गर्मी से बरसात आ गई, पर अभी तक नहीं गाड़े गए चापाकल
भभुआ में गर्मी के मौसम में जल संकट की समस्या बढ़ रही है। बरसात के बाद भी पीएचईडी द्वारा 64 नए चापाकल गाड़ने का काम शुरू नहीं हुआ है। ग्रामीणों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है और प्रशासनिक...

बरसात में चापाकल गाड़ने पर कम गहराई में पानी मिलने पर गर्मी के दिनों में जलस्तर खिसकने पर झेलनी पड़ सकती है परेशानी पेयजल संकट दूर करने के लिए पीएचईडी की ओर से गाड़ा जाना चापाकल निविदा प्रक्रिया पूरी, पर एजेंसी ने शुरू नहीं किया चापाकल गाड़ने का काम ग्राफिक्स 11 प्रखंड हैं कैमूर जिले के दो अनुमंडल में 64 नया चापाकल गाड़ने के लिए हुई है निविदा (पेज चार की बॉटम खबर) भभुआ, हिन्दुस्तान संवाददाता। गर्मी अंतिम चरण में है। बरसात भी शुरू हो गई। लेकिन, निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी एजेंसी द्वारा जिले में चापाकल गाड़ने का काम शुरू नहीं किया गया।
जबकि विभाग का कहना है कि संवेदक द्वारा चापाकल की सामग्री गिराई जा रही है। लेकिन, आमजन यह सवाल उठा रहे हैं कि बारिश शुरू होने के बाद जिले का जलस्तर बढ़ गया है। ऐसे में पाइप जमीदोज करने पर कम गहराई में ही पानी मिल जाएगा। अगर इसी स्तर पर चापाकल गाड़ दिया गया, तो गर्मी के दिनों में जलस्तर खिसकने पर यह चापाकल भी बंद हो सकते हैं। जिले के पहाड़ी क्षेत्र से लेकर मैदानी इलाकों तक में गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पीएचईडी को चापाकल गड़वाने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन डीएम सावन कुमार के निर्देश पर पीएचईडी द्वारा जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 64 चापाकल गाड़ने के लिए निविदा प्रकाशित की गई। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो मई माह के अंत में टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई। लेकिन, विभागीय अफसरों की अनदेखी के कारण निविदा प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी जिले में अबतक कहीं भी चापाकल गाड़ने का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। इधर, गर्मी का मौसम बितने के कगार पर है और अब बरसात का मौसम आ गया है। गर्मी के मौसम में सूखते गला को तर करने के लिए लोग बूंद-बूंद पानी को तरसते रहे, लेकिन विभाग द्वारा एक भी चापाकल नहीं गड़वाया गया। अब जब बरसात शुरू हुई तो संवेदक द्वारा चापाकल गाड़ने की सामग्री गिराई जा रही है। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा लोगों की मांग पर पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए आवश्यक स्थानों पर चापाकल गड़वाने का निर्णय टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया था। इससे सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि पीएचईडी आमजनों को पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के प्रति कितना फिक्रमंद है। कुआं और चुआं के पानी से बुझाई प्यास भभुआ। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी जिले के पहाड़ी प्रखंड अधौरा के वनवासियों को हुई। वहां के लोगों ने भीषण गर्मी व लू के थपेड़े के बीच काफी दूरी तय कर कुआं व चुआं से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाए। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो पेयजल की समस्या से जूझ रहे पहाड़ी इलाकों के लोगों को प्यास बुझाने के लिए अधौरा प्रखंड के गांवों में करीब एक दर्जन से अधिक नया चापाकल गाड़ना था। आज भी पहाड़ी क्षेत्र के ग्रामीण काफी दूरी से पानी लाकर अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। हालांकि पीएचईडी द्वारा कुछ जगहों पर टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा था। जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में नाराजगी भभुआ। पेयजल समस्या से निजात दिलाने की दिशा में ठोस पहल नहीं करने को लेकर ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी है। ग्रामीण सरोज पासवान, महेन्द्र बिन्द, संजय राम व सुबेदार सिंह ने बताया कि गांव में गाड़े गए सरकारी चापाकल महीनों से मरम्मत के अभाव में बंद पड़े हैं। विभागीय अफसरों के पास कई बार शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन, उनके द्वारा अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई। पंचायत के मुखिया से भी गुहार लगायी। उनके द्वारा भी आश्वासन दिया गया। कोट जिले में 64 नया चापाकल गाड़ने के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी की गई है। संवेदक द्वारा चापाकल गाड़ने के लिए सामग्री गिराई जा रही है। अभी चापाकल गाड़ने का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। कुमार रवि, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी फोटो-27 जून भभुआ- 3 कैप्शन- भभुआ शहर के टाउन हाई स्कूल परिसर का बंद पड़ा चापाकल। (सिंगल फोटो)
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