेगी। वॉयल खोलने के अधिकतम चार घंटे तक ही इसका उपयोग किया जा सकेगा। वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान में रखना होगा।
इस टीके को जिले के हर सरकारी अस्पताल स्थित टीकाकरण केंद्रों पर दिया जायेगा। यह एक ओरल वैक्सीन है। डॉ. चौधरी, सदर अस्पताल के सभागार में आयोजित रोटा वायरस पिलाने के तरीके व सावधानी पर आधारित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रोटा वायरस का टीका जिले के हर सरकारी अस्पताल स्थित टीकाकरण केंद्रों पर बच्चों को पिलाया जायेगा। डायरिया प्रमुख रूप से तीन (बैक्टीरिया, वायरस, अमीबा) कारणों से होता है। इसमें सबसे ज्यादा रोटा वायरस बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है।
देश में पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में 14 प्रतिशत यानि 3.70 हजार बच्चे डायरिया के शिकार होते हैं, जिनमें से 78 हजार बच्चों की मौत डायरिया के कारण होती है। इस अवसर पर आरआई (रूटीन इम्युनाइजेशन) पटना के डॉ. कुणाल, डॉ. रणवीर, यूनिसेफ के एसएमपी अमित कुमार, एसआरपी निगार कौसर, यूएनडीपी के संदीप कुमार व जिले के सभी अस्पतालों के प्रभारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, बीसीएम मौजूद रहे।
दस्त का बड़ा कारण है रोटा वायरस
- रोटावायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है।
- यह दूषित पानी, दूषित खाने गंदे हाथों के संपर्क में आने से बच्चों में फैलता है।
- वायरस कई घंटों तक बच्चों के हाथों सख्त सतहों पर जीवित रह सकता है।
- यह साल के किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन सर्दियों के मौसम में इसका खतरा बढ़ जाता है।
- अस्पतालों में दस्त से भर्ती होने वाले कुल बच्चों में से 40 प्रतिशत बच्चे रोटा वायरस दस्त से ग्रसित होते हैं।
- पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण बच्चे के शरीर में पानी और नमक की कमी हो सकती है। जिससे कभी-कभी बच्चे की मौत भी हो सकती है।
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