कैमूर जिले में केंद्रीय विद्यालय खोलने की तेज की कवायद
बिहार में केंद्रीय विद्यालय खोलने की प्रक्रिया तेज हो गई है। शिक्षा विभाग के सचिव ने जिला पदाधिकारी से विद्यालय भवन के निर्माण के लिए स्थल का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा, चैनपुर विधानसभा...

शिक्षा विभाग के सचिव ने जिला पदाधिकारी से जिस स्थल पर विद्यालय भवन बनना है, उसका सर्वेक्षण कर मांगी रिपोर्ट देश के टॉप शिक्षण संस्थानों में होती है केंद्रीय विद्यालय की गिनती बोले मंत्री, मेरे आवेदन के आलोक में सीएम ने केंद्र को लिखा था पत्र (पेज चार की लीड खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर में केंद्रीय विद्यालय खोले जाने की कवायद तेज कर दी है। शिक्षा विभाग के सचिव ने जिला पदाधिकारी से उस स्थल का सर्वेक्षण करके रिपोर्ट मांगी है, जहां विद्यालय भवन बनाया जा सकता है। मानक के अनुसार किस स्थल पर केंद्रीय भवन का निर्माण किया जाना ठीक रहेगा, इसकी रिपोर्ट डीएम के माध्यम से सरकार के भेजी जाएगी।
मई माह में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने हिन्दुस्तान को बताया था कि उन्होंने चांद में केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर आवेदन दिया था। उन्होंने मुझे न सिर्फ भरोसा दिया, बल्कि मेरे आवेदन के आलोक में केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार केंद्रीय विद्यालय खोलने की स्वीकृति शीघ्र देगी। अब सरकार ने इसके लिए डीएम से रिपोर्ट मांगी है। मंत्री ने बुधवार को दूरभाष पर बताया कि शैक्षणिक ढांचे को मजबूत करने के लिए चैनपुर विधानसभा क्षेत्र के अधौरा में डिग्री कॉलेज भवन निर्माण के लिए राज्य सरकार ने 1357.15 लाख रुपए निर्गत किया है। अब शिक्षा विभाग के उपसचिव ने अधौरा में खुलनेवाले डिग्री कॉलेज में विज्ञान, कला व वाणिज्य संकाय के लिए 20 विषयों में प्राध्यापक के 52 और कर्मियों के 13 पद सृजित किया है। प्राचार्य का पद अलग से है। इससे यह उम्मीद है कि जल्द ही भवन निर्माण पूरा कराया जाएगा। डिग्री कॉलेज भवन परिसर में तीनों संकायों के वर्ग कक्ष, कार्यालय, पुस्कालय, प्रयोगशाला, शिक्षक कक्ष का निर्माण होगा। इसके अलावा एक-दूसरे कार्यालय व कक्ष तक पहुंचने के लिए संपर्क पथ और चहारदीवारी का निर्माण होगा। चैनपुर में 4 अरब, 2 करोड़ 14 लाख रुपये की लागत से चैनपुर में राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय भवन निर्माण के लिए मिले हैं। भगवानपुर में पहले से इंजीनियरिंग कॉलेज है। वर्ष 1962 में मिली थी मंजूरी केंद्र सरकार ने नवंबर 1962 में केंद्रीय विद्यालयों की योजना को मंजूरी दी थी। केंद्रीय विद्यालय संगठन भी है। पहली बार शैक्षणिक वर्ष 1963-64 के दौरान रक्षा स्टेशनों में 20 रेजिमेंटल स्कूलों को केन्द्रीय विद्यालयों के रूप में लिया गया था। इस विद्यालय में एक तरह के पाठ्यक्रम से पढ़ाई कराए जाने से इसमें नामांकित बच्चों के अभिभावक का स्थानांतरण होने के बाद भी उनकी शिक्षा पर किसी तरह का प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। टॉप स्कूलों में होती है गिनती केंद्रीय विद्यालयों की गिनती देश के टॉप स्कूलों में होती है। यहां पर शिक्षकों को कई चरण की परीक्षाओं के बाद हायर किया जाता है। यही वजह है कि यहां पर बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है। यहां से पासआउट होने के बाद अधिकतर बच्चों का चयन टॉप नौकरियों के लिए हो जाता है। एक्टिविटी पर देते हैं ध्यान केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा के अलावा स्पोर्ट्स जैसे एक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स अगर एक खिलाड़ी के रूप में कॅरियर बनाना चाहते हैं तो भी उन्हें अच्छा प्लेटफॉर्म मिलता है। केंद्रीय विद्यालयों में क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक्स से लेकर अन्य खेलों के लिए स्टूडेंट्स को तैयार किया जाता है। यह मिलती हैं सुविधाएं केंद्रीय विद्यालयों में छात्रों को हर तरह की सुविधा मिलती है। चाहे वह स्मार्ट क्लास की बात हो या फिर अच्छे लैब की या फिर अच्ची लाइब्रेरी की। यही वजह है कि यहां के छात्र इन सुविधाओं का इस्तेमाल करके कॅरियर के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं। समान पाठ्यक्रम, सीबीएसई से संबद्धता, सह-शैक्षिक शिक्षा, संस्कृत का अध्ययन, उचित शिक्षक-छात्र अनुपात, कुछ श्रेणियों के लिए नि:शुल्क शिक्षा। फोटो- 25 जून भभुआ- 8 कैप्शन- भभुआ शहर के नगरपालिका मध्य विद्यालय में बुधवार को पढ़ाई करते बच्चे।
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