बोले कटिहार: ब्लड माफिया के खिलाफ प्रशासन हो सख्त, मानवता को मिले सम्मान
कटिहार में रक्तदान की स्थिति चिंताजनक है, जहां ब्लड माफिया सक्रिय हैं और रक्त की भारी कमी हो रही है। एक यूनिट खून की कीमत 8 से 10 हजार रुपये वसूली जा रही है। लेकिन कुछ समाजसेवी हर साल तीन सौ यूनिट...

प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप कटिहार की धरती पर जब कोई जिंदगी मौत से जूझती है तो उसे बचाने के लिए सिर्फ डॉक्टर या दवा ही नहीं, एक अनजान रक्तदाता की मदद भी जरूरी होती है। ये खून की कुछ बूंदें किसी की दुनिया बचा सकती हैं। लेकिन जब यही रक्त सौदे में बदल जाए तो दिल रो पड़ता है। सोचिए, अगर जरूरतमंद को खून न मिले या इसके लिए भारी रकम चुकानी पड़े तो क्या हम सच में इंसान कहलाने लायक हैं? यही समय है जब हमें तय करना होगा - हम इंसानियत की राह पर चलेंगे या माफिया के इस अमानवीय धंधे को देख चुप रहेंगे? यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार संवाद के दौरान उभर कर सामने आईं।
इस धरती पर रक्त सिर्फ शरीर को नहीं, इंसानियत को भी जीवित रखता है। पर जब यही रक्त बिकने लगे, तो सवाल सिर्फ स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि संवेदना और नैतिकता का भी हो जाता है। कटिहार जैसे जिले में ब्लड माफिया की जड़ें गहरी हो गई हैं। एक यूनिट खून के लिए आठ से दस हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि मानवता के गाल पर तमाचा है। हर साल जिले को करीब 30,000 यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन उपलब्धता इसकी तुलना में बेहद कम है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी कुल जरूरत का 20 प्रतिशत ही इकट्ठा हो पाता है। ब्लड बैंक में ब्लड सेपरेटर जैसी जरूरी मशीनें नहीं हैं, जिससे एक यूनिट खून को तीन भागों - प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और पीआरबीसी में नहीं बदला जा पाता। साफ-सफाई की स्थिति भी चिंताजनक है। इस कारण आम लोग रक्तदान से कतराते हैं। लेकिन इस अंधकार में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो उम्मीद की लौ जलाए हुए हैं। समाजसेवियों द्वारा हर साल करीब तीन सौ यूनिट रक्त डोनेट करवाते हैं। वे कहते हैं कि हम इंसानियत के लिए काम करते हैं, न कि किसी जाति या धर्म के लिए। उनकी टीम ने अब तक ब्लड बैंक में 50 यूनिट तक का स्टॉक बनवाया है। एक नियमित रक्तदाता की बात सुनिए, जो कहते हैं कि जब किसी अनजान व्यक्ति को खून देता हूं तो लगता है जैसे किसी को जीवन का उपहार दे रहा हूं। इससे बड़ा कोई धर्म नहीं। ऐसे स्वैच्छिक रक्तदाताओं को पहचान और प्रोत्साहन देना समय की मांग है। उनके लिए विशेष पहचान पत्र, स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता, रेलवे टिकट में रियायत और सार्वजनिक सम्मान की व्यवस्था होनी चाहिए। रक्तदाताओं का एक सशक्त नेटवर्क व्हाट्सएप समूहों के जरिए बना है, जो 24 घंटे सक्रिय रहते हैं। पर इनकी संख्या अभी भी बेहद सीमित है। जरूरत है कि हर नागरिक आगे आए, प्रशासन सजग हो और ब्लड माफिया पर सख्ती हो। रक्त कोई व्यापार नहीं, यह जीवन है। इसे पैसे से नहीं तौला जा सकता। कटिहार की पहचान बने- वो शहर जहां रक्त नहीं, इंसानियत बहती हो। इनकी भी सुनिए रक्तदान को महादान तो कहते हैं, लेकिन इसे जन आंदोलन नहीं बनाया गया। ब्लड डोनर्स को सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन मिलना चाहिए। -पवन पोद्दार ब्लड बैंक में पारदर्शिता होनी चाहिए। अगर किसी को खून की जरूरत है तो उसे एक सिस्टम के जरिए तुरंत जानकारी मिले। -सूरज कुमार सरकार को ब्लड बैंक को हाईजेनिक और टेक्नोलॉजी फ्रेंडली बनाना चाहिए। साथ ही, हर दाता का रिकॉर्ड रहे। -आनंद कुमार सरकार से अपेक्षा है कि हर जिले में डिजिटल रक्तदाता नेटवर्क बने और उसकी सक्रिय मॉनिटरिंग हो। जागरूकता कार्यक्रमों में युवाओं को जोड़ें। -किशन सिंह अगर हर स्वैच्छिक रक्तदाता को पहचान पत्र, स्वास्थ्य बीमा और वार्षिक पुरस्कार दिए जाएं तो बहुत लोग इससे प्रेरित होंगे। -राहुल कुमार हर प्रखंड में मिनी ब्लड कलेक्शन सेंटर खुले। वहां से जरूरतमंदों को सीधा लिंक करके उन्हें रक्त मुहैया कराया जाए। -मंजय कुमार मेरे सुझाव में यह शामिल है कि स्कूल के 11वीं और 12वीं के छात्रों को ब्लड डोनेशन के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाए। -अक्षय गोस्वामी ब्लड डोनर को सिर्फ दानवीर कह देने से काम नहीं चलेगा। उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता और सामाजिक पहचान मिलनी चाहिए। -सुदर्शन कुमार ब्लड बैंक में इमरजेंसी को लेकर अलग काउंटर और डेडिकेटेड स्टाफ हो, जो रात-बेरात भी सक्रिय रूप से काम करें। -अशोक कुमार मुझे लगता है कि ब्लड डोनर के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ‘रक्तदाता प्रोफाइल होना चाहिए। -राजेश कुमार पंचायत स्तर पर ब्लड डोनर पहचान अभियान चलाया जाए और उनके योगदान को गांव स्तर पर प्रचारित किया जाए। -मुन्ना कुमार हर थाने और अस्पताल में एक रजिस्टर हो, जिसमें नजदीकी रक्तदाताओं की सूची होनी चाहिए। इमरजेंसी में यह बहुत कारगर सिद्ध होगा। -प्रत्यूष कुमार ब्लड डोनेशन के बाद सरकारी अस्पतालों में डोनर को एक साल तक प्राथमिक चिकित्सा निःशुल्क दी जाए, यह नियम बने। इससे लोग खुद को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करेंगे। रक्तदान के प्रति सामाजिक रवैया तभी बदलेगा जब व्यवस्था उन्हें साथ दे। — गुड्डू कुमार हर ब्लड डोनर के लिए एक हेल्थ कार्ड बनाया जाए जिसमें उनके दान की संख्या, रक्त समूह और आखिरी बार दान करने की तिथि हो। इससे ब्लड बैंक को उनके डेटा का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी और डोनर को पहचान भी मिलेगी। — नितिन राजग अभी ब्लड डोनेशन के क्षेत्र में कोई स्थानीय नेतृत्व नहीं है। हर ब्लॉक में एक ब्लड डोनर कमेटी बननी चाहिए, जिसमें दाताओं की सलाह ली जाए। सरकार को उनकी जरूरतें और सुझाव सुनने चाहिए। इससे जुड़ाव बढ़ेगा और सिस्टम मजबूत होगा। — कन्हैया कुमार बोले जिम्मेदार ब्लड डोनेशन को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन चुनौतियां भी हैं। हम ब्लड माफिया पर सख्त कार्रवाई के लिए प्रशासन के साथ समन्वय में हैं। ब्लड बैंक की सुविधा को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास जारी हैं। ब्लड सेपरेटर मशीन की मांग स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई है। नियमित रक्तदाताओं की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहन देने की योजना पर काम चल रहा है। हमारा लक्ष्य है कि कटिहार जिले में रक्त की कोई कमी न रहे और जरूरतमंद को समय पर सुरक्षित रक्त मिले। इसके लिए आम लोगों का सहयोग भी जरूरी है। — डॉ. जितेन्द्र नाथ सिंह, सिविल सर्जन, कटिहार शिकायत 1. ब्लड सेपरेटर जैसी आधुनिक सुविधा नहीं है। 2. ब्लड माफिया सक्रिय हैं, जो आपात स्थिति में खून बेचने का घिनौना सौदा करते हैं। 3. ब्लड बैंक में स्टाफ की कमी है, जिससे समय पर सेवा नहीं मिलती। 4. रक्त की उपलब्धता की ऑनलाइन जानकारी नहीं दी जाती, जिससे मरीजों को भटकना पड़ता है। 5. दाताओं को प्रेरित करने की कोई सरकारी योजना जमीनी स्तर पर लागू नहीं है। सुझाव 1. ब्लड सेपरेटर मशीन उपलब्ध कराई जाए। 2. रक्तदाताओं को पहचान पत्र प्राथमिक इलाज की सुविधा और सार्वजनिक सम्मान मिले। 3. ब्लड बैंक का वातावरण स्वच्छ और भरोसेमंद बनाया जाए। 4. जागरूकता अभियान चलाया जाए, स्कूल, कॉलेज और पंचायत स्तर तक, ताकि रक्तदान को जन आंदोलन बनाया जा सके। 5. 24x7 रक्तदाता हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप शुरू किया जाए, जिसमें रजिस्टर्ड रक्तदाता आसानी से उपलब्ध हो।
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