Hindi NewsBihar NewsBhabua NewsImam Chowk Celebrates Muharram with Grand Procession and Rituals

जुलूस की शक्ल में कर्बला से मिट्टी लेकर लौटे अकीदतमंद

भभुआ में मुहर्रम के मौके पर ताजिएदारों और अकीदतमंदों ने इमाम चौक पर मिट्टी रखकर फातेहा का सिलसिला शुरू किया। जुलूस में लोग शरबत और मिठाई लेकर आए और धार्मिक अनुष्ठान के दौरान अगरत्ती और दीप जलाए। यह...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआFri, 27 June 2025 10:52 PM
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जुलूस की शक्ल में कर्बला से मिट्टी लेकर लौटे अकीदतमंद

वार्ड व मुहल्लों के ताजिएदार, अखाड़ियों, खलीफा के नेतृत्व में निकला जुलूस इमाम चौक पर मिट्टी को रख फातेहा करने का शुरू किया गया सिलसिला (पेज चार की फ्लायर खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। अकीदतमंदों ने जुमे के रोज कर्बला से मिट्टी लाकर इमाम चौक पर रखी, जहां शाम के वक्त से फातेहा का सिलसिला शुरू हुआ। लोग अपने घरों से शरबत व शिरनी मिठाई लेकर आए और इमाम चौक पर फातेहा किया। इस दौरान उन्होंने अगरत्ती, मोमबत्ती व दीप जलाकर आसपास में रोशन किया। यह सिलसिला पूरे मुहर्रम यानी 10 दिनों तक चलता रहेगा। इस दौरान इमाम चौक पर काफी संख्या में बच्चे व युवा भी पहुंचे थे।

मोहर्रम के 40 दिन बाद मुहर्रम का चालीसवा मनाने का रिवाज है। शहर के सदर अखाड़ा नवाबी मुहल्ला से जुलूस की शक्ल में अकीदतमंद इमामबाड़ा कि लिए निकले तो रास्ते में विभिन्न वार्डों व मुहल्लों के ताजिएदार, अखाड़ियों व खलीफा के नेतृत्व में बड़ा हुजूम शामिल होता गया। कारवां बढ़ता गया। रास्ते में या हुसैन-या हसन के नारे लगते रहे। ढोल-ताशा भी बजते रहे। कर्बला में पहुंचकर धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करते हुए मिट्टी लेकर अपने-अपने मुहल्लों व वार्ड के इमाम चौक पर पहुंचे। मुहर्रम की सात तारीख से जुलूस निकलने का सिलसिला शुरू होगा। सात व आठ तारीख को छोटी ताजिया का जुलूस निकलेगा। फिर नौ व 10 तारीख को अलम का जुलूस निकलेगा, जिसमें काफी संख्या में अकीदतमंद भाग लेंगे। परंपरा के अनुसार गेट भी निकाला जाएगा। युवा वर्ग लाठी, डंडा, भाला, गड़ासा, फरसा, बनेठी, ढाल-तलवार, गदकाफाड़ी आदि से खेल का प्रदर्शन करेगा। इस दौरान सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहेगा। मुहर्रम कमेटियां भी चौकस रहेंगी। हर आपदा से महफूज रहे देश मुहर्रम की पहली तारीख को सदर शेख परवेज रजा, शेख महताब रजा, शेख तालिब रजा, इसरार कुरैशी ने कहा कि देश में अमन-चैन बना रहे और हर आपदा से महफूज रहे। मोहर्रम माह में तजियादारी की जाती है। इराक में इमाम हुसैन का रोजा-ए-मुबारक (दरगाह) है, जिसकी हुबहू कॉपी (शक्ल) बनाई जाती है, जिसे ताजिया कहा जाता है। भरत के तत्कालीन बादशाह तैमूर लंग ने मुहर्रम के महीने में इमाम हुसैन के रोजे (दरगाह) की तरह से बनवाया और उसे ताजिया का नाम दिया गया। बेहद अहम है मोहर्रम माह मोहर्रम माह के 10वें दिन यानी 10 तारीख को रोज-ए-आशुरा कहा जाता है। इन दिनों को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है। क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी। इसलिए इस माह को गम के महीने के तौर पर मनाया जाता है। इमाम हुसैन की शहादत की याद में ही ताजिया और जुलूस निकाले जाते हैं। अब ताजिया बनाने का काम शुरू करेंगे अब मुहल्ले के लोगों द्वारा ताजिया बनाने का काम शुरू किया जाएगा। सदर ताजिया को नवाबी मुहल्ला में तैयार किया जाएगा, जबकि नायाब ताजिया दक्षिण मुहल्ला में बनाई जा रही है। उसे आकर्षक लुक देने के लिए रंग-बिरंगे कागज, मोती, शीशा आदि का उपयोग किया जाएगा। युवाओं द्वारा खेल का प्रदर्शन करने के लिए अभ्यास शुरू किया जाएगा। वह भाला, गड़ासा, बनेठी, ढाल-तलवार, लाठी-डंडा आदि के संचालन का अभ्यास करेंगे। फोटो- 27 जून भभुआ- 15 कैप्शन- मुहर्रम की पहली तारीख शुक्रवार को जुलूस निकाल कचहरी पथ के रास्ते कर्बला से मिट्टी लाने जाते अकीदतमंद।

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