राम चरित मानस हमें जीने की राह बताती है: आचार्य
छौड़ाही में आयोजित सत्संग में आचार्य फूलेना जी महाराज ने रामचरितमानस का अध्ययन करते हुए माता-पिता और गुरु को प्रणाम करने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि सुबह उठने के बाद सबसे पहले माता-पिता को प्रणाम...

छौड़ाही, निज संवाददाता। सत्संग के साथ -साथ रामचरितमानस का पठन, मनन,व लगातार अध्ययन हमें ईश्वर के नजदीक ले जाती है। इस क्रम में हम देखतें है कि राम चरित मानस के बाल कांड में तुलसी दास जी ने कहा है कि प्रात काल उठके रघुनाथा, मातु पिता, गुरु नावही माथा। यह हमें दिखाता है, हमें सिखाता है प्रातः काल उठने के बाद हमें सर्वप्रथम अपने इस संसार के प्रथम गुरु अपने माती-पिता को प्रणाम कर उनसे आशिर्वाद प्राप्त करना चाहिए, जिनके माध्यम से हमारा इस संसार में पदार्पण हुआ। ये बातें बुधवार को सैदपुर नकटा बाबा मंदिर परिसर में सत्संग पर चर्चा के दौरान अध्यात्म विभूति आचार्य फूलेना जी महाराज ने कहीं।
उन्होंने कहा कि माता पिता के बाद हमें इस संसार में संसार रूपी माया से निकलने के लिए अपने अध्यात्म गुरू को प्रणाम करना चाहिए। वह गुरू जो हमे संसार से पार जाने का पथ प्रदर्शक बने। भगवान् राम चारो भाई अपने माता पिता को प्रणाम करने के बाद अपने कुल गुरू बलिष्ठ जी को प्रणाम करते थे। सत्संग कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि रामायण हमें इस संसार में जीने की राह दिखाती है। इस अवसर पर ब्यास जी रामबिलास दास,महेन्द्र प्रसाद सिंह, दिनेश दास समेत आगे दर्जन लोगों ने सत्संग में भजन गाकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
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